40 साल पहले हुई इस दर्दनाक घटना के बाद से बंद है कुतुब मीनार, 45 लोगों की गई थी जान

The Qutub Minar closed since the tragic incident 40 years killing 45 people
रेनू तिवारी । Dec 4 2021 3:35PM

सालों पहले शुक्रवार को दिल्ली के कुतुब मीनार में सप्ताह का सबसे व्यस्त दिन हुआ करता था क्योंकि प्रवेश निःशुल्क था और स्कूल और कॉलेज अपने छात्रों को सुबह पिकनिक पर लाते थे। सब कुछ बहुत परफेक्ट चल रहा था लेकिन 4 दिसंबर 1981 में कुतुब मीनार में एक ऐसी घटना हुई जिसने सभी को हिलाकर रख दिया।

सालों पहले शुक्रवार को दिल्ली के कुतुब मीनार में सप्ताह का सबसे व्यस्त दिन हुआ करता था क्योंकि प्रवेश निःशुल्क था और स्कूल और कॉलेज अपने छात्रों को सुबह पिकनिक पर लाते थे। सब कुछ बहुत परफेक्ट चल रहा था लेकिन 4 दिसंबर 1981 में कुतुब मीनार में एक ऐसी घटना हुई जिसने सभी को हिलाकर रख दिया। 4 दिसंबर 1981 में टहलने आये 45 लोगों की एक हादसे के कारण जान चली गयी। इस घटना से लोग दहल गये। आज इस घटना को 40 साल हो गये हैं। 

घटना से पहले यहां पर रोनक हुआ करती थी। लोग घूमने फिरने के लिए आते थे। मीनार के अंदर 10 मंजिलों तक जानें की भी इजाजत थी। लेकिन 40 साल पहले हुई घटना के बाद सब कुछ बदल दिया गया। 4 दिसंबर 1981 को एक स्कूल के छात्र और कुछ लोग कुतुब मीनार घूमने के लिए आये थे। करीब सुबह 11.30 बजे काफी लोग मीनार के अंदर गये और वहां पर हमेशा के तरह मस्ती कर रहे थे। मीनार की खिड़कियां हवा के कारण बंद थी। फिर अचानक खबर  आयी की मीनार के अंदर की बिजली चली गयी है। अंदर बच्चे भी थे जो बिजली जानें से बुरी तरह से डर गये और मीनार के अंदर भगदड़ मच गयी जिसमें कई मासूमों की मौत हो गयी। सेकड़ों लोग घायल हो गये। इस हादसे में बहुत कुछ बदल दिया और कुतुब मीनार से जुड़ी कई रहस्यमी कहानियों को भी जन्म दिया। तब से लेकर आज तक मीनार के अंदर जाने की किसी को इजाजत नहीं हैं। 

कुतुब मीनार एक "विजय मीनार" है जो कुतुब परिसर का हिस्सा है। यह नई दिल्ली, भारत के महरौली क्षेत्र में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यह शहर में सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पहले जीवित रहने वाले स्थानों में से एक है। इसकी तुलना अफ़ग़ानिस्तान में जाम की 62-मीटर पूर्ण-ईंट मीनार से की जा सकती है, c. 1190, जिसका निर्माण दिल्ली टावर की संभावित शुरुआत से लगभग एक दशक पहले किया गया था। दोनों की सतहों को विस्तृत रूप से शिलालेखों और ज्यामितीय पैटर्न से सजाया गया है। कुतुब मीनार में एक शाफ्ट है जो प्रत्येक चरण के शीर्ष पर "बाल्कनियों के नीचे शानदार स्टैलेक्टाइट ब्रैकेटिंग" से सुसज्जित है। सामान्य तौर पर, भारत में मीनारों का उपयोग धीमा था और अक्सर मुख्य मस्जिद से अलग कर दी जाती हैं जहां वे मौजूद हैं। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़