IIM रांची के दीक्षांत समारोह में बोले राजनाथ सिंह, हम भारत को सुपर पावर बनाना चाहते हैं

Rajnath Singh

आईआईएम रांची के ऑनलाइन दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में भारत के समृद्ध योगदान की चर्चा की और कहा कि आर्यभट्ट ने जर्मनी के खगोलविद् कोपरनिकस से करीब एक हजार वर्ष पहले पृथ्वी के गोल आकार और इसके धुरी पर चक्कर लगाने की पुष्टि की।

नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत में सुपर पावर बनने की क्षमता है और इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने आर्यभट्ट जैसे प्राचीन वैज्ञानिकों की बड़ी खोजों सहित देश के गौरवपूर्ण इतिहास का जिक्र किया। आईआईएम रांची के ऑनलाइन दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में भारत के समृद्ध योगदान की चर्चा की और कहा कि ‘‘आर्यभट्ट ने जर्मनी के खगोलविद् कोपरनिकस से करीब एक हजार वर्ष पहले पृथ्वी के गोल आकार और इसके धुरी पर चक्कर लगाने की पुष्टि की।’’ 

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सिंह ने कहा, ‘‘हम भारत को सुपर पावर बनाना चाहते हैं। देश को सुपर पावर बनाने के लिए हमें शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग आदि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करने की जरूरत है। इन क्षेत्रों में संभावना हमारे देश की पहुंच के अंदर है। इसका अभी पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हुआ है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के युवकों के पास किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता है और वे ‘‘शोध, अन्वेषण और विचारों’’ की मदद से उन्हें अवसर में तब्दील कर सकते हैं। ‘न्यू इंडिया’ में छात्रों को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए सिंह ने कहा कि आधुनिक शिक्षा उन्हें देश के गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेने से नहीं रोक सकती। 

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उन्होंने कहा कि यह ज्ञान के नये मानकों को तय करती है। सिंह ने कहा, ‘‘आधुनिक शिक्षा गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेने में बाधा नहीं बन सकती है। विज्ञान पढ़ने का यह मतलब नहीं है कि आप भगवान में विश्वास नहीं करते हैं।’’ उन्होंने गणितज्ञ रामानुजन का जिक्र किया और कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि कोई समीकरण मेरे लिए अर्थहीन है जब तक यह भगवान के विचार की अभिव्यक्ति नहीं करता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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