Prabhasakshi NewsRoom: Loksabha Elections से पहले VHP देशभर में चलायेगी धर्मांतरण विरोधी और घर वापसी अभियान

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हम आपको बता दें कि यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कह कर संघ परिवार को हमलावर होने का मौका दे दिया है।

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले विश्व हिंदू परिषद ने एक बड़ा देशव्यापी अभियान चलाने का फैसला किया है जिसके तहत इस साल दीवाली से पहले धर्मांतरण के खिलाफ और जबरन धर्म परिवर्तन कर चुके हिंदुओं की 'घर वापसी' के लिए देशव्यापी अभियान चलायेगी। हरिद्वार में कृष्णनिवास आश्रम में बृहस्पतिवार को शुरू हुई विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक में जबरन धर्मांतरण पर विस्तार से चर्चा के बाद यह अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। हम आपको बता दें कि इस बैठक में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय सहित देश भर से आए करीब ढाई सौ प्रमुख साधु संत तथा विहिप के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं जिसमें दो दिन तक भूमि जिहाद, धर्मांतरण, घर वापसी, ‘लिव इन’, समलैंगिक विवाह, हिंदु मंदिरो के अधिग्रहण और वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकारों पर चर्चा की जाएगी।

महत्वपूर्ण मुद्दे

हम आपको बता दें कि यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कह कर संघ परिवार को हमलावर होने का मौका दे दिया है। इसके अलावा, केरल में मंदिरों का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने एक परिपत्र जारी कर अधिकारियों से कहा है कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ‘शाखाओं’ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी उसके पहले के आदेश का सख्ती से पालन करें।

संत समाज की चिंता

बताया जा रहा है कि बैठक के उद्घाटन सत्र में धर्मांतरण पर गंभीर चिंता जताई गयी जहां संतों ने मुसलमानों तथा इसाई मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर किये जा रहे धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए हिंदु समाज में चेतना लाने की जरूरत बताई। विहिप के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि देश भर मे हिंदुओं का धर्मांतरण चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि संत चाहते हैं कि धर्मपरिवर्तन कर चुके हिंदुओं की घर वापसी के लिए जनजागरण शुरू किया जाये। आलोक कुमार ने कहा कि इसके लिए दीवाली से 15 दिन पहले साधु-संत देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की बस्तियों, वनवासी एवं आदिवासी क्षेत्रों में जायेंगे और वहां रूक कर न केवल धर्मांतरण को रोकेंगे बल्कि धर्मपरिवर्तन कर चुके हिन्दुओं की घर वापसी भी कराएंगे। बैठक की अध्यक्षता करने वाले जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने संवाददाताओं को बताया कि बैठक़ में संतों ने ‘लिव इन’ और समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की कोशिश को सनातन संस्कृति पर कुठाराघात बताया। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू समाज में विवाह एक पवित्र संस्था है और समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देना देश की संस्कृति और संस्कारो का अपमान होगा।’’ संतों ने बैठक में केंद्र सरकार से समलैंगिक विवाह के खिलाफ कानून बनाने की मांग भी की।

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इस बीच, विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने बताया कि बैठक में कुल चार सत्र होंगे और दूसरे दिन अंतिम सत्र में चर्चा के बाद कुछ प्रस्ताव पारित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिन्दू समाज में लिव इन और समलैंगिकता जैसी विकृतियां बढ़ती जा रही हैं, जिन्हें कैसे दूर कर आने वाली पीढ़ी को बचाया जाये, इस मुद्दे पर भी चर्चा के बाद प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, बैठक में अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर के लोकार्पण की तारीख पर भी चर्चा की जा सकती है।

अयोध्या में मंदिर कब तक पूर्ण होगा?

वैसे अयोध्या मे बन रहे रामजन्म भूमि मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और उसके लोकार्पण की अभी कोई तिथि तय नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद है कि इस साल 31 दिसंबर से अगले वर्ष के शुरू में 15 जनवरी के बीच किसी शुभ दिन ऐसा किया जा सकता है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने यह जानकारी दी। विश्व हिंदू परिषद मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हिस्सा लेने आए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि अभी अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लोकार्पण की तारीखें केवल मीडिया में ही चर्चा में हैं और इस बारे में अभी न्यास में कोई बात नहीं हुई है। उन्होंने अयोध्या में हो रहे राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की प्रगति को उत्साहवर्धक बताया और कहा कि इस साल के अंत तक मंदिर के भूतल का कार्य पूरा हो जायेगा। राय ने उम्मीद जताई कि इसके बाद 31 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच किसी ‘शुभ दिन’ भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में हो जाएगी।

हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘अभी मंदिर ट्रस्ट में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख पर कोई चर्चा नहीं हुई है। संतों से विचार विमर्श कर प्राण प्रतिष्ठा तथा मंदिर के लोकार्पण का कार्यक्रम तय किया जाएगा।’’ उन्होंने बताया कि मंदिर पूरब से पश्चिम तक 380 फुट लंबा, दक्षिण से उत्तर की ओर 250 फुट चौड़ा है जबकि जमीन से शिखर तक मंदिर की ऊंचाई 161 फुट है। केवल ग्रेनाइट से बन रहे मंदिर के चबूतरे की ऊंचाई 16 फुट रखी गयी है जबकि मंदिर में तीनों मंजिलों में कुल 392 खंभे लगे हैं। राय ने कहा कि मंदिर निर्माण में कहीं भी लोहे और कंक्रीट का उपयोग नहीं किया गया है तथा केवल पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है जिन्हें तांबे की पत्तियों से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर जब बन कर तैयार होगा तो देखने वालों के लिए अद्भुत और आश्चर्जनक होगा।

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