Haryana Assembly Elections से पहले प्रदेश कांग्रेस में हुड्डा के खिलाफ जो बगावत शुरू हुई है वह पार्टी को बहुत भारी पड़ सकती है

Kiran Choudhry
ANI

हम आपको बता दें कि हरियाणा में कांग्रेस को झटका देते हुए किरण चौधरी और उनकी बेटी ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उल्लेखनीय है कि श्रुति चौधरी कांग्रेस की हरियाणा इकाई की कार्यकारी अध्यक्ष थीं।

हरियाणा की राजनीति में आज तब नया घटनाक्रम सामने आया जब कांग्रेस से इस्तीफा देने के अगले ही दिन हरियाणा की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। हम आपको बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले किरण और श्रुति ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तमाम तरह के आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है। बताया जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के कुछ और नेता आने वाले समय में कांग्रेस से इस्तीफा दे सकते हैं। दरअसल हुड्डा जिस तरह हरियाणा कांग्रेस को चला रहे हैं उसको देखते हुए पार्टी के नेताओं में बेहद नाराजगी है। पार्टी के नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि आलाकमान ने यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया तो हुड्डा के चलते कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को बड़ा नुकसान हो सकता है।

जहां तक किरण और श्रुति की बात है तो आपको बता दें कि दोनों ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा में शामिल होने के बाद किरण चौधरी ने कहा, "नई शुरुआत, एक नया प्रभात। आज सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास और एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना हेतु उन्नत क्षेत्र व प्रदेश के उद्देश्य से अपने कार्यकर्ताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।" उन्होंने कहा, "हमारा वचन है कि चौधरी बंसीलाल जी के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए हरियाणा व क्षेत्रवासियों के हित में सदैव समर्पित रहेंगे।"

हरियाणा में चुनाव से पहले कांग्रेस को लगा झटका

हम आपको बता दें कि हरियाणा में कांग्रेस को झटका देते हुए किरण चौधरी और उनकी बेटी ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उल्लेखनीय है कि श्रुति चौधरी कांग्रेस की हरियाणा इकाई की कार्यकारी अध्यक्ष थीं। इन दोनों का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका इसलिए है क्योंकि राज्य में इस साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। हम आपको बता दें कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चिर प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। किरण और उनकी बेटी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अलग-अलग त्यागपत्र भेजे, जिसमें उन्होंने हुड्डा पर निशाना साधा।

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क्यों नाराज थीं किरण और श्रुति चौधरी?

बताया जाता है कि किरण चौधरी हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से श्रुति चौधरी को टिकट नहीं दिए जाने के साथ-साथ राज्य में पार्टी द्वारा टिकटों के समग्र वितरण को लेकर नाराज थीं। हम आपको बता दें कि कांग्रेस ने हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से नौ पर चुनाव लड़ा था, जबकि कुरुक्षेत्र सीट पर विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की घटक आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था। चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने पांच-पांच सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से मौजूदा विधायक और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वफादार राव दान सिंह को टिकट दिया था, जो भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह से हार गए। हम आपको बता दें कि इस सीट से श्रुति पूर्व में सांसद रह चुकी हैं।

किरण और श्रुति ने अपने पत्र में क्या कहा था?

हम आपको बता दें कि किरण चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष को अपने पत्र में लिखा था कि कांग्रेस की हरियाणा इकाई को ‘‘निजी जागीर’’ के रूप में चलाया जा रहा है, जबकि श्रुति चौधरी ने हुड्डा का स्पष्ट संदर्भ देते हुए आरोप लगाया था कि प्रदेश इकाई एक ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसने अपने ‘‘स्वार्थ’’ और ‘‘तुच्छ हितों’’ के लिए पार्टी के हितों से समझौता कर लिया। किरण चौधरी ने खरगे को त्यागपत्र में लिखा है, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को निजी जागीर के रूप में चलाया जा रहा है, जिसमें मेरी जैसी ईमानदार आवाज के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा जा रहा है, जिन्हें अत्यंत सुनियोजित और व्यवस्थित तरीके से दबाया, अपमानित किया गया और मेरे विरूद्ध षड्यंत्र किया जा रहा है।’’ किरण ने लिखा, ‘‘इस प्रकार, हमारे लोगों का प्रतिनिधित्व करने और उन मूल्यों को बनाए रखने के मेरे परिश्रमी प्रयासों में महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न हो रही है, जिनके लिए मैं हमेशा खड़ी रही हूं।’’ हुड्डा पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए किरण चौधरी ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे हाशिये पर धकेल दिया। अपमान की एक सीमा होती है।’’ खरगे को भेजे अपने त्यागपत्र में किरण चौधरी ने लिखा, ‘‘मैं पिछले चार दशकों से कांग्रेस की एक निष्ठावान सदस्य रही हूं और इन वर्षों में मैंने अपना जीवन पार्टी और उन लोगों के लिए समर्पित कर दिया, जिनका मैं प्रतिनिधित्व करती हूं।’’

हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान मंत्री रहीं किरण चौधरी ने कहा, ‘‘हरियाणा में मैं आधुनिक हरियाणा के निर्माता दिवंगत चौधरी बंसीलाल और अपने दिवंगत पति चौधरी सुरेन्द्र सिंह की समृद्ध विरासत का भी प्रतिनिधित्व करती हूं।’’ किरण चौधरी ने कहा कि उनका उद्देश्य और लक्ष्य शुरू से ही अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना रहा है। किरण चौधरी ने खरगे को भेजे अपने त्यागपत्र में लिखा, ‘‘अपने लोगों और कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मैं एक नयी शुरुआत करने को बाध्य हूं।’’ दोनों ने जनता की सेवा करने का मौका देने के लिए खरगे, कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी को धन्यवाद दिया। इसके अलावा, भूपेंद्र हुड्डा पर सीधा हमला करते हुए किरण चौधरी ने कहा, ‘‘उनके लिए केवल उनका बेटा (दीपेंद्र हुड्डा) ही मायने रखता है। अपने स्वार्थ के लिए वह सभी नेतृत्व को खत्म करना चाहते हैं और उन्होंने कई लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को भी बर्बाद कर दिया। राव दान सिंह, जिनके बारे में उन्होंने गारंटी दी थी कि वह जीतेंगे, लोकसभा चुनावों में अपने ही विधानसभा क्षेत्र से हार गए।’’ उन्होंने कहा कि गुरुग्राम और कुछ अन्य सीटों के लिए भी यही गारंटी दी गई थी। किरण चौधरी ने कहा, ‘‘वह (हुड्डा) चाहते हैं कि उनके बेटे को ही सब कुछ मिले और वह दूसरों को खत्म करना चाहते हैं। यह कैसे चलेगा?...''

वहीं श्रुति ने अपने पत्र में कहा, ‘‘हरियाणा में कांग्रेस पार्टी दुर्भाग्य से एक व्यक्ति के इर्द गिर्द केंद्रित हो गई है, जिसने अपने स्वार्थ और तुच्छ हितों के लिए पार्टी के हितों से समझौता कर लिया। इसलिए, मेरे लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है, ताकि मैं अपने लोगों के हितों और उन मूल्यों को कायम रख सकूं, जिनके लिए मैं खड़ी रही हूं।’’ हम आपको बता दें कि ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि श्रुति भाजपा की ओर से राज्यसभा सीट के लिए संभावित उम्मीदवारों में शामिल हो सकती हैं। यह सीट रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा की जीत के बाद खाली होने जा रही है। हालांकि, किरण ने कहा कि वह और उनकी बेटी, दोनों बिना शर्त भाजपा में शामिल होंगी।

हम आपको यह भी बता दें कि कांग्रेस महासचिव और सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने भी 12 जून को हुड्डा पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा था कि यदि आलाकमान को उचित ‘फीडबैक’ दिया गया होता और ‘‘स्वार्थ की राजनीति’’ नहीं की गई होती, तो पार्टी हरियाणा से सभी लोकसभा सीटें जीत सकती थी। किरण और श्रुति के इस्तीफे पर शैलजा ने कहा कि पार्टी का कोई भी सदस्य अगर छोड़ कर जाता है तो दुख होता ही है।

भाजपा ने बनाई चुनाव की रणनीति

हम आपको यह भी बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस साल के अंत में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा करने के लिए सोमवार को एक बैठक की थी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कृष्ण पाल गुर्जर मौजूद थे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित भाजपा के हरियाणा कोर ग्रुप के नेता भी इस मौके पर मौजूद थे। नड्डा द्वारा हरियाणा के लिए पार्टी का चुनाव प्रभारी नियुक्त किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर यह बैठक हुई। यह बैठक हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारियों को गति देने के मद्देनजर बुलाई गई थी। त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को पार्टी का सह-चुनाव प्रभारी बनाया गया है। वह वर्तमान में भाजपा के हरियाणा मामलों के संगठन प्रभारी भी हैं।

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