उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 170 नए मामले दर्ज, भातखण्डे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय के अंतर्गत नवीन पाठ्यक्रम शुरू होंगे

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अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि विगत 24 घण्टों में 110 लोग तथा अब तक कुल 20,47,705 लोग कोविड-19 से ठीक हुए हैं। उन्होने बताया कि प्रदेश में कोरोना के कुल 856 एक्टिव मामले है। प्रसाद ने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य निरन्तर किया जा रहा है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने आज बताया कि प्रदेश में कल एक दिन में कुल 1,13,385 सैम्पल की जांच की गयी। कोरोना संक्रमण के 170 नये मामले आये हैं। प्रदेश में अब तक कुल 11,01,36,852 सैम्पल की जांच की गयी हैं। उन्होंने बताया कि विगत 24 घण्टों में 110 लोग तथा अब तक कुल 20,47,705 लोग कोविड-19 से ठीक हुए हैं। उन्होने बताया कि प्रदेश में कोरोना के कुल 856 एक्टिव मामले है। प्रसाद ने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। प्रदेश में कल 19 अप्रैल, 2022 को एक दिन में 5,24,433 वैक्सीन की डोज दी गयी है। उन्होने बताया कि प्रदेश में कल तक 18 वर्ष से अधिक लोंगों को कुल पहली डोज 15,28,71,204 तथा दूसरी डोज 12,77,95,244 दी गयी। उन्होंने बताया कि 15 से 17 वर्ष आयु वर्ग को कल तक कुल पहली डोज 1,32,09,770 तथा दूसरी डोज 86,38,620 दी गयी है। 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग को कल तक कुल पहली डोज 35,32,267 व 10,541 को दूसरी डोज दी गयी। कल तक 26,23,134 प्रीकॉशन डोज दी गयी है। उन्होंने बताया कि कल तक कुल मिलाकर 30,86,80,780 वैक्सीन की डोज दी गयी है। 

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राष्ट्रीय शिशिक्षु रोजगार मेला

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत प्रदेश सरकार द्वारा अप्रेंटसशिप करिए आत्मनिर्भर बनिए व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम, उद्यम द्वारा अप्रेटसशिप मेले का आयोजन किया जा रहा है। उप शिक्षुता सलाहाकार आर0एन0 त्रिपाठी ने बताया कि आईटीआई, लखनऊ में यह अप्रेंटसशिप मेला प्रत्येक जनपद के नोडल आईटीआई में आयोजित किया जा रहा है। अप्रेंटसशिप मेला 21 अप्रैल 2022 प्रातः 10.30 बजे से आयोजित होगा। इस अप्रेंटसशिप मेले मे प्रतिभाग करने की न्यूनतम योग्यता 5वीं उत्तीर्ण तथा न्यूनतम आयु 14 वर्ष है। इस मेले में पूर्व प्रशिक्षण या अनुभव आवश्यक नही है। अप्रेंटसशिप ट्रेनिंग के दौरान प्रति माह कम से कम 7000 रूपये का भुगतान किया जाता है। सहायक शिक्षुता सलाहाकार एम.ए.खाँ ने बताया कि आईटीआई लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय शिशिक्षु रोजगार मेला में प्रतिभाग करने वाली कम्पनियों की संख्या 80 पहुंच रही है। जिसमें विभिन्न प्रकार की शैक्षिक व तकनीकि योग्यता निर्धारित की गयी है। इस अप्रेटसशिप मेले में प्रमुख ट्रेड्स व सेक्टर में फिटर, इलेक्ट्रीशियन, मशीनिस्ट, वेल्डर, मेसन, इलेक्ट्रानिक्स, रेफ्रिजरेशन व ए.सी. टेक्नीशियन, आटोमोबाइल टेक्नीशियन, कंप्यूटर व डाटा एंट्री ऑपरेटर, ट्रैवल व टूरिज्म ऑपरेटर, हॉस्पिटेलिटी सेक्टर्स है।

राष्ट्रीय शिशिक्षु मेला

प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास कपिल देव अग्रवाल कल 21 अप्रैल, 2022 को राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, अलीगंज, लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय शिशिक्षु मेला में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करेंगे। यह मेला पूर्वान्हन 10:30 बजे से आयोजित किया जायेगा। यह राष्ट्रीय शिशिक्षु मेला प्रदेश के सभी 75 जनपदों में आयोजित किया जा रहा है।

