पंजाब का सबसे बड़ा किसान संगठन अभी भी विरोध मोड में क्यों है, जानिए आंदोलन के पीछे की वजह?

Punjab
अभिनय आकाश । Jan 6 2022 6:32PM

कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद दिल्ली बॉर्डर के समीप बैठे किसान अब अपने अपने गांवों की ओर लौट चुकै हैं। लेकिन पंजाब का एक किसान संगठन अभी भी केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। पंजाब का सबसे बड़ा कृषि संघ - बीकेयू (उग्रहन)पना विरोध प्रदर्शन वापस लेने से इनकार कर दिया है।

लगभग सभी किसान संघों ने कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया है, पंजाब का सबसे बड़ा कृषि संघ - बीकेयू (उग्रहन) अभी भी केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के खिलाफ विरोध कर रहा है। राज्य के करीब 16 जिलों में सक्रिय उग्रान गुट अपना विरोध प्रदर्शन वापस लेने से क्यों इनकार कर रहा है।

बीकेयू (उग्रहन) के विरोध की वजह क्या है?

संघ द्वारा 20 दिसंबर से 12 डिप्टी कमिश्नर (डीसी) कार्यालयों और 4 एसडीएम कार्यालयों सहित 15 जिलों में अनिश्चितकालीन धरने का मंचन किया जा रहा है। संघ का कहना है कि ये धरने केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार दोनों के खिलाफ खेती को संकट में डालने के लिए है। इसके अलावा उन्होंने फिरोजपुर में 5 जनवरी की रैली से पहले सोमवार को राज्य भर के 649 गांवों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। किसान संगठन ने कहा कि केंद्र द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का मतलब यह नहीं है कि किसानों की समस्याएं हल हो गई हैं। सोमवार को सीएम ने तीसरी बार समूह के साथ बैठक टाल दी। संघ का दावा है कि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी किसानों की समस्याओं को मनमाने तरीके से उठा रहे हैं।

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क्या हैं इनकी मांगें?

किसानों की छह प्रमुख मांगें हैं, जिन्हें सीएम ने 23 दिसंबर को हुई संक्षिप्त बैठक के दौरान लागू करने का आश्वासन दिया था। इनमें क्षतिग्रस्त फसल के लिए मुआवजा, किसान आंदोलन (दिल्ली सीमा पर किसानों का विरोध) के दौरान मारे गए मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा और ऐसे किसानों के परिजनों को नौकरी, आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों के एक सदस्य को मुआवजा और नौकरी शामिल है। एमएसपी पर सभी फसलों की गारंटीकृत खरीद की मांग, किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों और अन्य पर लगाए गए आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग, जिसे सरकार ने लिखित रूप में स्वीकार कर लिया लेकिन अभी तक लागू नहीं किया, और किसानों पर सभी प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी ऋणों की माफी की मांग शामिल है।

जब सरकार ने उनकी अधिकांश मांगों को पहले ही स्वीकार कर लिया हैतो पेंच कहां फंसा है?

संघ का कहना है कि किसानों के खिलाफ 234 आपराधिक मामले थे और सरकार दावा कर रही है कि तीन मामलों को छोड़कर सभी को रद्द कर दिया गया है, लेकिन यह सच्चाई से बहुत दूर है। बीकेयू (उगराहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि अकेले बठिंडा जिले में, पांच मामले लंबित हैं, जबकि अन्य जिलों के आंकड़ों से और अधिक लंबित मामले सामने आने की उम्मीद है। दिल्ली सीमा पर साल भर के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजे और सरकारी नौकरी के बारे में उन्होंने कहा कि पंजाब के लगभग 600 किसानों की मौत हुई है, जबकि पंजाब सरकार ने अब तक केवल 407 किसानों की सूची दी है, जिनमें से उसने सिर्फ 157 किसान परिवारों को राहत दी है। कोकरीकलां ने कहा कि वे मामले में अनावश्यक रूप से देरी कर रहे हैं ताकि चुनाव आचार संहिता लागू हो जाए और सब कुछ ठप हो जाए, लेकिन हम उन्हें इस तरह नहीं छोड़ेंगे। पूर्ण कर्जमाफी के बारे में उन्होंने कहा कि 2017 के चुनाव के समय कांग्रेस ने 'करजा, कुर्की खातम, फैसल दी पुरी रकम' का नारा दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनने के बाद सिर्फ 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया और वह भी छोटे और सीमांत किसानों का।

पीएम के दौरे का विरोध क्यों

बीकेयू (उग्रहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहन ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार न केवल फिर से काला कानून बनाने की साजिश कर रही है, बल्कि देश के संसाधनों को कॉरपोरेट्स को भी दे रही है। उन्होंने कहा कि जब मोदी "झूठे वादे" करने जा रहे थे, तो एमएसपी, पीडीएस, ईंधन की कीमतों जैसे वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा था।

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