सुरंग हादसा: ऑगर मशीन के हिस्से बाहर निकाले गए, लंबवत ड्रिलिंग 36 मीटर तक पहुंची

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श्रमिकों से बातचीत में उन्होंने उनसे अपना ध्यान रखने को कहा तथा उन्हें बताया कि बचाव अभियान में सभी लोग मेहनत कर रहे हैं और कई मोर्चों पर कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि सभी को जल्द बाहर निकालने की कोशिश जारी है। मिश्र ने फंसे श्रमिकों के परिजनों से भी मुलाकात करके उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि पूरा देश श्रमिकों की शीघ्र और सुरक्षित निकासी के लिए दुआ कर रहा है। उन्होंने कहा कि परिजनों को हौसला बनाए रखना होगा और सरकार उनके साथ खड़ी है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान के 16 वें दिन सोमवार को मलबे में फंसे अमेरिकी ऑगर मशीन के हिस्से बाहर निकाल लिए गए जबकि सुरंग के ऊपर से की जा रही लंबवत ड्रिलिंग 36 मीटर तक पहुंच गयी। बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि तड़के तक मलबे के अंदर फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को काट कर निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन का हेड भी पाइप के अंदर फंसा हुआ था और अब उसे भी हटा दिया गया है। हांलांकि, उन्होंने कहा कि मशीन के हेड निकालने के लिए कुल 1.9 मीटर पाइप को भी काटना पड़ा।खैरवाल ने बताया कि उसके बाद सुरंग के मलबे के अंदर तीन किश्तों में 220 मिमी, 500 मिमी और 200 मिमी यानि कुल 0.9 मीटर लंबाई का पाइप डाल दिया गया है।

खैरवाल ने कहा कि ऑगर मशीन के हिस्से निकालने के बाद हाथ से काम शुरू हो गया है लेकिन इसके पूरा होने की समयसीमा नहीं बतायी जा सकती। उन्होंने कहा कि भगवान से प्रार्थना है कि कठिनाइयां न आएं और हम जल्दी से जल्दी श्रमिकों तकपहुंचे। उन्होंने कहा कि रैट माइनिंग तकनीक से हाथ से मलबा साफ किया जाएगा लेकिन अगर कहीं ​सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आयीं तो मशीनों से उसे काटा जाएगा और फिर मशीनों से पाइपों को अंदर डाला जाएगा। सुरंग बना रही राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि मलबे में 0.9 मीटर पाइप डाला जा चुका है जबकि एक मीटर पाइप और डालकर पहले वाली लंबाई प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद मलबे में छह मीटर का पाइप डालना हमारे लिए कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

हांलांकि, उन्होंने कहा कि इसकी नियमित समीक्षा की जा रही है और सभी प्रकार के जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं जिससे हम जल्द से जल्द मलबे को पार कर सकें। सुरंग के सिलक्यारा छोर से श्रमिकों तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाने हेतु 25 टन वजनी ऑगर मशीन से की जा रही क्षैतिज ड्रिलिंग में शुक्रवार शाम तब अवरोध आ गया था जब उसके हिस्से मलबे में फंस गए थे। ड्रिलिंग रूकने के समय श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 10—12 मीटर मलबे को भेदा जाना शेष था। क्षैतिज ड्रिलिंग में आए व्यवधान के बाद रविवार को बचाव दलों ने वैकल्पिक रास्ता बनाने के लिए सुरंग के उपर से लंबवत ड्रिलिंग शुरू की जो 36 मीटर तक पहुंच गयी। अहमद ने बताया कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा सुरंग के शीर्ष से की जा रही लंबवत ड्रिलिंग का काम बहुत अच्छे से चल रहा है और अब तक 36 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है।

उन्होंने बताया कि श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर तक ड्रिलिंग की जानी है और अब 50 मीटर ड्रिलिंग शेष रह गयी है। एक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को लंबवत तरीके से सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जाएगा। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ पीके मिश्र ने सोमवार को सिलक्यारा पहुंचकर पिछले दो सप्ताह से फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने सुरंग के अंदर चल रहे बचाव कार्य की बारीकियों को समझा और अधिकारियों के साथ ही इस काम में जुटे इंजीनियर और श्रमिकों से बात करके उनका हौसला बढ़ाया। मिश्र ने अधिकारियों को अंदर फंसे श्रमिकों के साथ राहत बचाव कार्य में जुटे सभी लोगों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए।

श्रमिकों से बातचीत में उन्होंने उनसे अपना ध्यान रखने को कहा तथा उन्हें बताया कि बचाव अभियान में सभी लोग मेहनत कर रहे हैं और कई मोर्चों पर कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि सभी को जल्द बाहर निकालने की कोशिश जारी है। मिश्र ने फंसे श्रमिकों के परिजनों से भी मुलाकात करके उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि पूरा देश श्रमिकों की शीघ्र और सुरक्षित निकासी के लिए दुआ कर रहा है। उन्होंने कहा कि परिजनों को हौसला बनाए रखना होगा और सरकार उनके साथ खड़ी है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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