क्या है जी-7 देशों का समूह और PM मोदी को क्यों मिला निमंत्रण ?

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अंकित सिंह । Aug 26 2019 12:37PM

जी-7 दुनिया के सात बड़े देशों का समूह है जिनकी अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर को प्रभावित करती है। इन देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। यूरोपियन यूनियन भी 1977 से इस सम्मेलन में शामिल होता आ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बियारित्ज में हुए जी7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में विशेष आमंत्रित के तौर पर भाग लिया। प्रधानमंत्री को फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने निमंत्रित किया था जिसे मोदी ने स्वीकारा था। जी7 समूह के देशों का 45वां सम्मेलन फ्रांस के बियारित्ज में 24 से 26 अगस्त तक आयोजित किया गया। हैरानी की बात यह है कि भारत इस जी7 का हिस्सा नहीं है फिर भी उसे निमंत्रण मिला है जो चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक बड़ा झटका है। चीन और पाकिस्तान के लिए यह इसलिए भी बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि भारत इस मंच से दुनिया के सामने सीमा पार से प्रयोजित होने वाले आतंकवाद का मुद्दा उठाएगा। इसके अलावा भारत दुनिया के ताकतवर देशों के समक्ष जम्मू और कश्मीर पर अपना पक्ष भी रखेगा। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण रहा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का प्रतिनिधित्व किया। तो चलिए सबसे पहले हम आपको यह बताते हैं कि जी-7 क्या है? 

जी-7 दुनिया के सात बड़े देशों का समूह है जिनकी अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर को प्रभावित करती है। इन देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। यूरोपियन यूनियन भी 1977 से इस सम्मेलन में शामिल होता आ रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। जी-7 का पूरा मतलब "group of seven" है। दुनिया के प्रमुख औद्योगिक देशों के लिए एक मंच की अवधारणा 1973 के तेल संकट से पहले उभरी। जी-7 का उद्देश्य लोकतंत्र तथा क़ानून का शासन कायम करना, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा और समृद्धि और सतत विकास पर जोर देना है। इसके अलावा वर्तमान वैश्विक चुनौतियों पर भी चर्चा की जाती है जिसमें ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआईवी-एड्स और आतंकवाद जैसे मुद्दे शामिल हैं। 

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इस समूह की पहली बैठक फ्रांस में 1975 में हुई थी। 1976 में कनाडा के शामिल हो जाने के साथ से ही यह जी-7 के रूप में जाना जाने लगा। 1997 से 2014 के बीच, इस समूह में रूस भी शामिल था और आठ के समूह के रूप में (जी-8) जाना जाता था। 1975 के बाद से जी-7 देशों की यह बैठक सालाना होती है और सबसे ज्यादा जोर विश्व का आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर ही रहता है। 1996 में जी-7 ने 42 गरीब देशों के लिए एक नई पहल की शुरूआत की। जी-7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, यूरोपीयन कमीशन और यूरोपीयन काउंसिल के अध्यक्ष इस बैठक में शामिल होते हैं। राष्ट्राध्यक्षों के अलावा जी-7 देशों के मंत्री और नौकरशाह भी हर साल आपसी संबंधों को लेकर मिलते रहते हैं। एक सवाल सभी के मन में उठता है कि दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद चीन इस समूह का हिस्सा क्यों नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी रहती हैं और प्रति व्यक्ति आय कम है। 

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मोदी को क्यों मिला जी-7 में शामिल होने का आमंत्रण?

फ्रांस के समुद्री तट पर स्थित खूबसूरत शहर बियारित्ज में आजोजित जी-7 की इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। PM मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों की ओर से निमंत्रण मिला था। पर सवाल यह है कि इस समूह का हिस्सा नहीं होने के बावजूद भी भारत इस बैठक में कैसे शामिल हो रहा है? जवाब के तौर पर हम यह कह सकते हैं कि वैश्विक पटल पर भारत की ताकत लगातार बढ़ रही है जो दुनिया के बड़े देशों को आकर्षित कर रहा है। अपने बाजार की वजह से भारत एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में भी पहचाना जाने लगा है। इसके अलावा पिछले 5 सालों में भारत ने अपनी विदेश नीति को काफी मजबूत किया है और इस समूह में शामिल सभी देशों से भारत के रिश्ते मधुर है। मोदी के इस बैठक में शामिल होने की एक खास वजह भी है। दरअसल फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों जी-7 के अध्यक्ष हैं और अध्यक्ष होने के नाते उन्हें यह अधिकार है कि वो गैर सदस्य देशों को इसमें शामिल होने का निमंत्रण दे सकें। मोदी और मैक्रों के व्यक्तिगत रिश्ते बेहद ही मधुर हैं और इस वजह में भी उन्होंने भारत को इस बैठक में शामिल होने का आमंत्रण दिया। 

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