दिव्यांगजन के लिए आश्रय गृह सह प्रशिक्षण केंद्र

निदेशालय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उ0प्र0 द्वारा मानसिक मंदित तथा मानसिक रूप से रूग्ण निराश्रित दिव्यांगजन हेतु आश्रय गृह सह प्रशिक्षण केन्दों के संचालन हेतु स्वैच्छिक संगठनों को सहायता प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गयी है, के क्रम में जनपद लखनऊ में निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 एवं दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 के अन्तर्गत पंजीकृत जनपद के स्वैच्छिक संगठन जो मानसिक मंदिता के क्षेत्र में अनुभव तथा उक्त योजना हेतु पात्रता रखते हों के लिए आवेदन आमंत्रित किये जा रहे है। उक्त जानकारी जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, लखनऊ कमलेश कुमार वर्मा ने देते हुए बताया कि पूर्ण विवरण दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग उ0प्र0 की वेबसाइट http://hwd.up.nic.in पर प्राप्त की जा सकती है। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि इच्छुक स्वैच्छिक संस्थाओं से मानसिक मंदित तथा मानसिक रूप से रूग्ण निराश्रित दिव्यांगजन के लिए आश्रय गृह सह प्रशिक्षण केन्द्र के संचालन हेतु सहायता योजनार्न्तगत वित्तीय वर्ष-2022-23 के लिए अनुदान प्रस्ताव विलम्बतम् 30 जून, 2022 तक कार्यालय जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, पंचायत भवन परिसर, कैसरबाग, लखनऊ में 03 प्रतियों में प्रस्ताव उपलब्ध कराया जाये।

″विश्व दिव्यांग दिवस‟ के अवसर पर राज्य स्तरीय पुरस्कार हेतु करे आवेदन

कमलेश कुमार वर्मा, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, लखनऊ द्वारा अवगत कराया गया है कि 03 दिसम्बर 2022 को ″विश्व दिव्यांग दिवस‟ के अवसर पर दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं आदि को राज्य स्तरीय पुरस्कार दिये जाने हेतु आवेदन-पत्र आमंत्रित किये गये है। नियमावली में राज्य पुरस्कारों हेतु 12 विभिन्न श्रेणियों की व्यवस्था की गयी है। राज्य स्तरीय पुरस्कार में दक्ष दिव्यांग कर्मचारी/स्वनियोजित दिव्यांगजन के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार, दिव्यांगजन हेतु सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता तथा सर्वश्रेष्ठ प्लेसमेंट अधिकारी या एजेंसी के लिए सेवायोजकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार, दिव्यांगजन के निमित्त कार्यरत सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति तथा सर्वश्रेष्ठ संस्था के लिये राज्य स्तरीय पुरस्कार, प्रेरणास्त्रोत हेतु राज्य स्तरीय पुरस्कार, दिव्यांगजन के जीवन सुधारने के निमित्त सर्वश्रेष्ठ नवीन अनुसंधान या उत्पाद विकास के लिये राज्य स्तरीय पुरस्कार, दिव्यांगजन हेतु बाधामुक्त वातावरण के सृजन हेतु सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार, दिव्यांगजन को पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने वाले सर्वश्रेष्ठ जिला के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ सृजनशील दिव्यांग व्यस्क व्यक्तियों एवं सर्वश्रेष्ठ बालक/बालिका हेतु राज्य स्तरीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ ब्रेलप्रस के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार, दिव्यांगजन के लिए सर्वोत्तम अनुकूल वेबसाइट हेतु राज्य स्तरीय पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार तथा दिव्यांगजन के सशक्तीकरण हेतु कार्यरत अधिकारी/कर्मचारी के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार की श्रेणियों को प्रदान किये गये है। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि सम्बन्धित श्रेणी के पुरस्कारों हेतु आवेदन पत्र का निर्धारित प्रारूप (जो कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, उ0प्र0 की वेबसाइट hwd.up.nic.in पर उपलब्ध है)। इच्छुक व्यक्ति एवं स्वैच्छिक संस्थान ̎राज्य स्तरीय पुरस्कारˮ हेतु आवेदन पत्र पूर्ण विवरण/अभिलेखों/प्रपत्रों सहित 02 प्रतियों में किसी भी कार्य दिवस में कार्यालय जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, जिला पंचायत भवन परिसर, कैसरबाग, लखनऊ में दिनांक 15 जुलाई, 2022 तक जमा कर सकते है। 

