लालू के गढ़ में क्या तेजस्वी के सर ही सजेगा ताज या बदल जाएगा समीकरण, जानें राघोपुर विधानसभा क्षेत्र का मिजाज

tejashwi

राघोपुर विधानसभा क्षेत्र हाजीपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है और यह वैशाली जिले में आता है। इस विधानसभा क्षेत्र के लिए तीन नवंबर को राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत मतदान होगा।

हाजीपुर। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव महागठबंधन के लिए समर्थन जुटाने की खातिर हर रोज चुनाव प्रचार के लिए एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र जा रहे हैं, ताकि वह मुख्यमंत्री बनने का लक्ष्य हासिल कर सकें, लेकिन उनके लिए अपनी ही सीट राघोपुर पर जीत हासिल करना उतना आसान नहीं होगा, जहां भाजपा नेता सतीश कुमार और लोजपा के राकेश रौशन मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। राघोपुर विधानसभा क्षेत्र हाजीपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है और यह वैशाली जिले में आता है। इस विधानसभा क्षेत्र के लिए तीन नवंबर को राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत मतदान होगा। तेजस्वी यादव (31) 2015 में भी इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थे। उस समय तेजस्वी नीतीश कुमार को ‘चाचा’ कहकर संबोधित किया करते थे, लेकिन नीतीश की पार्टी के साथ उनका गठबंधन 2017 में टूट गया और अब तेजस्वी मुख्यमंत्री पद के लिए अपने ‘चाचा’ को चुनौती दे रहे हैं। महागठबंधन ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वास्तव में बैठ पाना इस बात पर निर्भर करेगा कि तेजस्वी अपनी सीट से चुनाव जीतते हैं या नहीं। राजद, कांग्रेस और वाम दल महागठबंधन का हिस्सा हैं। राघोपुर सीट यादव बहुल क्षेत्र है, जिससे लालू प्रसाद ने 1995, 2000 और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने 2005 में चुनाव जीता था। 

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भाजपा के सतीश कुमार ने 2010 विधानसभा चुनाव में राबड़ी देवी को शिकस्त दी थी, लेकिन वह 2015 में तेजस्वी के हाथों हार गए थे। उस समय तेजस्वी राजद, जद(यू) और कांग्रेस के गठबंधन की ओर से उम्मीदवार थे, जबकि भाजपा चुनावी मैदान में अकेले उतरी थी। इस बार समीकरण बदल गए हैं। जद (यू) के पास भाजपा का समर्थन है और राजद ने कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन किया है। राघोपुर सीट से इस बार 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए राकेश रौशन को इस सीट से मैदान में उतारा है। सतीश कुमार विधानसभा क्षेत्र में रोजाना प्रचार कर रहे हैं, लेकिन तेजस्वी चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू प्रसाद की गैर मौजूदगी में राजद के स्टार प्रचारक होने के कारण अपने क्षेत्र में अधिक प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। लोजपा के राकेश रौशन भी क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन भाजपा उम्मीदवार उन्हें हल्के में ले रहे हैं और उन्हें ‘वोट कटवा’ बता रहे हैं। चुनाव क्षेत्र से मिलने वाली रिपोर्ट के अनुसार लोजपा उम्मीदवार जीतने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन वह भाजपा के सवर्ण राजपूत वोट में सेंध लगा रहे हैं और यह तेजस्वी को बढ़त लेने में मदद कर सकता है। राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में 2019 की मतदाता सूची के अनुसार 3,36,613 मतदाता हैं, जिनमें 1.30 लाख से अधिक मतदाता यादव हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में 40,000 राजपूत, 22,000 मुसलमान और 18,000 पासवान हैं। कुमार ने तेजस्वी के बारे में कहा, ‘‘उन्होंने राघोपुर के लोगों का भरोसा खो दिया है क्योंकि उन्होंने यहां कोई मजबूत विकास कार्य नहीं किया और पांच साल तक मतदाताओं को केवल ठगा। हालांकि वह यह दावा करके यादव मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या लालू प्रसाद के बिहार की राजनीति में यादव समुदाय के बड़े नेता होने का लाभ तेजस्वी को मिल सकता है, कुमार ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार में नीतीश कुमार की उपलब्धियों से मुझे लाभ मिलेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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