बेमौसम बरसात से फसल हुई बर्बाद, अब क्या करें किसान ?

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मौजूदा समय में किसान गेहूं की फसल को काटने की तैयारी कर रहे थे, जबकि कुछ किसानों ने तो फसल काट ली थी लेकिन अचानक हुई बारिश ने किसानों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। ऊपर से बारिश के बाद ओलावृष्टि के चलते फसल बर्बाद हो गई।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के रोकथाम के लिए केंद्र सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है। जबकि दूसरी तरफ एक समस्या और है जो हिन्दुस्तान के किसानों को पिछले कुछ वक्त से परेशान कर रही है। आपको बता दें कि बेमौसम हुई बरसात और ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसल तबाह हो गई है। जबकि दूसरी तरफ किसान खड़ी फसल को काटे तो काटे कैसे। क्योंकि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। हालांकि सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की सेवाओं को जारी रखा है।

बेमौसम बरसात बनी आफत

बेमौसम बरसात के किसानों के लिए आफत लेकर आई है। पिछले चार महीनों से फसल को खड़ा करने में जुटे इन किसानों की मेहनत एक झटके में तबाह हो गई। बारिश ही नहीं ओलावृष्टि ने भी किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। बता दें कि जब फसल को काटने का समय नजदीक आया तो ओलावृष्टि की वजह से खड़ी फसल तबाह हो गई। खेतों में पानी भर गया। इतना ही नहीं अभी तक कोई मुआवजा भी इन किसानों को नहीं मिला है। 

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संकट के दौर से गुजर रहे किसान

मौजूदा समय में किसान गेहूं की फसल को काटने की तैयारी कर रहे थे, जबकि कुछ किसानों ने तो फसल काट ली थी लेकिन अचानक हुई बारिश ने किसानों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। ऊपर से बारिश के बाद ओलावृष्टि के चलते फसल बर्बाद हो गई। किसानों ने बताया कि जिन खेतों में फसले काटी जा चुकी है, वहां पड़े गेहूं के गट्ठर बारिश की वजह से खराब हो जाएंगे। ऐसे में पकी हुई फसल खुद-ब-खुद खराब हो जाएगी और वह हमारे कुछ काम नहीं आएगी। जिसका मतलब साफ है कि किसानों के मौजूदा समय किसी संकट से कम नहीं है।

किसानों को सरकार ने दी राहत

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत मोदी सरकार अप्रैल के पहले सप्ताह में इस योजना के तहत किसानों को 6,000  रुपए की पहली किस्त देने जा रही है। इस किस्त से किसानों के दुख तो समाप्त नहीं होगा लेकिन उन्हें थोड़ी राहत तो जरूर मिलेगी।

सरकार ने यह निर्णय उस वक्त लिया जब एक तरफ कोरोना वायरस जैसी महामारी से देश लड़ रहा है तो दूसरी तरफ बेमौसम बरसात से किसानों को काफी घाटा हुआ है। सरकार के इस निर्णय से 8.69 करोड़ किसानों को फायदा होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन सप्ताह की बंदी लागू करने के 36 घंटे के अंदर एक बड़े आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के तहत यह घोषणा करते हुए कहा कि ‘पीएम किसान के तहत किसानों को साल में 6,000 रुपए मिलते हैं। 

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आने वाले तीन दिन किसानों को पड़ सकते हैं भारी

मौसम विभाग ने दिल्ली एनसीआर और उत्तर पश्चिम भारत में बुधवार देर रात से अगले तीन दिनों तक हल्की बारिश और तेज हवाओं के कारण औसत तापमान में गिरावट की संभावना जताई है। मौसम विभाग की क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख वैज्ञानिक डा. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि शुक्रवार को पश्चिमी विक्षोभ का सर्वाधिक असर मौसम के मिजाज में बदलाव के कारण सामान्य औसत तापमान में तीन डिग्री तक गिरावट के रूप में दिखने का पूर्वानुमान है। इस दौरान शुक्रवार को दिल्ली और सीमावर्ती हरियाणा, पंजाब, उत्तरी राजस्थान एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश, 35 से 45 किमी प्रति घंटे की गति से तेज हवायें, धूल भरी आंधी और ओलावृष्टि भी हो सकती है।

अगर हम बेमौसम बरसात की बात करें तो 1 मार्च से लेकर 16 मार्च तक देश के 683 जिलों में से 381 जिलों में भारी बारिश हुई है और अगर हम इसे प्रदेश के मुताबिक देखें तो उत्तर प्रदेश के 74 जिलों में, मध्य प्रदेश के 21, छत्तीसगढ़ के 25, झारखंड के 24, बिहार के 38, पंजाब के 20, राजस्थान के 24, हरियाणा के 21, पश्चिम बंगाल के 16, गुजरात के 16, और तेलंगाना के 14 जिलों में काफी ज्यादा बरसात हुई और इस बरसात की वजह से ओले भी गिरे। जिसके चलते खड़ी फसल जमीन पर बिछ गई। 

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ओलावृष्टि की वजह से ये फसल तो बर्बाद हो ही गई साथ ही साथ बची हुई कसर कोरोना वायरस ने पूरी कर दी। वायरस को बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अगली फसल अपने तय समय से तैयार नहीं हो पाएगी।

गंन्ना किसान भी हैं परेशान

कोरोना वायरस नामक महामारी की वजह से देश में 21 दिन का लॉकडाउन है जिसकी वजह से गन्ना किसानों को न तो मजदूर मिल पा रहे हैं और न ही वह शुगर मिल तक क्षमतानुसार गन्ने मिल पा रहे हैं। ज्यादातक मजदूर मध्य प्रदेश, बिहार और बंगाल से आते थे और वह पहले पश्चिम उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई में साथ देते थे फिर वह पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में जाकर फसलों की कटाई करते थे लेकिन साल 2020 की मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अभी न तो किसानों को मजदूर मिलने वाले हैं और न ही बेमौसम बरसात अभी रुकती हुई दिखाई दे रही है। फिलहाल किसानों की उम्मीदें सरकार से बढ़ती जा रही है कि उन्हें उनके द्वारा कोई राहत पैकेज मुहैया कराया जाएगा।

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