Karnataka Elections 2023: कांग्रेस की इस तिकड़ी ने बढ़ाई BJP की टेंशन, कैसे निकालेगी पार्टी इनका तोड़

Karnataka Elections 2023
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 2 हफ्ते से भी कम का समय बचा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के तीन बड़े नेताओं कि तिकड़ी भाजपा की टेंशन को बढ़ा रही है। डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया और मल्लिकार्जुन खड़गे की तिकड़ी से बोम्मई और येदियुरप्पा पार नहीं पा रहे हैं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मतदान में 2 हफ्ते का समय बचा है। जैसे-जैसे यह समय पास आता जा रहा है, मुकाबला और रोचक होता जा रहा है। दक्षिण के अपने एकलौते दुर्ग को बचाए रखने के लिए जहां बीजेपी जंग लड़ रही है तो वहीं दूसरी ओर सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हाथ-पैर मार रही है। इस बार बीजेपी के लिए कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं की तिकड़ी चुनौती बन गई है। इस तिकड़ी से बोम्मई और येदियुरप्पा पार नहीं पा रहे हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस के तीन बड़े चेहरे हैं। जो विधानसभा चुनाव को अंजाम देने में जुटे हैं। इनमें से पहला नाम कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, दूसरा नाम पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और तीसरा नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। कांग्रेस की यह तिकड़ी सिर्फ जोड़ी ही नहीं बल्कि इसके पीछे कर्नाटक का सियासी समीकरण भी है। कांग्रेस एक बार फिर से इसी के सहारे बीजेपी से हाथों से सत्ता छीनने की कोशिश में जुटी है।

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कांग्रेस के लिए संकटमोचन डीके शिवकुमार

कांग्रेस की तरफ से कर्नाटक चुनाव की कमान डीके शिवकुमार संभाल रहे हैं। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। डीके शिवकुमार राजनीति के मंझे हुए और जोड़तोड़ के खिलाड़ी माने जाते हैं। वह सात बार के विधायक होने के साथ ही राज्य के हाई प्रोफाइल मंत्री भी रहे हैं। इसलिए उन्हें कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक भी कहा जाता है। बता दें कि चुनाव में कांग्रेस का सारा दारोमदार डीके शिवकुमार के कंधों पर है। साल 2013 में जब कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी, तब शिवकुमार प्रदेश अध्यक्ष थे। उनकी अगुवाई में राज्य में पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ आई थी। 

इसके अलावा वह वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। सूबे में 11 फीसदी वोक्कलिगा है। जो करीब 48 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। हालांकि वोक्कालिगा जेडीएस का वोटबैंक माना जाता है। बता दें कि जेडीएस के संस्थापक देवगौड़ा और एच डी कुमारस्वामी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। वहीं बीजेपी के पास वोक्कालिगा समुदाय का कोई प्रभावी चेहरा नहीं है। ऐसे में इस बार वोक्कालिगा समुदाय का झुकाव कांग्रेस की ओर देखने को मिल रहा है। यह झुकाव बीजेपी और जेडीएस के लिए चिंता का विषय है।

सिद्धारमैया हैं दमदार चेहरा

सिद्धारमैया का नाम कर्नाटक की सियासत के सबसे प्रभावी चेहरे के तौर पर आता है। उन्होंने अपना सियासी सफर एचडी देवगौड़ा के साथ शुरू किय़ा था। लेकिन जब पार्टी की कमान कुमारस्वामी के हाथों में गई तो वह पार्टी से अलग हो गए और सिद्धारमैया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। सिद्धारमैया कांग्रेस पार्टी का बड़ा ओबीसी चेहरा बन गया। वह कर्नाटक की राजनीति में शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। सिद्धारमैया विधायक, मंत्री, उप मुख्यमंत्री और सीएम भी रहे। 

कर्नाटक के कुरुबा समुदाय से सिद्धारमैया ताल्लुक रखते हैं। हालांकि अन्य समुदायों पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। कर्नाटक में वह ओबीसी का प्रमुख चेहरा माने जाते हैं। वह सीधे तौर पर जनता के संपर्क में रहते हैं। वहीं उन्होंने ऐलान किय़ा है कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। जिसके कारण जनता का झुकाव उनकी ओर अधिक है। अगर भाजपा की बात करें तो पार्टी के पास उनके कद का कोई नेता नहीं है।

मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलेगा पार्टी को लाभ

राज्य में कांग्रेस का तीसरा सबसे बड़ा चेहरा मल्लिकार्जुन खड़गे का है, जिनके हाथों वर्तमान में पार्टी की कमान है। खड़गे ने एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया था। जिसके बाद आज वह पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। उन्होंने अपनी पांच दशकों से अधिक की राजनीतिक करियर में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। इस चुनाव में मल्लिकार्जुन ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। वह दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राज्य में दलित समुदाय बड़ी ताकत में हैं। ऐसे में खड़गे कांग्रेस के पक्ष में दलित वोटों को जोड़ने का सियासी तानाबना बुन रहे हैं।

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