श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग-राजौरी में पिछले 35 वर्षों में सबसे ज्यादा वोटिंग के क्या हैं मायने? PM मोदी की क्या प्रतिक्रिया आई

Srinagar, Baramulla, Anantnag
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अभिनय आकाश । May 27 2024 12:08PM

अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र ने 25 मई को तब इतिहास रच दिया जब लोकसभा चुनाव 2024 में पिछले 35 वर्षों में सबसे अधिक 54.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 40 वर्षों में सबसे अधिक है। इसके साथ, कश्मीर घाटी की तीन सीटों -श्रीनगर (38.49 प्रतिशत), बारामूला (59.1 प्रतिशत) और अनंतनाग-राजौरी (54.84 प्रतिशत) में कई दशकों में सबसे अधिक मतदान हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं को रिकॉर्ड मतदान के लिए 'विशेष बधाई' दी। उन्होंने कहा कि यह उनकी लोकतांत्रिक भावना का जीवंत प्रमाण है। लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को इस निर्वाचन क्षेत्र में 54.84 प्रतिशत मतदान हुआ। कश्मीर घाटी में चुनावों में मतदाताओं की मजबूत भागीदारी देखी गई है, यहां तक ​​कि पारंपरिक रूप से कम मतदान वाले क्षेत्रों में भी अच्छा मतदान हुआ है जो पिछले कुछ दशकों में सबसे अधिक है। एक एक्स पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान के लिए अनंतनाग-राजौरी की मेरी बहनों और भाइयों को बहुत विशेष बधाई। उनकी उत्साही भागीदारी उनकी लोकतांत्रिक भावना का एक जीवंत प्रमाण है।

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अनंतनाग-राजौरी में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हुआ

अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र ने 25 मई को तब इतिहास रच दिया जब लोकसभा चुनाव 2024 में पिछले 35 वर्षों में सबसे अधिक 54.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 40 वर्षों में सबसे अधिक है।  इसके साथ, कश्मीर घाटी की तीन सीटों -श्रीनगर (38.49 प्रतिशत), बारामूला (59.1 प्रतिशत) और अनंतनाग-राजौरी (54.84 प्रतिशत) में कई दशकों में सबसे अधिक मतदान हुआ है। अगस्त 2019 में केंद्र द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में यह पहला बड़ा चुनाव था। अनंतनाग-राजौरी सीट पर उच्च मतदान 2019 में पंजीकृत 9 प्रतिशत मतदान प्रतिशत के बिल्कुल विपरीत था। 

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पांच अगस्त 2019 में जम्मू -कश्मीर से केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटा कर यहां का विशेष दर्जा ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू -कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। इसके बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली बार कोई बड़ा चुनाव हो रहा है। जम्मू -कश्मीर पूरे भारत में एकमात्र मुस्लिम बहुल केंद्र शासित प्रदेश है. साल 1989 में जब कश्मीर में चरमपंथ का दौर शुरू हुआ तो तभी से कश्मीर में अलगावादी या चरमपंथी संगठन, आम लोगों को चुनाव से दूर रहने को कहती रही हैं। हालांकि 2024 के चुनाव में पहली बार कश्मीर में किसी अलगावादी या चरमपंथी संगठन ने लोगों से चुनाव बहिष्कार की अपील नहीं की है। 

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