योगी सरकार के ढाई साल: उपलब्धियां तो ठीक हैं पर चुनौतियां अभी बाकी हैं

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अंकित सिंह । Sep 19 2019 6:35PM

योगी आदित्यनाथ अब तक भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में कामयाब रहे हैं और अब तक उनकी सरकार पर कोई भी भ्रष्टाचार के दाग नहीं लगे हैं पर इसे आगे जारी रखना भी एक चुनौती है।

साल 2017, लगभग 14 साल के वनवास के बाद भाजपा की उत्तर प्रदेश में वापसी हो रही थी। होली से पहले पूरा प्रदेश भगवा रंग में गया। भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ विधानसभा की 404 में से 325 सीटें जीतकर शानदार तरीके से सत्ता में आई। यह कारनामा तब हुआ जब भाजपा ने किसी चेहरे को आगे नहीं किया था बल्कि पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ा था। हां, भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दमदार चेहरा और अमित शाह की शानदार संगठन कुशलता का सहारा था। काफी माथापच्ची के बाद योगी आदित्यनाथ को सत्ता की कमान सौंपी गई। इससे पहले योगी की छवि हिदुंत्व के फारयब्रांड नेता के तौर पर थी। योगी ने अपने मंत्रिमंडल के साथियों के साथ 19 मार्च 2017 को शपथ ग्रहण की। यूपी में योगी सरकार के आज ढाई साल पूरे हो गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रति दुनिया का नजरिया पहले बेहद खराब था मगर अब यह पूरी तरह बदल चुका है। यह उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश को उसकी पहचान वापस दिलाना ‘मील का पत्थर’ है। इसके अलावा उन्होंने अन्य उपलब्धियों का भी जिक्र किया। 

भले ही योगी आदित्यनाथ ने अपनी तमाम उपलब्धियां गिना दी हों पर सच यही है कि अभी भी ऐसे कई कारण नजर आ जाते हैं जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश पिछड़ा हुआ है। हालांकि आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखा जाए तो योगी ने सड़क, स्वास्थ्य, क्राइम जैसे तमाम मुद्दों को छूने की कोशिश की और अपनी उपलब्धियों को भी बताया। लेकिन योगी आदित्यनाथ के लिए चुनौतियां अभी आगे भी हैं। काम के दृष्टिकोण से बात करें तो किसान एक बड़ा मुद्दा है। योगी आदित्यनाथ भले ही लाख दावे करते हो कि उनकी सरकार ने किसानों के ऋण माफ किए हैं। परंतु कई किसान ऐसे हैं जो आज भी यह कहते मिल जाएंगे कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई फायदा नहीं पहुंचा है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखा जाए तो गन्ना किसानों का बकाया अभी भी नहीं मिल पा रहा है। किसानों के लिए दूसरी परेशानी है सिंचाई। हाल फिलहाल में बिजली की दर बढ़ा उसकी वजह से किसानों में काफी नाराजगी है। अब बात बिजली की कर लेते हैं। योगी सरकार ने बिजली की दरें तो बढ़ा दीं पर कई लोगों की शिकायत है कि बिजली की उपलब्धता उनके यहां सामान्य ढंग से नहीं रहती। हाल में ही उत्तर प्रदेश के एक मंत्री ने विद्युत मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि उनके क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बाधित रहती है। 

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स्वास्थ्य के क्षेत्र में 2017 के मुकाबले गोरखपुर में 2018 और 2019 में जापानी बुखार का कहर देखने को नहीं मिला। परंतु लोगों को पूरे प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना आने वाले दिनों में एक बड़ी चुनौती है। योगी सरकार शुरुआत से यह कहती आई है कि वह राज्य में गड्ढा मुक्त सड़क कर देंगे पर सच यही है कि आज भी बड़े शहरों में भी गड्ढें दिख जाते हैं। फिर गांवों का क्या हाल होगा कहना मुश्किल है। योगी आदित्यनाथ बार-बार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून का पालन नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा वह यह भी कहते हैं कि अपराधी या तो सुधर जाएं या फिर प्रदेश के बाहर चले जाएं। लेकिन उन्नाव और शाहजहांनपुर की घटना ने उनकी पार्टी के साथ-साथ उनकी सरकार पर भी कई सवाल खड़े किए हैं। इसके अलावा विपक्ष लगातार यह कह रहा है, खास करके अखिलेश यादव कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है और सरकार चुपचाप मूकदर्शक बन बैठी है। सोनभद्र की घटना भी योगी आदित्यनाथ प्रशासन के लिए पोल खोलती है। राज्य में हत्या और बलात्कार की खबरें आती रहती हैं। 

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योगी आदित्यनाथ अब तक भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में कामयाब रहे हैं और अब तक उनकी सरकार पर कोई भी भ्रष्टाचार के दाग नहीं लगे हैं पर इसे आगे जारी रखना भी एक चुनौती है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए आने वाली राजनीतिक चुनौतियों की बात करे तो योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती तत्काल ही आने वाला हैं जब राज्य के 13 सीटों पर उपचुनाव होंगे। योगी सरकार जब से आई है तब से उपचुनाव में भाजपा का उत्तर प्रदेश में जीत का ग्राफ काफी खराब रहा है। ऐसे में भाजपा इसे सुधारना चाहेगी। इसके अलावा पार्टी संगठन में बदलाव हुआ है। महेंद्रनाथ पांडे की जगह स्वतंत्र देव सिंह को राज्य में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में यह देखना होगा दोनों मिलकर भाजपा को कैसे मजबूत कर पाते हैं। 

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