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एडाप्ट हेरिटेज पालिसी के अंतर्गत 9 राज्य संरक्षित स्मारकों के रख-रखाव हेतु स्मारक मित्र बनाये जाएंगे

संस्कृति विभाग के अंतर्गत एडाप्ट हेरिटेज पालिसी के अंतर्गत 9 राज्य संरक्षित स्मारकों पर रूचि की अभिव्यक्ति के द्वारा स्मारक मित्र बनाये जाने की योजना है। राज्य संरक्षित स्मारकों के रख-रखाव हेतु इन स्मारक मित्रों की अहम भूमिका होगी। यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि स्मारक मित्र बनाये जाने के लिए स्मारकों को चिन्हित कर पी0पी0पी0 मॉडल पर इनका संरक्षण किया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत संरक्षित स्मारकों में साइनेजेस, दिव्यांगजनों हेतु रैम्प एवं लाकिंग टाइल्स आदि का कार्य भी कराया जायेगा। पर्यटन मंत्री ने यह भी बताया कि पुरातत्व विभाग द्वारा आगा खॉन ट्रस्ट फॉर कल्चर नई दिल्ली के साथ संरक्षित स्मारक छतर मंजिल एवं फरहत बक्श कोठी के पुर्नउपयोग की कार्य योजना भी बनाई जायेगी। पुरातत्व द्वारा संरक्षित स्मारक छतर मंजिल एवं फरहत बक्श कोठी का जीर्णोद्वार कराकर पर्यटकों के लिए खोला जायेगा। उन्होंने बताया कि बदले हुए परिवेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश में कई योजनायें तैयार की गई है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से कार्य कराया जा रहा है। जयवीर सिंह ने बताया कि लखनऊ में बहुत से प्राचीन एवं धार्मिक तथा ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं। इनको देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते रहते हैं। पर्यटकों को लखनऊ के दर्शनीय स्थलों की ओर आकर्षित करने के लिए पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा योजनायें बनायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के आने से जहॉ एक ओर राजस्व अर्जन होगा वहीं दूसरी ओर परोक्ष एवं अपरोक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित होगें।

भातखण्डे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय के अंतर्गत नवीन पाठ्यक्रम शुरू होंगे

संस्कृति विभाग के अंतर्गत भातखण्डे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय के अंतर्गत नवीन पाठ्यक्रमों की शुरूआत की जायेगी। प्रदेश की अमूर्त सांस्कृतिक विधाओं के पाठ्यक्रम चलाये जाने की शुरूआत भी की जायेगी, जिसमें शास्त्रीय वादन, गायन, नृत्य, विभिन्न लोक नृत्य एवं गायन ललित कलाओं के साथ ही पारम्परिक वेशभूषा आदि को शामिल किया जायेगा। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने देते हुए बताया कि संस्कृति विभाग के अंतर्गत ही राज्य ललित कला अकादमी में कलाकृति विक्रय केन्द्र की स्थापना भी की जायेगी, जिससे कलाकारों को आर्थिक सहायता प्राप्त होगी और कलाकृतियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी लोगों तक पहुंच सकेगी।

