Prabhasakshi Exclusive: Quad का गठन किन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए किया गया? सदस्य देशों के बीच किन क्षेत्रों में समझौते हुए?

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ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि ‘क्वाड’ देश साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘मशीन लर्निंग’ और संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर सहमत हो गए हैं। इन देशों के अधिकारियों ने 30-31 जनवरी को नयी दिल्ली में ‘क्वाड सीनियर साइबर ग्रुप’ की बैठक में हिस्सा लिया।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से हमने पूछा कि क्वाड बनाने की जरूरत क्यों पड़ी और इस समूह के देशों ने साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए जो करार किये हैं उसे कैसे देखते हैं आप? हमने यह भी जानना चाहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दुनिया क्या रणनीति बना रही है? इन सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के समूह ‘क्वाड’ का गठन सिर्फ सामरिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि दुनिया के भले के लिए किया गया है। जहां तक अमेरिका की बात है तो बाइडन प्रशासन अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति को पूरी तरह से चीन के खिलाफ नहीं रख रहा है। वह हमेशा व्यापारिक साझेदारी को महत्व देता है। इस समय अमेरिका और भारत प्रमुख रक्षा साझेदार हैं और दोनों देशों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, 5जी और 6जी नेटवर्क, अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, बायोटेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों की दिशा में नई पहल की है।

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि इसके अलावा ‘क्वाड’ समूह के देश साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘मशीन लर्निंग’ और संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर सहमत हो गए हैं। ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के अधिकारियों ने 30-31 जनवरी को नयी दिल्ली में ‘क्वाड सीनियर साइबर ग्रुप’ की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया जो समावेशी और लचीला हो। उन्होंने कहा कि सदस्य देश दीर्घकालिक रूप में समूह साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए मशीन लर्निंग और संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने तथा ‘कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम’ (सीईआरटी) के लिए सुरक्षित चैनलों की स्थापना करने एवं निजी क्षेत्र के खतरे की जानकारी साझा करने पर सहमत हो गये हैं जोकि बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि इन सभी क्षेत्रों में प्रगति से क्वाड सदस्यों की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा बढ़ेगी और साइबर हमले की घटनाएं कम होंगी तथा इस तरह के खतरों पर प्रतिक्रिया देने की उनकी क्षमता बढ़ेगी। साथ ही ‘मशीन लर्निंग’ अनुसंधान पर निकट सहयोग से नेटवर्क घुसपैठ का बेहतर पता लगाने और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के साइबर जोखिम प्रबंधन में सुधार करने में अधिक आसानी होगी।

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उन्होंने कहा कि जहां तक हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लगाने की बात है तो भारत इस दिशा में तेजी से प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अपने विदेशी समकक्षों के साथ बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होती ही है। हाल ही में विदेश मंत्री के अन्य देशों के दौरों पर निगाह डाल लीजिये या भारत यात्रा पर आये अन्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता को देखिये, हिंद प्रशांत क्षेत्र चर्चा के केंद्र में अवश्य रहा। भारत और न्यूजीलैंड ने हाल ही में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता को लेकर बढ़ रही वैश्विक चिंताओं के बीच नियम आधारित क्षेत्र के लिए अपनी साझा दूरदृष्टि पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर और न्यूजीलैंड की उनकी समकक्ष नैनिया महुता ने इस मुद्दे पर हाल ही में मंथन किया था। इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा की अपनी समकक्ष मेलानी जोली के साथ भी हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि कनाडा ने माना भी है कि भारत की बढ़ती रणनीतिक, आर्थिक और जनसांख्यिकी महत्ता उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कनाडा के लिए एक अहम साझेदार बनाती है। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति में भारत को इस क्षेत्र में एक प्रमुख देश के रूप में सूचीबद्ध किया गया और कहा गया है कि कनाडा, नयी दिल्ली के साथ आर्थिक संबंध बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

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