किसी भी उभरते खतरे से निपटने के लिए मित्रों के साथ साझेदारी करना जारी रखेंगे: सेना प्रमुख

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[email protected] । Oct 18 2019 3:59PM

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया। उन्होंने अपने संबोधन में समुद्री डकैतों जैसे समुद्री खतरों का हवाला दिया है जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ता है।

नयी दिल्ली। थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि भारत पड़ोस के साथ-साथ ‘‘वृहद क्षेत्र’’ में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है और सेना ‘‘किसी भी तरह के उभरते खतरों से निपटने’’ के लिए अपने मित्रों के साथ साझेदारी करना जारी रखेगी। रावत ने रक्षा अताशे के चौथे सम्मेलन में यहां कहा, ‘‘हम केवल आकार के आधार पर ही नहीं, बल्कि हमारे वृहद लड़ाकू अनुभव, हमारी पेशेवर दक्षता’’ और अन्य गुणों के कारण दुनिया के अग्रणी सशस्त्र बलों में से एक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसी वजह से हमारे अन्य विशिष्ट लोकाचार हैं। हम हमारे पड़ोस के साथ साथ वृहद क्षेत्र में भी शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम अतीत की ही तरह आगे भी किसी भी तरह के उभरते खतरों से निपटने के लिए हमारे मित्रों के साथ साझेदारी करना जारी रखेंगे।’’

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया। उन्होंने अपने संबोधन में समुद्री डकैतों जैसे समुद्री खतरों का हवाला दिया है जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ता है। उन्होंने समुद्री सहयोग बढ़ाने और विश्व में ‘‘सामूहिक सैन्य दक्षता’’ का लाभ उठाने की भी वकालत की।  सिंह ने कहा, ‘‘नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में समान विचारों वाले सदस्यों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और सहयोग संबंधी हमारा लोकाचार प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त पांच ‘स’ (एस) से निर्देशित होता है- सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति एवं समृद्धि।’’ इससे पहले थलसेना प्रमुख ने अपने संबोधन में रक्षा उद्योग से भी अपील की कि वह सशस्त्र बलों को समाधान मुहैया कराए। उन्होंने कहा, ‘‘ हम जब एक अनिश्चित एवं जटिल दुनिया में सुरक्षा के हमारे मार्ग पर मौजूद चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रहे है, ऐसे में हम चाहते हैं कि रक्षा उद्योग समाधान मुहैया कराए ताकि हमारे रक्षा बलों की आवश्यकताएं पूरी हो सकें।’’

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रावत ने कहा कि हर देश शांति, स्थिरता एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए ‘‘सशस्त्र बलों या मुझे कहना चाहिए मजबूत सशस्त्र बलों’’ को बनाए रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को जब भी बुलाया जाए, वे तब अपने उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम हों, इसके लिए आपको एक बहुत दक्ष एवं सशक्त मानवबल, सैनिकों, नौसैन्यकर्मियों और वायुकर्मियों की आवश्यकता है। अच्छा प्रशिक्षण और अच्छी गुणवत्ता के हथियार एवं उपकरण जवानों को सशक्त करते हैं।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में ‘‘उभरते खतरों का सामना करने के लिए रक्षा संबंधी तैयारियों के लिए साझी जिम्मेदारियों की प्रणाली को मजबूत करना होगा’’। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में भारतीय उद्योग को मित्रवत अन्य देशों, रक्षा विशेषज्ञों या सैन्य विशेषज्ञों की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में खुशी होगी। 

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