समर टेनिंग व इंटर्नशिप

डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग के छात्रों को समर टेªनिंग और इंटर्नशिप देगा। प्रशिक्षण के दौरान छात्र इंजीनियरिंग के उभरते नये क्षेत्रों से परिचित होंगे। चार से छह सप्ताह के इस समर प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीटेक, एमटेक और एमसीए के छात्र शामिल होंगे। माननीय कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र का प्रयास है कि छात्रों को इंजीनियरिंग के उभरते नये क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाए। जिससे कि उन्हें रोजगार के तमाम अवसर मिल सके। इसी क्रम में उनके निर्देशन में सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज की ओर से समर टेनिंग और समर इंटर्नशिप का आयोजन किया जा रहा है। 4 से 6 सप्ताह के इस कोर्स के दौरान छात्रों को इंजीनियरिंग के नये आयामों के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। विशेषज्ञ छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन, नैनो टेक्नोलॉजी एंड नैनो मैटेरियल्स, एनर्जी टेक्नोलॉजी, कोरोसिन प्रिवेंशन, साइबर सिक्योरिटी, सोलर टेक्नोलॉजी, थ्री डी प्रिंटिंग व एडिटिव मनफ, एनर्जी स्टोरेज डिवाइसेस सेंसर्स, इलेक्टोलेस मेटल डिपोसिसन, इंटरनेट ऑफ थिन्ग्स की जानकारी देंगे। माननीय कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र ने कहा कि छात्रों को खुद को उद्योग एवं कंपनियों की मांग के अनुसार तैयार करना होगा। इंजीनियरिंग के नये क्षेत्रों के बारे में जब तक छात्र नहीं जानेंगे तब तक उनके लिए रोजगार के अवसर की कमी रहेगी। उन्होंने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुए एकेटीयू ने इस तरह के शॉर्ट टर्म कोर्स और प्रशिक्षण का कार्यक्रम बनाया है। जिससे कि छात्रों को रोजगार मिलने में किसी भी प्रकार की कठिनाई न आये। सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक प्रो0 एमके दत्ता ने बताया कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अब नई चीजें भी जुड़ गयी हैं। ऐसे में इंजीनियरिंग के छात्रों को तैयार करने के लिए इस तरह के कोर्स कराये जा रहे हैं। डॉ0 अनुज शर्मा ने बताया कि छात्रों के लिए एक जून से 10 अगस्त के बीच चार से छह सप्ताह का प्रशिक्षण इंटर्नशिप दिया जाएगा। बीटेक, एमटेक और एमसीए के छात्र इस प्रशिक्षण व इंटर्नशिप में भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि छात्रों को इसमें भाग लेने के लिए रजिस्टेªशन कराना होगा, जो कि निःशुल्क है। आवेदन की अंतिम तिथि 20 मई तय की गयी है।

मत्स्य पालकों की आय को दोगुनी करने व रोजगार सृजन में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना काफी मददगार

मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना को राज्य सरकार प्रभावी ढंग से संचालित कर रही है। यह योजना प्रदेश में आगामी वर्ष 2025 तक लागू रहेगी। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा का उद्देश्य मात्स्यिकी उत्पादन में विस्तारीकरण, सघनता, विविधीकरण के माध्यम से वृद्धि करना एवं भूमि व जल का उपजाऊ उपयोग करने के साथ ही मूल्य संवर्द्धित श्रृंखला का आधुनिकीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं मत्स्य निकासी के बाद के प्रबन्धन व गुणवत्ता में सुधार के साथ ही मछुओं व मत्स्य पालकों की आय को दोगुनी करना व रोजगार सृजन करना है। मत्स्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत मछुआ, मत्स्य पालक, मछली कार्यकर्ता एवं मत्स्य विक्रेता, उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम लिमिटेड, मात्स्यिकी क्षेत्र के स्वयं सहायता समूह, मात्स्यिकी क्षेत्र की सहकारी समितियां, मात्स्यिकी क्षेत्र के संघ, उद्यमी एवं निजी फर्म, फिशफार्मर प्रोड्यूशर आर्गेनाईजेशन/कम्पनीज, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला एवं निःशक्तजन, राज्य सरकार की कार्यान्वयन संस्थायें तथा राज्य मात्स्यिकी विकास बोर्ड आदि लाभार्थी हो सकते हैं। 

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कैप्टन मनोज पाण्डेय के उत्कृष्ट बलिदान को किया याद

