Prabhasakshi Exclusive: Sri Lanka में Anti Terrorism Bill के विरोध में सड़कों पर क्यों उतरी हुई है जनता?

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पीटीए को 1979 में तमिल अल्पसंख्यक उग्रवादी समूहों की अलगाववादी हिंसा के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धना ने कहा है कि नया आतंकवाद विरोधी कानून इस महीने के अंत में पेश किया जाएगा।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि श्रीलंका के आतंकवाद रोधी विधेयक में ऐसा क्या है, जो वहां बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि श्रीलंका में आतंकवाद से मुकाबले के लिए कठोर कानून की जगह लाए जा रहे नए विवादित आतंकवाद रोधी विधेयक के मसौदे के खिलाफ मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस ने तगड़ा विरोध प्रदर्शन किया जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ। दरअसल नया आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए), 1979 के कुख्यात आतंकवाद निवारण अधिनियम (पीटीए) की जगह लेगा। पीटीए को 1979 में तमिल अल्पसंख्यक उग्रवादी समूहों की अलगाववादी हिंसा के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धना ने कहा है कि नया आतंकवाद विरोधी कानून इस महीने के अंत में पेश किया जाएगा।

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बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि मार्च के मध्य में सरकार ने पीटीए की जगह एक नया विधेयक तैयार किया था। हमें ध्यान रखना चाहिए कि देश के उत्तर और पूर्व में एक अलग तमिल मातृभूमि स्थापित करने के लिए तीन दशकों में लिट्टे के सशस्त्र संघर्ष के दौरान सरकारी सैनिकों द्वारा पीटीए का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों और तमिल पार्टियों ने पीटीए के प्रावधानों की निंदा की है जो अदालतों में आरोप दायर किए बिना कई वर्षों तक मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की अनुमति देता है। यही नहीं, लिट्टे के साथ शामिल होने के आरोप में तमिलों को बिना किसी आरोप के 20 से अधिक वर्षों तक गिरफ्तार किए जाने के उदाहरण सामने आए हैं। इसलिए इस कानून का विरोध हो रहा है।

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