तीन तलाक बिल: कांग्रेस ने की प्रवर समिति को भेजने की मांग, BJP ने बताया ऐतिहासिक

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[email protected] । Dec 27 2018 7:13PM

नकवी ने कहा कि जब सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे थे, तो उस वक्त भी कुछ लोगों ने विरोध किया था। लेकिन इस देश और इस समाज ने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म किया।

नयी दिल्ली। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लोकसभा में लाए गए ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ के कुछ प्रावधानों का विरोध करते हुए कांग्रेस ने इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की तो सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम करार दिया। विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ वाले रुख के विरोध में है क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने एवं उनका सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है। उन्होंने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2017 के विधेयक को लेकर जो चिंताएं जताई थी उसका ध्यान नहीं रखा गया।

सुष्मिता देव ने कहा कि एक वकील होने के बावजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर कानून बनाने को लेकर उच्चतम न्यायालय अल्पमत के फैसले का उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखा जाए।कांग्रेस नेता ने कहा कि 1986 में राजीव गांधी के समय शाह बानो प्रकरण के बाद बनाया गया कानून मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कानून था जिसका उल्लेख उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में बार-बार किया। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने विधेयक को नरेंद्र मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम करार देते हुए कहा कि तीन तलाक को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक बताया और इस प्रथा का कुरान में कहीं उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के कारण यह प्रथा अब तक चलती आई है जिसका खामियाजा मुस्लिम महिलाओं को भुगतना पड़ा है। 

भाजपा सांसद ने कहा कि कई इस्लामी देशों में तीन तलाक में खत्म किया जा चुका है, लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में चल रहा है। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अगर कांग्रेस ने 30 साल पहले कदम उठाती तो उसी वक्त इतिहास बदल जाता। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में महिलाओं के लिए कई कदम उठाए हैं और यह भी मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाया गया है।अन्नाद्रमुक के अनवर रजा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने पहले के विधेयक में बड़े संशोधन नहीं किए और संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ विधेयक लेकर आई है।उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक सांप्रदायिक सद्भाव और संविधान के खिलाफ है।तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए लाया गया विधेयक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन अपनी पत्नी को फौरी तीन तलाक देने के दोषी पति के लिए जेल की सजा के प्रावधान का उनकी पार्टी विरोध करती है।उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मांग करती है कि इस विधेयक को विचार के लिए प्रवर समिति के पास भेजा जाए। बंद्योपाध्याय ने कहा कि फौरी तीन तलाक पूरी तरह ‘पाप’ है। 

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मुस्लिम समुदाय का बड़ा तबका इसे ‘पाप’ और ‘अस्वीकार्य’ मानता है।तृणमूल सांसद ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को फौरी तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए लाया गया विधेयक स्वागत योग्य है, लेकिन वह फौरी तीन तलाक देने के दोषी पति को जेल की सजा दिए जाने के प्रावधान के विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रावधान को खत्म किया जाना चाहिए। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार यह विधेयक किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए लेकर आई है। उन्होंने कहा कि कई पार्टियों के नेता इस बात से चिंतित हैं कि फौरी तीन तलाक देने के दोषी पति को जेल भेज दिए जाने पर उसके परिवार का क्या होगा, उसकी पत्नी का गुजारा कैसे होगा। लेकिन सवाल यह है कि कोई ऐसा जुर्म करे ही क्यों कि उसे जेल जाने की नौबत आए। नकवी ने कहा कि जब सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे थे, तो उस वक्त भी कुछ लोगों ने विरोध किया था। लेकिन इस देश और इस समाज ने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म किया। विपक्ष पर निशाना साधते हुए नकवी ने कहा कि उनके नेताओं के रुख से ऐसा लग रहा है कि वे मजलूम के साथ नहीं, बल्कि मुजरिम के साथ हैं।

बीजू जनता दल (बीजद) के रवींद्र कुमार जेना ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है।उन्होंने विधेयक को संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार राजनीतिक लाभ की मंशा से तीन तलाक संबंधी अध्यादेश लाई थी, लेकिन पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में उसके कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि सरकार को तीन तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की चिंता से पहले भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं से पीड़ित मुस्लिम पुरुषों एवं महिलाओं का ध्यान नहीं देना चाहिए।

गल्ला ने कहा कि इस विधेयक को संसदीय समिति या प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए। विधेयक का समर्थन करते हुए शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि इसके कानून बनने से मुस्लिम महिलाएं सबसे ज्यादा खुश होंगी।उन्होंने कहा कि सरकार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, समान नागरिक संहिता लागू करने और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए पहल करनी चाहिए।तेलंगाना राष्ट्र समिति के जितेंद्र रेड्डी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को लाने की मंशा और समय को लेकर बड़ा सवाल है।उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि सरकार उनकी शिक्षा एवं रोजगार पर ध्यान देना चाहिए। 

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