प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने आज कारगिल युद्ध के महानायक, परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद मनोज कुमार पाण्डेय के परिजनों से मुलाकात की तथा स्व0 मनोज पाण्डेय के पिता गोपीचन्द्र पाण्डेय को शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया। स्व0 पाण्डेय के गोमतीनगर स्थित आवास पर उनके पिता गोपीचन्द्र पाण्डेय से मुलाकात के दौरान रजनी तिवारी ने कहा कि सदियों के पुण्य जब फलित होते हैं तब किसी को मनोज जैसे पुत्र का माता-पिता होना नसीब होता है। उन्होंने कहा कि मनोज का बलिदान भारतीय सेना की गौरवशाली परम्परा एवं शौर्य गाथा में एक उत्कृष्ट अध्याय है जिसे हमेशा याद किया जायेगा। ज्ञात हो कि कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन मनोज पाण्डेय ने शत्रु सेना के समक्ष अद्भुत पराक्रम का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये थे। भारत सरकार ने उनकी वीरता को परमवीर चक्र देकर सम्मानित किया था।

प्रदेश सरकार के सुव्यवस्थित बाढ़ बचाव कार्य से प्रदेश में कहीं बाढ़ की स्थिति नहीं आई

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश के सिंचाई व बाढ़ नियन्त्रण विभाग द्वारा वर्षाकाल से पूर्व तटबन्धों पर सुरक्षित स्तर तक परियोजना व अनुरक्षण कार्य कराये जाने के साथ-साथ सतत चौकसी बरतने, तटबंधों पर पेट्रोलिंग करने एवं क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा समितियॉ बनाकर उनसे लगातार समन्वय स्थापित करने तथा जहॉ कहीं भी तटबन्ध में कटान की सूचना प्राप्त हुई वहॉ द्रूत गति से फ्लड फाइटिंग कार्य किया गया। सरकार द्वारा त्वरित गति से किये गये कार्यों के फलस्वरूप तटबंधों के क्षतिग्रस्त होने के कारण जल प्लावन, जन धन की हानि एवं फसलों की हानि लगभग शून्य हो गई। तटबंध के किनारे बसी जनता ने पहली बार अपने आपको वर्षाकाल में भी सिंचाई विभाग की उक्त कार्य प्रणाली के कारण अपने को सुरक्षित महसूस किया। प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान नदियों के कैचमेण्ट में अतिवृष्टि होने की दशा में नदियों के विभिन्न स्थानों पर जलग्रहण करने से लेकर उ0प्र0 की सीमाओं में विभिन्न स्थानों पर पड़ने वाले स्थानों का उच्च स्तर पर अनुरक्षण कर जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों को बाढ़ से निपटने की तैयारियों के लिए चेतावनी दी गयी थी। इस कार्य प्रणाली के कारण उ0प्र0 की सीमाओं से सटे हुए प्रदेशों एवं नेपाल राष्ट्र में अतिवृष्टि के फलस्वरूप यमुना, चम्बल, केन, बेतवा, रिहन्द, घाघरा (सरयू) राप्ती, रोहिन, गण्डक, गंगा में प्रवाहित होने वाले 22 लाख क्यूसेक तक के डिस्चार्ज को भी सुगमता से उ0प्र0 की सीमाओं में परिवहन किया गया जबकि उक्त अतिवृष्टि के कारण प्रदेश से लगे हुए राज्य यथा हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, बाढ़ की विभीषिका से बुरी तरह त्रस्त हुए थे। इस वर्ष भी वर्तमान समय में नदियों में भारी जल प्रवाह का सुगमतापूर्वक परिवहन हो रहा है। सरकार की सुव्यवस्थित सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा दिन-रात सतत निगरानी की जा रही है। संवेदनशील स्थलों पर आवश्यकतानुसार तत्काल कार्य कराकर सुरक्षित किया जाता रहा है। प्रदेश में बाढ़ की स्थिति नियन्त्रण में रही। प्रदेश सरकार द्वारा अभूतपूर्व कदम उठाते हुए प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के जलप्लावन को न्यून करने के उद्देश्य से समस्त ड्रेनों की सफाई कराये जाने का अभियान प्रारम्भ किया गया है, जो इससे पूर्व कभी नहीं हुआ था। इसके अंतर्गत सिंचाई विभाग की डेªनों को पूर्ण लम्बाई में सफाई करायी जा रही है। इस कार्यक्रम में डेªन पर क्षतिग्रस्त पुल/पुलियों की मरम्मत व रंग-रोगन कराया जा रहा है। इस अभिनव अभियान की प्रदेश की जनता द्वारा स्वागत किया जा रहा है। यह कार्य पूर्ण होने से ग्रामीण क्षेत्रों में जलप्लावन न्यून हुआ है।

