आखिर क्यों मोदी-शाह ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए बिरला को चुना?

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अंकित सिंह । Jun 18 2019 1:27PM

मंगलवार सुबह जैसे ही यह खबर आती है कि ओम बिरला अगले लोकसभा अध्यक्ष हो सकते हैं, सभी पॉलिटिकल पंडित के आंकलन फेल हो गए।

भाजपा सांसद ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए NDA के प्रत्याशी होंगे। भाजपा ने राजस्थान के कोटा-बूंदी संसदीय सीट से जीतने वाले बिरला को नामित किया गया है। वह आसानी से अध्यक्ष बन जाएंगे क्योंकि सदन में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास स्पष्ट बहुमत है। अगर आवश्यक हुआ तो इस पद के लिए चुनाव बुधवार को कराया जा सकता है। जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह, रमापति राम त्रिपाठी, एसएस अहलुवालिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार जैसे कई बड़े नामों की चर्चा हो रही थी ऐसे में अचानक से भाजपा की ओर से ओम बिरला का नाम चौंकाने वाला है। 

मोदी और शाह के लिए एक बात जो लगातार कहीं जाती है वह यह है कि वो दोनों ऐसे निर्णय लेने में माहिर हैं जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता है। उदाहरण के तौर पर थोड़ा पीछे चलते हैं और याद करते हैं 2017 को जब राष्ट्रपति पद को लेकर सभी कई नामों के कयास लगा रहे थे। लेकिन उस वक्त में भी मोदी-शाह ने रामनाथ कोविंद का नाम आगे कर तमाम अटकलों को धता बता दिया। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय का जिम्मा अचानक निर्मला सितारमण को दिया जाना। मोदी और शाह मीडिया की कम और अपनी ज्यादा सुनते हैं। इस बार सरकार गठन के समय मोदी ने NDA सासंदों से कहा था कि मंत्रिमंडल को लेकर मीडिया में आ रही खबरों पर ध्यान ना दें क्योंकि यह तय करना मेरा काम है ना कि मीडिया का। इस से साफ जाहिर होता है कि मोदी और शाह के जो भी फैसले होते हैं, वह हैरान करने वाले होते हैं और तमाम विश्लेषण धरे के धरे रह जाते हैं। ओम बिरला के संदर्भ में भी ठीक ऐसा ही हुआ है। लगातार सात बार के सांसद वीरेन्द्र कुमार को जब लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया तो ऐसा कहा जाने लगा कि शायद यह ही अगले अध्यक्ष होंगे। 

मंगलवार सुबह जैसे ही यह खबर आती है कि ओम बिरला अगले लोकसभा अध्यक्ष हो सकते हैं, सभी पॉलिटिकल पंडित के आंकलन फेल हो गए। ओम बिरला का नाम चर्चा में इसलिए भी नहीं था क्योकिं वह इस बार दूसरी दफा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं, जिसका मतलब साफ है कि उन्हें संसदीय राजनीति का कोई खास लंबा अनुभव नहीं है। अब तक लोकसभा के अध्यक्ष पद उसी व्यक्ति को दिया गया है जिन्हें संसदीय राजनीति का लंबा अनुभव रहा हो। अब तक बलराम जाखड़, शिवराज पाटिल, मनोहर जोशी, पीए संगमा, सोमनाथ चटर्जी, मीरा कुमार और सुमित्रा महाजन जैसे दिग्गज इस पद पर आसीन हो चुके हैं। ऐसे में ओम बिरला का नाम विपक्ष को भी चौका रहा है हालांकि विपक्ष ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। 

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चलिए आपको बताते हैं कि ओम बिरला कौन हैं? वर्तमान में कोटा से सांसद ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ था। वह पहली बार 2014 में सांसद बने थे। अपनी राजनीति की शुरूआत उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा से की जहां वह उपाध्यक्ष के पद तक पहुंचे। इससे पहले दक्षिण कोटा से वह तीन बार विधायक हर चुके हैं। वसुंधरा राजे की सरकार में वह संसदीय सचीव रह चुके हैं। ओम बिरला संगठन में काफी सक्रीय रहे हैं और संघ से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं। बिरला सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें प्रसिद्धी मिली। 2004 में कोटा में आई बाढ़ के समय उन्होंने खुब मेहनत की थी। आज तक वह किसी मंत्राीपद पर नहीं रहे। अब वह सीधे लोकसभा अध्यक्ष बन रहे हैं। बिरला को प्रकृतिक प्रेमी भी कहा जाता है। अब यह देखना होगा कि बिरला किस तरह से निष्पक्ष होकर अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं।

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