ट्रंप के बयान पर राहुल ने क्यों दिलाई शिमला समझौते की याद, क्या है ये समझौता?

why-rahul-remembered-shimla-treaty-after-trump-statement-what-is-shimla-treaty
अभिनय आकाश । Jul 23 2019 6:21PM

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच यह समझौता शिमला में हुआ था इसलिए इसका नाम शिमला समझौता है। इस समझौते की सबसे सबसे मुख्य बात यह थी कि दोनों देशों के बीच जब भी बातचीत होगी, कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा। दोनों ही देश इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेंगे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका से गिड़गिड़ाते हुए कश्मीर मसले पर मदद की मांग की। जिस पर अमेरिका के राष्ट्रपति ने झूठ के ट्रंप टावर से एक और झूठ परोसते हुए कहा कि 'मैं प्रधानमंत्री मोदी से दो हफ्ते पहले मिला था और हमने इस मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने कहा कि आप मध्यस्थता करेंगे, मैंने कहा किस पर तो उन्होंने कहा कि कश्मीर। उन्होंने कहा बहुत सालों से ये विवाद चल रहा है। वो मुद्दों का हल चाहते हैं और आप भी इसका हल चाहते हैं। मैंने कहा कि मुझे इस मुद्दे में मध्यस्थता करके खुशी होगी। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया और फिर व्हाइट हाउस ने भी ट्रंप के बयान से किनारा कर लिया। लेकिन इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ। मोदी सरकार पर हमलावर रहने वाले राहुल गांधी ऐसा मौका कैसे छोड़ सकते थे। उन्होंने शिमला समझौते का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को कहा है! अगर ये सही है, तो पीएम मोदी ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते के साथ धोखा किया है। एक कमजोर विदेश मंत्रालय का खंडन ही काफी नहीं है। पीएम को राष्ट्र को बताना चाहिए कि ट्रंप और उनके बीच बैठक में क्या हुआ था।' 

इसे भी पढ़ें: ट्रम्प के बहाने राहुल का मोदी पर हमला, कहा- राष्ट्र को जवाब दें PM

साल 1971 जो पूरे दक्षिण पूर्व एशिया की संग्रहणीय स्मृति में दर्ज है। भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई थी। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी देश के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। 1971 की हार के बाद पाकिस्तान सामूहिक शोक में था। उसका पूर्वी हिस्सा अलग होकर मुल्क बन चुका था। भारत की सेना ने पाकिस्तान की फौज को घुटनों पर ला दिया था। सैन्य इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था। जब एक देश की सेना को इस तरह पब्लिक सरेंडर करना पड़ा था। इसके तकरीबन आठ महीने बाद 2 जुलाई, 1972 को भारत और पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर दस्तखत किए। शिमला समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किया था। दोनों देशों ने इस समझौते के माध्यम से लंबे समय तक रहने वाली शांति, दोस्ती और सहयोग का संकल्प किया था। शिमला समझौते में कई मार्गदर्शक सिद्धांत हैं जिनको लेकर दोनों देशों के बीच आपसी सहमति बनी थी कि वे एक-दूसरे के साथ संबंधों को बनाए रखने के लिए उन पर अमल करेंगे। राहुल के ट्वीट के बाद 47 साल पूर्व हुए समझौते की चर्चा फिर से तेज हो चली है। आइए जानते हैं शिमला समझौते की कुछ प्रमुख बातें:-

 

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच यह समझौता शिमला में हुआ था इसलिए इसका नाम शिमला समझौता है। इस समझौते की सबसे सबसे मुख्य बात यह थी कि दोनों देशों के बीच जब भी बातचीत होगी, कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा। दोनों ही देश इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेंगे। इस समझौते के बाद भारत ने 90 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी युद्धबंदियो को रिहा कर दिया। 1971 के युद्ध में भारत द्वारा कब्जा की गई पाकिस्तान की जमीन भी वापस कर दी गई। क्योंकि दोनों देशों ने तय किया कि 17 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थिति में थीं, उस रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा माना जाएगा। समझौते में यह प्रावधान किया गया कि दोनों देश अपने संघर्ष और विवाद समाप्त करने का प्रयास करेंगे और यह वचन दिया गया कि उप-महाद्वीप में स्थाई मित्रता के लिए कार्य किया जाएगा। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ न तो बल प्रयोग करेंगे, न प्रादेशिक अखण्डता की अवेहलना करेंगे और न ही एक दूसरे की राजनीतिक स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करेंगे। 1972 में हुए समझौते में पाकिस्तान ने कई सारे वादे तो किए लेकिन युद्ध बंदियों के लौटने और अपनी जमीन वापस मिलने के बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते की बातों पर कभी भी अमल नहीं किया और लागातर अपनी नापाक हरकत को बरकरार रखा।

 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़