महिला को 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देने से इंकार

[email protected] । Mar 27 2017 2:00PM

उच्चतम न्यायालय ने एक महिला को उसका 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देने से आज इनकार कर दिया। भ्रूण में गंभीर शारीरिक विकृतियों के संकेत देखे गए हैं।

उच्चतम न्यायालय ने एक महिला को उसका 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देने से आज इनकार कर दिया। भ्रूण में गंभीर शारीरिक विकृतियों के संकेत देखे गए हैं। न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने महिला की जांच करने वाले चिकित्सकीय बोर्ड की रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि चिकित्सकों की राय के अनुसार यदि महिला को गर्भपात की अनुमति दी जाती है तो इस चरण में गर्भस्थ शिशु जीवित अवस्था में भी बाहर आ सकता है।

न्यायालय ने यह भी कहा कि चिकित्सकों की राय के अनुसार महिला की शारीरिक स्थिति सामान्य है और उसके स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक भ्रूण की बात है तो रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि महिला का 27वें सप्ताह में गर्भपात किया जाता है तो इस बात की संभावना है कि गर्भ से जीवित बच्चा बाहर आए।’’ उसने कहा, ‘‘हमें याचिकाकर्ता (महिला) को गर्भपात की अनुमति देना उचित नहीं लगता।’’ सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने पीठ से कहा कि मुंबई स्थित केईएम अस्पताल के चिकित्सकीय बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार भ्रूण में कई शारीरिक विकृतियां हैं लेकिन चिकित्सकों ने गर्भपात की अनुमति नहीं दी है क्योंकि महिला को गर्भधारण किए 27 सप्ताह हो गए हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट (एमटीपी) के तहत 20 सप्ताह के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई है, भले ही मां या भ्रूण की जान को कोई खतरा ही क्यों न हो।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़