क्या वनों की रक्षा के प्रति राज्य सरकार अपना रही उदासीन रवैया, क्यों और कैसे खतरे में आई मिजोरम की 16 नदियां?

16 rivers of Mizoram
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 16 2023 2:15PM

गोवाहाटी हाईकोर्ट की आइजोल बेंच ने 27 जनवरी 2021 को असम राजपत्र में प्रकाशित मिजो जिला (वन) अधिनियम 1955 की अधिसूचना की धारा 14, धारा 21 को रद्द कर दिया।

बांध परियोजना से न केवल मिजोरम के जंगलों बल्कि एक दर्जन से अधिक नदियों को भी खतरा है। सरकारी की तरफ से जारी नई रिपोर्ट के अनुसार देश में मिज़ोरम में मरुस्थलीकरण की उच्चतम दर देखी गई है। फिर, राज्य सरकार वनों की रक्षा के प्रति इतनी उदासीन क्यों है? 

नदी तटीय वन क्षेत्र कहाँ है?

मिजोरम में 16 नदियों के दोनों ओर आधा मील के भीतर का जंगल रिवराइन रिजर्व फॉरेस्ट (आरआरएफ) क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इन क्षेत्रों में कोई भी भूमि का मालिक नहीं हो सकता है और किसी भी विकास कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 2015 के  इंडिया स्टेट ऑफ़ फ़ॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार 18,748 वर्ग किमी का क्षेत्र जो मिज़ोरम के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 88.93% है, यानी 21,081 वर्ग किमी वन क्षेत्र के अंतर्गत है। मिजोरम में 138 वर्ग किमी का बहुत घना जंगल (वाईडीएफ), 5,858 वर्ग किमी का मध्यम घना जंगल (एमडीएफ) और 12,752 वर्ग किमी का खुला जंगल (ओएफ) है। इनमें से 1832.50 वर्ग कि.मी. रिवराइन वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

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पूरा मामला क्या है?

गोवाहाटी हाईकोर्ट की आइजोल बेंच ने 27 जनवरी 2021 को असम राजपत्र में प्रकाशित मिजो जिला (वन) अधिनियम 1955 की अधिसूचना की धारा 14, धारा 21 को रद्द कर दिया। आदेश के जरिये 16 नदियों के दोनों किनारों पर आधे मील के भीतर वनों को एक परिषद आरक्षित वन घोषित किया गया था। 

हाई कर्ट ने क्यों रद्द किया आदेश

तुइरियल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के निर्माण में निजी व्यक्तियों के स्वामित्व वाले क्षेत्र शामिल थे और पास धारकों को उचित मुआवजा मिला था। हालाँकि, कई और व्यक्ति यह दावा करते हुए आगे आए कि वे मुआवजे के हकदार हैं। परिणामस्वरूप तुइरियल एचईपी का निर्माण करने वाली नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (निप्को) ने परियोजना से अपने कदम पीछे हटा लिए। जिससे मुआवजे के भुगतान के लिए राज्य उत्तरदायी हो गया। मुआवजे का दावा करने वाले कथित पास धारकों के सामने एक और समस्या यह थी कि उनकी भूमि नदी के वन क्षेत्र के अंतर्गत आती थी। इस प्रकार, पास धारक होने का दावा करने वाले 681 व्यक्तियों ने गोवाहाटी हाई कर्ट में विभिन्न बैचों में एक रिट याचिका दायर की और इस प्रकार रिवराइन आरक्षित वन आदेश को कोर्ट की तरफ से रद्द कर दिया गया। 

अब मामले में क्या अपडेट है?

पर्यावरण कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के गुस्से को देखते हुए राज्य सरकार ने अपनी अपील वापस ले ली।  9 नवंबर, 2022 को न्यायमूर्ति एस सर्टो और न्यायमूर्ति पीजे सैकिया की गोवाहाटी हाई कोर्ट की खंडपीठ में मामला हटा दिया गया। 24 नवंबर, 2022 को भू-राजस्व और बंदोबस्त विभाग के अवर सचिव जोमिंगथांगा की ओर से एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि गोवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने आदेश (दिनांक 09.11.2022) में 2021 की रिट अपील 8 को निस्तारित कर दिया है।  आइजोल में पर्यावरण संरक्षण केंद्र (सीईपी) ने रिवराइन रिजर्व फॉरेस्ट को खत्म करने के खिलाफ एक विशेष अवकाश याचिका (सिविल) दायर की। 

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