उन्नाव रेप कांड: विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद, 25 लाख का जुर्माना
अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) के तहत दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत लोकसेवक द्वारा एक बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया था। इस अपराध के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
उन्नाव रेप कांड में दोषी करार दिए गए भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने सेंगर पर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया है। सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि हमें नरमी दिखाने वाली कोई परिस्थिति नहीं दिखी, सेंगर लोक सेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया। कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने का भी निर्देश दिया। सेंगर ने जो भी किया, वह बलात्कार पीड़िता को डराने-धमकाने के लिए किया। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सोमवार को 2017 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के मामले में दोषी करार दिया था। इससे पहले कोर्ट ने “शक्तिशाली व्यक्ति” के खिलाफ पीड़िता की गवाही “सच्ची और बेदाग” माना है।
The Court also orders CBI to assess threat perception and offer the necessary protection to the victim and her family; CBI has also been directed to provide safe house to victim and her family. https://t.co/Y0DgUlOmvk
— ANI (@ANI) December 20, 2019
उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद सेंगर तीस हजारी जिला अदालत परिसर के अदालत कक्ष में रो पड़ा। उसकी बहन और बेटी भी साथ में रोते हुए दिखाई दिये। उसे सोमवार को मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद भी रोते हुए देखा गया था। न्यायाधीश ने सेंगर को सजा सुनाने में नरम रवैया अख्तियार करने की अर्जी को खारिज करते हुए कहा, ‘‘इस अदालत को ऐसी कोई परिस्थिति नजर नहीं आती जो गंभीरता कम करती हो। सेंगर जनसेवक था और उसने जनता से विश्वासघात किया।’’ अदालत ने यह भी कहा कि 53 वर्षीय सेंगर का आचरण बलात्कार पीड़िता को धमकाने का था।
पॉक्सो कानून में इस साल अगस्त में किए गए संशोधन इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि यह घटना 2017 में हुई थी। संशोधित कानून में मौत की सजा का प्रावधान है। हालांकि, जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने मामले में सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया। पॉक्सो अधिनियम के तहत सेंगर (53) को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और सेंगर पर इस विशेष कानून के तहत चलाया गया मुकदमा सही था।
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