सोहराबुद्दीन मामले में निचली अदालत के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी गई?

Why trial court order in Sohrabuddin case was not challenged High Court asks CBI

बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से पूछा कि उसने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी थी?

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से पूछा कि उसने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी थी? सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन शेख द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने कहा कि निचली अदालत के आदेश से सीबीआई को भी समान रूप से असंतुष्ट होना चाहिये।

रूबाबुद्दीन ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने जांच एजेंसी से पूछा कि क्या वह अगस्त 2016 और अगस्त 2017 के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने की योजना बना रही है जिसमें आईपीएस अधिकारियों राजकुमार पांडियन, डी जी वंजारा और दिनेश एम एन को आरोप मुक्त किया गया। न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे की पीठ ने सीबीआई के वकील को यह भी निर्देश दिया कि वे 12 अक्तूबर तक मामले में किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप तय किये जाने से बचें। उसी दिन मामले पर सुनवाई की अगली तारीख है।

रूबाबुद्दीन ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर मामले से तीन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने को चुनौती दी है। रूबाबुद्दीन के वकील गौतम तिवारी ने अदालत से आज कहा, ‘‘उपरोक्त तीन अधिकारियों को आरोपमुक्त करने के आदेशों का हवाला देते हुए कई अन्य आरोपी भी समानता के आधार पर आरोप मुक्त हो रहे हैं।’’ मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत, उच्चतम न्यायालय द्वारा मामले में मुकदमे को गुजरात के बाहर स्थानांतरित करने के बाद सुनवाई कर रही है।

अदालत ने अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया कि सीबीआई उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये पूर्व अनुमति या विशेष अनुमति हासिल करने में विफल रही और इसलिये उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। मामले में 38 आरोपियों में से 15 को विशेष अदालत ने आरोप मुक्त किया है। आरोप मुक्त किये गए 15 लोगों में से 14 आईपीएस अधिकारी हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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