Congress के आर्थिक प्रस्ताव में Adani मामले की जेपीसी जांच की मांग भी शामिल

Adani
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कांग्रेस ने यहां अपने तीन दिवसीय 85वें महाधिवेशन के दूसरे दिन पारित अ आर्थिक प्रस्ताव में कहा कि वह इस तरह के एकाधिकार के खिलाफ है क्योंकि ये जनहित के खिलाफ हैं।

कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि वह सरकार द्वारा समर्थित निजी एकाधिकार के खिलाफ है। कांग्रेस ने यहां अपने तीन दिवसीय 85वें महाधिवेशन के दूसरे दिन पारित अ आर्थिक प्रस्ताव में कहा कि वह इस तरह के एकाधिकार के खिलाफ है क्योंकि ये जनहित के खिलाफ हैं। इसमें कहा गया कि विशेष रूप से पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपी लोगों के खिलाफ है जो देश के संसाधनों पर एकाधिकार करने वाली कर पनाहगाहों के साथ अनुचित संबंध रखते हैं।

प्रस्ताव को पारित होने के लिए पेश करने से पहले सत्र को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आगे चलकर पार्टी की आर्थिक नीतियों से रोजगार और धन का सृजन होगा, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका समान रूप से वितरण हो ताकि नीचे की 50 फीसदी आबादी को अगले दस से बीस साल तक अधिकांश लाभ मिल सके। चिदंबरम ने कहा कि पार्टी को भारत को यह संदेश देना चाहिए कि 1991 में कांग्रेस ने एक खुली, प्रतिस्पर्धी और उदार अर्थव्यवस्था की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि उदारीकरण वाली अर्थव्यवस्था के बीज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में बोए गये थे।

चिदंबरम ने कहा, दुर्भाग्य से, राजीव गांधी का निधन हो गया और फिर जब हम पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सत्ता में वापस आए, तो वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को खोलने का साहसिक कदम उठाया। उदारीकरण के प्रभाव के बारे में बात करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यूएनडीपी के मुताबिक, 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया।

आगे की राह पर चिदंबरम ने कहा कि जिस तरह कांग्रेस ने एक खुली, प्रतिस्पर्धी और उदार अर्थव्यवस्था को अपनाया, अब समय आ गया है कि पार्टी साहसपूर्वक और स्पष्ट तरीके से घोषणा करे कि उसका अगला काम भारत की 50 प्रतिशत आबादी को गरीबी से बाहर निकालना है। भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि वह इस तरह का काम नहीं कर पाएगी क्योंकि वह कुछ हाथों में संपदा देने और एकाधिकार सृजित करने में भरोसा करती है।

आर्थिक प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘पिछले कुछ सप्ताह में हुए अडाणी महा मेगा घोटाले के बाद हम सरकार को उसकी जिम्मेदारी से भागने नहीं दे सकते। सरकार के कहने पर संसद के रिकॉर्ड से राहुल गांधी के प्रश्नों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के बड़े अंश को एकतरफा तरीके से हटा दिया गया, लेकिन भारत की जनता देख रही है कि संसद में क्या हो रहा है।’’ इसमें कहा गया, ‘‘हम पूछना चाहते हैं कि यह सरकार लोकतांत्रिक चर्चा के मूल्य का क्षरण क्यों कर रही है और क्यों प्रधानमंत्री संसद में सवालों का जवाब नहीं दे रहे।’’

पार्टी ने कांग्रेस घोषणापत्र 2019 में किया गया अपना वादा भी दोहराया कि विनिवेश घाटे में चलने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) और गैर-प्रमुख और गैर-रणनीतिक पीएसयू तक ही सीमित रहेगा। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि अर्थव्यवस्था के अक्षम प्रबंधन के कारण नरेंद्र मोदी सरकार के नौ वर्षों में राष्ट्र को बहुत नुकसान हुआ है। प्रस्ताव के मुताबिक, बढ़ती बेरोज़गारी और असमानता, बढ़ती महंगाई, रुपये की गिरती कीमत,किसान विरोधी नीतियां और कानून, व्यवसायों के खिलाफ अति-विनियमन और प्रतिशोधी कार्रवाई, क्रोनी कैपिटलिज्म और एक ध्रुवीकृत समाज मोदी सरकार की पहचान रही है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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