नदियों में वर्षाकाल के समय अत्यधिक मात्रा में सेडीमेन्टेशन ले जाने के कारण शोल के निर्माण के फलस्वरूप नदी के बैकों पर अत्यधिक दबाव को कम करने के दृष्टिगत शोल के मध्य चैनलाईजेशन का कार्य डेªजर द्वारा करने से नदी के बैकों में कटान को न्यूनतम किया जा रहा है। जनपद गोण्डा में घाघरा नदी पर स्थित एल्गिन-चरसरी तटबंध, जनपद बलरामपुर में ग्राम-चन्दापुर, जनपद बस्ती में कलवारी रामपुर एवं कटरिया चॉदपुर, जनपद गोरखपुर में खड़गपुर, साहपुर, सोपाई, भग्ने एवं मलौनी ग्राम के निकट लहसड़ी, जनपद कुशीनगर में अहिरौलीदान के निकट ड्रेजिंग के कार्य सफल रहे हैं। डेªजिंग के फलस्वरूप वर्षाकाल में बॉधों पर दबाव न्यूनतम रहते हुए वर्षाकाल के उपरान्त उक्त क्षेत्र में सिल्टेशन होना दृष्टिगत हुआ है, जिससे कृषि भूमि का रिस्टोरेशन हुआ है। प्रदेश सरकार ने बाढ़ के समय तटबन्धों के रेनकट्स, गड्ढे, रैटहोल एवं कटान आदि ठीक किये हैं एवं वर्षा के अवधि में जो भी रेनकट्स हुए उन्हें तत्काल ठीक कराया गया। संवेदनशील/अतिसंवेदनशील स्थलों पर रिजर्व स्टॉक की पूर्ण व्यवस्था की गयी। बाढ़ चौकियां क्रियाशील रहीं, जहॉ से भी कटान की सूचना प्राप्त हुयी, उस पर तत्काल एवं त्वरित कार्यवाही की गयी। प्रदेश में 48 स्थानों पर 24 घण्टे बाढ़ नियंत्रण कक्ष 15 जून से 15 अक्टूबर तक क्रियाशील रहे। बाढ़ सूचनाओं की चेतावनी ;।समतजद्ध हेतु 113 बेतार केन्द्र क्रियाशील रहे। अतिसंवेदनशील स्थलों जिन पर बाढ़ परियोजनाएं स्वीकृत नहीं रही, उन पर अनुरक्षण मद से यथा आवश्यक कार्य कराकर सुरक्षा प्रदान की गयी जिन स्थानों पर नदी द्वारा कटान किया गया, वहॉ त्वरित गति से फ्लड फाइटिंग का कार्य कराये गये। संवेदनशील स्थलों पर अधिकारियों द्वारा कैम्प कर अनुश्रवण किया गया। सभी अतिसंवेदनशील स्थलों/तटबन्धों पर जनरेटर, लाइट, पेट्रोमेक्स एवं गार्डों द्वारा निगरानी की व्यवस्था की गयी। विभाग द्वारा जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर बाढ़ बचाव कार्य कराये गये, जिससे प्रदेश में कही बाढ़ की स्थिति नहीं आई। प्रदेश में बाढ़ प्रभावित 24 जनपद अतिसंवेदनशील एवं 16 जनपद संवेदनशील जनपद हैं। बाढ़ से बचाव हेतु विभिन्न नदियों पर 523 तटबन्ध (लम्बाई 3869.00 किमी0) निर्मित है। सिंचाई विभाग के अंतर्गत 10675 नाले (लंबाई लगभग 59212.00 कि0मी0) है। इस वर्ष 2021-22 में 23043 किमी0 नालों की सफाई की गई है। वर्ष 2021-22 में 166 बाढ़ परियोजनाएं पूर्ण की गयी। वर्षाकाल में तटबन्धों की लगातार निगरानी व आकस्मिक स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल बचाव/सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है। उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों एवं नेपाल राष्ट्र से आने वाली नदियों के दृष्टिगत पड़ोसी राज्यों, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश से समन्वय एवं नेपाल राष्ट्र से बाढ़ प्रबन्धन हेतु समन्वय किया गया। जिसके कारण बाढ़ नियंत्रण में रही।

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