किडनी रैकेट मामला: पुलिस की पैनी नजर के दायरे में हैं दिल्ली के PSRI और फॉर्टिस के टॉप सर्जन

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[email protected] । Jun 10 2019 11:19AM

उन्होंने बताया कि पुलिस ऐसे लोगों की संलिप्तता की भी जांच कर रही है जो गरीब और भोले भाले लोगों को बहला-फुसलाकर फर्जी दस्तावेज बनवाते हैं और उन्हें किडनी दान दाता के तौर पर अस्पताल ले जाकर खुद को उनका रिश्तेदार बताते हैं।

कानपुर। किडनी रैकेट मामले में दिल्ली के एक निजी अस्पताल के मालिक की गिरफ्तारी के बाद पुलिस प्रभावशाली लोगों को जांच के घेरे में लेने की तैयारी कर रही है। अपर पुलिस अधीक्षक राजेश यादव ने रविवार को बताया कि किडनी रैकेट मामले में राजनेताओं और कारोबारियों पर पुलिस की नजर है। हम यह पड़ताल कर रहे हैं कि इस गिरोह में अन्य डॉक्टरों, अस्पतालों के मालिकों और रईस लोगों की कोई भूमिका तो नहीं है।

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उन्होंने बताया कि पुलिस ऐसे लोगों की संलिप्तता की भी जांच कर रही है जो गरीब और भोले भाले लोगों को बहला-फुसलाकर फर्जी दस्तावेज बनवाते हैं और उन्हें किडनी दान दाता के तौर पर अस्पताल ले जाकर खुद को उनका रिश्तेदार बताते हैं। इसके अलावा ऐसे लोगों पर भी नजर रखी जा रही है जो गांवों में घूम घूम कर अंगों के संभावित दाताओं की तलाश करते हैं और शहर में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उन्हें इस दलदल में घसीट लेते हैं। 

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गौरतलब है कि किडनी रैकेट मामले में पुलिस ने डॉक्टर दीपक शुक्ला को शुक्रवार रात दिल्ली में गिरफ्तार किया था और उन्हें जांच पड़ताल के लिए कानपुर लाया गया है। शुक्ला दिल्ली के एक निजी अस्पताल के मुख्य अधिशासी अधिकारी हैं। इस साल 17 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय किडनी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था। गिरोह में शामिल लोग गरीब लोगों के गुर्दे निकालकर उन्हें प्रतिरूपण के लिए आए मरीजों को बेच देते थे। इस मामले में गिरोह के सरगना गौरव मिश्रा समेत अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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