हमें प्राचीन शिक्षा पद्धति की ओर लौटना चाहिए: उपराष्ट्रपति

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[email protected] । Oct 3 2018 10:32AM

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश को शिक्षा की प्राचीन भारतीय पद्धति को सामने लाना चाहिए। वह यहां एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में ‘विश्व विज्ञान, धर्म और दर्शन संसद’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जन को संबोधित कर रहे थे।

पुणे। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश को शिक्षा की प्राचीन भारतीय पद्धति को सामने लाना चाहिए। वह यहां एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में ‘विश्व विज्ञान, धर्म और दर्शन संसद’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोचता हूं कि देश को अपनी प्राचीन शिक्षा पद्धति की ओर लौटना चाहिए तथा संस्कृति एवं धरोहर को संजोकर रखना चाहिए, यही समय की मांग है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘‘हम पश्चिमी मॉडल की काफी नकल कर चुके..... कोई भी मॉडल लेने में कुछ गलत नहीं है लेकिन साथ ही हमें अपना आधार कभी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि भारतीय प्राचीन शिक्षा पद्धति समय की कसौटी पर परखी हुई है।’’ नायडू ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के संगम की जरुरत है। वर्तमान जीवनशैली ‘तत्क्षण सबकुछ’ की है, ‘‘हमें अपने पुराने मूल्यों की ओर लौटना चाहिए...... हमें अवश्य योग करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह दावा करके कि योग उनके धर्म के विरुद्ध है, अनावश्यक विवाद पैदा करने का प्रयास करते हैं। योग का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो लोग सोचते हैं कि ‘सूर्य नमस्कार’ उनके धर्म विरुद्ध है तो वे चाहें तो उसके बजाय ‘चंद्र नमस्कार’ कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रुप से वंशवाद के विरुद्ध हूं.... मैं उस वंशवाद के पक्ष में हूं जहां पिता अपने विचारों और अपनी सेवा को अपने बच्चों तक पहुंचाता है। असली वंशवाद यह है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल राजनीति और वंशवाद के साथ साथ चलने के खिलाफ हूं .....।’’

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