भारत में महिलाओं के अबॉर्शन को लेकर क्या हैं कानून? MTP एक्ट 2021 में बदले गये हैं कई नियम

laws regarding abortion
PRABHASAKSHI
रेनू तिवारी । Sep 29 2022 2:26PM

सुप्रीम कोर्ट ने एक 25 साल की महिला के केस की सुनवाई के दौरान एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक और अवैवाहिक सभी महिलाओं को गर्भपात करने का अधिरार होना चाहिए। केस पर अपना फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अविवाहित महिला को भी अबॉर्शन कराने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक 25 साल की महिला के केस की सुनवाई के दौरान एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक और अवैवाहिक सभी महिलाओं को गर्भपात करने का अधिरार होना चाहिए। केस पर अपना फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अविवाहित महिला को भी अबॉर्शन कराने का अधिकार है। सुरक्षित गर्भपात कराने का अधिकार हर महिला का है फिर चाहे वो शादीशुदा हो या नहीं। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून के दायरे में (Medical Termination of Pregnancy-MTP) अविवाहित महिलाओं को भी शामिल है। अविवाहित महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात से दूर नहीं रखा जा सकता है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून के दायरे से अविवाहित महिला को बाहर रखना असंवैधानिक है।

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट की क्यों हो रही हैं चर्चा 

उच्चतम न्यायालय ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन (एमटीपी) अधिनियम के तहत विवाहित या अविवाहित सभी महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक सुरक्षित व कानूनी रूप से गर्भपात कराने का बृहस्पतिवार को अधिकार दिया। न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की एक पीठ ने एमटीपी अधिनियम की व्याख्या पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चाहे महिला विवाहित हो या अविवाहित, वह गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक वह गर्भपात करा सकती हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि गर्भपात कानून के तहत विवाहित या अविवाहित महिला के बीच पक्षपात करना ‘‘प्राकृतिक नहीं है व संवैधानिक रूप से भी सही नहीं है’’ और यह उस रूढ़िवादी सोच को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन संबंध बनाती हैं। पीठ ने 23 अगस्त को एमटीपी अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें विवाहित और अविवाहित महिलाओं के 24 सप्ताह की गर्भावस्था तक गर्भपात कराने को लेकर अलग-अलग प्रावधान हैं।

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की जरूरत

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 22 हफ्ते तक सभी महिलाओं को सुरक्षित ऑबॉर्शन कराने का अधिकार हैं। भारत में असुरक्षित गर्भपात से औसतन 60 प्रतिशन से भी ज्यादा महिलाओं की मृत्यु आकस्मिक होती हैं। ऐसे में संविधान द्वारा 22 हफ्तों तक महिला को गर्भपात करवाने का कानूनी अधिकार प्राप्त है और यदि समय से उपर गर्भपात करवाने की परिस्थितियां बनती हैं तो सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेने की जरूरत होती हैं। साल 2021 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून में कुछ संसोधन किए गये थे जिसमें कुछ परिस्थितियों में 24 हफ्तों की प्रेग्नेंसी में भी महिला को गर्भपात करवाने का कानूनी अधिकार दिया गया था। 

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में क्या-क्या महिलाओं को दिए गये थे अधिकार

Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 के मुताबिक कुछ परिस्थितियों में महिला सर्टिफाइड डॉक्टर से अस्पताल में अबॉर्शन करवा सकती हैं। पांच स्थितियों में औरतें अबॉर्शन करवा सकती थीं-

प्रेग्नेंट महिला का अबॉर्शन नहीं किया तो उसे सीरियस मेंटल या फिजिकल इंजरी हो सकती है। प्रेग्नेंट महिला पहले से ही किसी सीरियस मेंटल या फिजिकल बीमारी से जूझ रही है और अबॉर्शन नहीं किया तो ये बढ़ सकती है। कोई जेनेटिक बीमारी है, प्रेग्नेंट महिला की फैमिली में और ये महिला के पेट में पल रहे बच्चे में भी आ सकती है और ये बीमारी खतरनाक है। प्रेग्नेंट औरत गरीब है, उसे लगता है कि वो इस बच्चे को नहीं पाल सकती है। औरत रेप के चलते प्रेगनेंट हुई है और वो इस बच्चे को नहीं चाहती।

2021 में किया गया मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून में संधोशन

साल 2021 में Medical Termination of Pregnancy Act में बदलाव किया था जिसके बाद निर्धारित कानून में 22 हफ्तों की जगह महिला को 24 हफ्ते तक अबॉर्शन करवाने का अधिकार दिया गया था लेकिन उसके लिए भी कुछ कंडिशन निर्धारित की गयी थी। अधिनियम के तहत गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में एक विवाहित महिला द्वारा 22 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है। यह विधेयक अविवाहित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है। क्योंकि महिला के साथ यहा पर उसके पार्टनर शब्द का प्रयोग किया गया है। इस लिए यह अधिकार विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाओं के लिए हैं। 

 

MTP संशोधन अधिनियम, 2021 के प्रमुख प्रावधान

- गर्भपात करवाने के लिए  चिकित्सकों से राय लेना आवश्यक। इसके लिए समय सीमा निर्धारित है

- गर्भधारण से 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता होती है।

- गर्भधारण के 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होगी।

- भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामले में 24 सप्ताह के बाद गर्भ की समाप्ति के लिये राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की राय लेना आवश्यक होगा।

विशेष श्रेणियों के लिये अधिकतम गर्भावधि सीमा

महिलाओं की विशेष श्रेणियों (इसमें दुष्कर्म तथा अनाचार से पीड़ित महिलाओं तथा अन्य कमज़ोर महिलाओं जैसे-दिव्यांग महिलाएँ और नाबालिग आदि) के लिये गर्भकाल/गर्भावधि की सीमा को 20 से 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है। 

गोपनीयता

गर्भ को समाप्त करने वाली किसी महिला का नाम और अन्य विवरण, वर्तमान कानून में अधिकृत व्यक्ति को छोड़कर, किसी के भी समक्ष प्रकट नहीं किया जाएगा।

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