उत्तराखंड में लोकायुक्त संबंधी फाइल राजभवन ने लौटाई

[email protected] । Aug 30 2016 5:08PM

उत्तराखंड सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए राज्यपाल ने लोकायुक्त तथा उसके सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में राजभवन को मंजूरी के लिये भेजी गयी फाइल लौटा दी है।

देहरादून। उत्तराखंड सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए राज्यपाल डॉ. कृष्णकांत पाल ने चयन समिति तथा खोज समिति के स्तर पर नियमों का पालन न किये जाने का हवाला देते हुए लोकायुक्त तथा उसके सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में राजभवन को मंजूरी के लिये भेजी गयी फाइल लौटा दी है। राजभवन सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की और बताया कि लोकायुक्त नियुक्ति संबंधी फाइल का अध्ययन करने के बाद राजभवन ने गत 26 अगस्त को राज्य सरकार को उसे वापस भेज दिया।

फाइल वापस करते हुए राज्यपाल ने राज्य सरकार को सलेक्शन कमेटी और सर्च कमेटी से संबंधित से संबंधित कार्यवाही नये सिरे से नियमानुसार करने के निर्देश भी दिये हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2011 में भुवन चंद्र खंडूरी सरकार द्वारा लाये गये भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े लोकायुक्त विधेयक को राज्य विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित होने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी भी मिल गयी थी। लेकिन वर्ष 2012 में विजय बहुगुणा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही उसके कुछ प्रावधानों को गलत बताते हुए उसे रद्द कर दिया और उसकी जगह एक नया लोकायुक्त कानून बनाया। हालांकि, इस नये कानून के तहत भी प्रदेश में पिछले चार साल से लोकायुक्त के गठन का मामला लगातार लटकता रहा और इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हो पायी।

राज्य सरकार ने पिछले महीने सलेक्शन कमेटी और सर्च कमेटी द्वारा लोकायुक्त तथा उसके सदस्यों के पदों पर तय किये गये नामों का पैनल राजभवन को भेजा था। हालांकि, तय किये गये नामों पर आपत्ति व्यक्त करते हुए मुख्य विपक्षी भाजपा ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया था कि सर्च कमेटी में शामिल एक सदस्य का नाम गाजियाबाद में हुए पीएफ घोटाले में सामने आया था जबकि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर शुरू हुई पीएफ घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई ने उच्च न्यायालय के उन सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेसीएस रावत से भी पूछताछ की थी जिनके नाम की सिफारिश लोकायुक्त बनाने के लिये की गयी है।

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