मध्य प्रदेश के इस शहर में रात में क्यों लग जाती हैं लोगों की लंबी लाइनें

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दिनेश शुक्ल । Jul 1 2019 5:09PM

भले ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा हो कि आधार अनिवार्य नहीं है। मगर सरकार को न्यायालय की इस टिप्पणी से कोई सरोकार नहीं है। आज भी सरकारी कामों और स्कूलों में बच्चों के प्रवेश के लिए कथित रूप से आधार की अनिवार्यता सुनिश्चित कर दी गई है।

रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन जिला मुख्यालय में आधी रात को लोग इन दिनों लंबी लाइन लगाकर सिंडिकेट बैंक के सामने रात काट रहे हैं। नोटबंदी के समय लोगों की ऐसी लाइनें रात-रात भर बैंक के सामने देखी जाती थीं लेकिन यहाँ माजरा कुछ और ही है। दरअसल बैंक के सामने रात गुजार रहे यह लोग अपनी पहचान सुनिश्चित करवाना चाहते हैं यानि की आधार कार्ड बनवाने और उनसे अपडेट करवाने के लिए यह आधी रात को बैंक के सामने लाइन लगाकर रात भर बैंक खुलने और अपनी पारी आने का इंतजार करते हैं।

  

भले ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा हो कि आधार अनिवार्य नहीं है। मगर सरकार को न्यायालय की इस टिप्पणी से कोई सरोकार नहीं है। आज भी सरकारी कामों और स्कूलों में बच्चों के प्रवेश के लिए कथित रूप से आधार की अनिवार्यता सुनिश्चित कर दी गई है। आधार नहीं तो स्कूल में दाखिला नहीं और ना ही सरकारी कार्यालयों में बिना आधार के कुछ काम हो रहे हैं जिसको लेकर लोग रातों में जाग जाग कर आधार बनाने वाले सेंटरों के बाहर डेरा डाले हुए हैं।

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प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 45 किलोमीटर दूर रायसेन जिला मुख्यालय पर मात्र एक आधार कार्ड सेंटर सिंडिकेट बैंक में है जहाँ पर आधार बनवाने और उसमें सुधार करवाने की सुविधा मुहैया कराई गई है। लेकिन परेशानी यह है कि इस आधार सेंटर पर एक दिन में मात्र 25 टोकन ही आधार कार्ड बनाने और उसमें सुधार के लिए लोगों को दिए जाते हैं वह भी सुबह बैंक खुलने के बाद। जबकि इस आधार सेंटर पर रायसेन जिले के कई हिस्सों से लोग आधार कार्ड बनवाने आते हैं जिनकी संख्या 400 से 500 तक होती है। जिसके चलते यहाँ लंबी लाइन लग रहती है। आलम यह है कि लोग रात आठ बजे से ही यहाँ डेरा डाल कर बैठ जाते हैं ताकि दूसरे दिन बैंक खुलने पर उनको कूपन मिल सके। यही नहीं रायसेन जिले के इस एक आधार कार्ड सेंटर के बाहर लोग अपने मासूम बच्चों के साथ रतजगा कर रहे हैं। मानसून आते ही बरसात के इस मौसम में मच्छरों के काटने और बिना किसी व्यवस्था के यहाँ अपने बच्चों के साथ लोग डेरा डालकर अपनी पारी का इंतजार रात-रातभर जगकर भूखे प्यासे रहकर कर रहे हैं। यहाँ आधार के लिए लाइन में लगे कुछ मासूम तो ऐसे हैं जिन्हें मालूम ही नहीं कि आधार क्या होता है।

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दरआसल यह परेशानी लोगों को इसलिए उठानी पड़ रही है क्योंकि प्राइवेट कियोस्क सेंटर जिन पर आधार कार्ड बनने के साथ उसमें सुधार किया जाता था वह सरकार द्वारा बंद करवा दिए गए हैं और इसके विकल्प के रूप में जिले में मात्र एक आधार सेंटर सिंडीकेट बैंक में खोला गया है। सरकार ने कुछ चिन्हित जगहों पर ही आधार सेंटर खोले हैं। इन सेंटरों में काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा लापरवाही की कई शिकायतें भी सामने आती हैं। लोगों की मानें तो यह कर्मचारी कई बार बहाने बनाकर लोगों को इन सेंटरों से भगा तक देते हैं जिसके पीछे इनके तर्क यह होते हैं कि सेंटर में लाइट नहीं है तो ऑपरेटर नहीं आया जैसे कारण गिनवा दिए जाते हैं। साथ ही जिला मुख्यालय पर एक ही आधार सेंटर होने से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

यही कारण है कि जो लोग जिले के दूर दराज क्षेत्रों से यहाँ आते हैं उनके आधार कार्ड नहीं बन पाते हैं और अपने आधार कार्ड को सुधारने या बनवाने के लिए उन्हें हफ़्तों आधी रात से सुबह तक यहाँ आकर लाइनों में लगकर अपनी पारी का इन्तजार करना पड़ता है।

-देवराज दुबे के साथ दिनेश शुक्ल की रिपोर्ट

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