रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, सुभाष चन्द्र बोस का बंगाल फिर से बनाने की है आवश्यकता: दिलीप घोष

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[email protected] । Jul 19 2019 9:15PM

अभी पंचायत चनाव में भी वहां लोगों को जलाया गया। इन घटनाओं को वहां के मीडिया ने स्थान नहीं दिया। जबकि इस पर मीडिया में व्यापक चर्चा होनी चाहिए, इसलिए यहां यह सेमिनार आयोजित किया गया है।

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक टकराव विषय पर ‘ब्लीडिंग बंगाल’ पुस्तक का विमोचन किया गया। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक के विमोचन पर यहां नेहरू मेमोरियल सेमिनार हाल में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने इस विषय पर परिचर्चा की। पुस्तक में जे.नंद कुमार, असिम कुमार मित्रा व संजोय सोम ने आलेख व तथ्य संग्रहित किए है। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के महासचिव मनोज वर्मा ने बताया कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है समाज में हो रही घटनाओं पर यह मूक दर्शक हो कर नहीं बैठ सकता। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के सातों चरणों में पश्चिम बंगाल में जिस तरह हिंसा में कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई, यह लोकतंत्र पर सवालिया निशान खड़ा करता है। अभी पंचायत चनाव में भी वहां लोगों को जलाया गया। इन घटनाओं को वहां के मीडिया ने स्थान नहीं दिया। जबकि इस पर मीडिया में व्यापक चर्चा होनी चाहिए, इसलिए यहां यह सेमिनार आयोजित किया गया है।

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वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता ने बताया कि बंगाल में लोकसभा चुनाओं के दौरान जहां बीजेपी, सीपीएम व कांग्रेस का समर्थन अधिक था वहां पूरे के पूरे गांवों को वोट देने से रोका गया। वहां के लोकल मीडिया ने ममता बनर्जी सरकार विरुद्ध जाने वाली मीडिया रिपोर्ट को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर रखा है। मीडिया को वहां लोकतंत्र को बचाने के लिए प्रमाणिकता, निर्भयता से अपनी संवेदना को जगाना होगा कि बंगाल में हो क्या रहा है? प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बंगाल की कानून व्यवस्था वहां की राज्य सरकार के हाथों में वहां की किसी भी अप्रिय घटना के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होनी चाहिए, लेकिन वहां की सरकार द्वारा राजनीतिक हिंसा की घटनाओं के लिए ठीक से कार्यवाही नहीं हो रही। बंगाल की जनता हिंसा करने वालों पर विश्वास नहीं करती, इतनी हिंसा के बावजूद भी बीजेपी का वोट प्रतिशत 10 से 40 तक हो गया है, वहां की सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। लाहिड़ी ने चिंता जताते हुए कहा कि आज बंगाल की चर्चा दूसरे कारणों से हो रही है, यह वहां की छवि के लिए हानिकारक है। जिससे वहां पूंजी निवेश, व्यापार और रोजगार की समस्या खड़ी हो रही है।

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पश्चिम बंगाल से सांसद दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल पूर्व काल से भारत में अग्रणी रहा है ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे ज्यादा बंगाली लोग अंग्रेजों के खिलाफ लोकतंत्र के लिए लड़े थे लेकिन आज यहां उल्टा हो रहा है लोकतंत्र को खत्म करने के लिए लड़ रहे हैं। राजनीतिक रूप से जागरूक बंगाल में चुनाव एक उत्सव की तरह होता है। लैफ्ट ने जहां यह जागरूकता वहां बढ़ाई लेकिन साथ ही राजनीतिक हिंसा भी लैफ्ट ने वहां आरम्भ की थी। पक्ष में वोट न देने वालों को बिजली काटने जैसे कृत्यों द्वारा तरह-तरह से वहां प्रताड़ित किया जाता है। लैफ्ट द्वारा पैदा किया गया राजनीतिक भेद-भाव चरम पर अब वहां लोग कर रहे हैं। कांग्रेस वालों ने वहां सीपीएम बनाई, सीपीएम से टीएमसी में चले गए वहां के लोग अब इसके उलट बीजेपी में वहां के लोग आ रहे हैं। पंचायत चुनाव के दौरान नामांकन केन्द्रों में जाने से बीजेपी समर्थक प्रत्यासियों को मारपीट कर रोका गया। बंगाल में जब तक राजनीतिक परिवर्तन नहीं होगा तब तक कुछ परिवर्तन नहीं होगा, क्योंकि बंगाल के सारे क्रियाकलाप राजनीति से जुड़े हुए हैं। वो बंगाल जो रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, सुभाष चन्द्र बोस, डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी का सपना था वह सच करना है तो वहां राजनीतिक परिवर्तन आवश्यक है।

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