दिल्ली की हवा में मौजूद हैं ये प्रदूषक तत्व, जो बन रहा चिंता का कारण
वर्ष 2023 में सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट के एक विश्लेषण में जानकारी दी गई है। इस विश्लेषण के मुताबिक ओजोन एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है। अगर इसके संपर्क में आया जाए तो ये कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकती है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ओजोन का जमीनी स्तर बढ़ना शुरू हो गया है। बीते आठ घंटों में कई स्टेशनों पर ओजोन का स्तर नियमित मानक से अधिक हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के विश्लेषण की मानें तो दिल्ली की हवा में ओजोन का बढ़ना एक प्रमुख प्रदूषक हो गया है।
जमीनी स्तर पर ओजोन के बढ़ने के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। ये भी संभावना जताई गई है कि आने वाले दिनों में ओजोन का स्तर अधिक बढ़ सकता है। ओजोन नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के बीच जटिल संपर्क पैदा होता है। ये वाहनों, बिजली संयंत्रों, कारखानों और अन्य दहन स्त्रोतों से उत्सर्जित होते है। ओजोन उत्पन्न होने के लिए सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कई प्रक्रियाएं पूरी होती है।
वर्ष 2023 में सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट के एक विश्लेषण में जानकारी दी गई है। इस विश्लेषण के मुताबिक ओजोन एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है। अगर इसके संपर्क में आया जाए तो ये कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकती है। ओजोन से संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याओं, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित लोगों को काफी परेशानी होती है। इन बीमारियों का गंभीर खतरा आमतौर पर फेफड़े की बीमारी वालों, बच्चों और वृद्धों को होता है। इस संबंध में सीएसई का कहना है कि जमीनी स्तर को देखते हुए ओजोन वायुमार्ग को भड़काता है।
सीएसई ने कहा है कि जमीनी स्तर का ओजोन वायुमार्ग को क्षतिग्रस्त कर सकता है। ओजोन के संपर्क में आने से फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है। इससे लोगों में अस्थमा, वातस्फीति और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की बीमारी बढ़ सकती है। ये समस्या अस्थमा के दौरे की आवृत्ति बढ़ा सकता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बढ़ सकती है।
दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जहां ओजोन का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था। सीपीसीबी के आंकड़ों की मानें तो डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नरेला, नेहरू नगर और आरके पुरम इलाकों में ओजोन का स्तर अधिक पाया गया था।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के एक अधिकारी की मानें तो पूरे वर्ष, PM2.5 एक चिंता का विषय बना रहता है। वहीं गर्मियों के मौसम में ओजोन का स्तर बढ़ जाता है। जीवाश्म ईंधन के दहन और बायोमास के जलने से, उच्च तापमान के साथ, ओजोन का उत्पादन होता है। वीओसी ओजोन के स्तर को भी बढ़ाते हैं और पीएम2.5 और ओजोन के स्रोतों पर अंकुश लगाना आवश्यक है।
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