स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और राष्ट्रपति के रूप में Dr. Zakir Hussain ने की देश सेवा, जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य भी रहे

Dr. Zakir Hussain
प्रतिरूप फोटो
ANI
Prabhasakshi News Desk । Feb 8 2025 11:46AM

डॉ. जाकिर हुसैन एक महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और भारत के तीसरे और पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना अभूतपूर्व योगदान दिया था। जाकिर हुसैन देश के नामचीन ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’, केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे वर्ष 1926 से 1948 तक इसके कुलपति भी रहे।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन एक महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और भारत के तीसरे और पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना अभूतपूर्व योगदान दिया था। जाकिर हुसैन देश के नामचीन ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’, केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे वर्ष 1926 से 1948 तक इसके कुलपति भी रहे। वहीं भारतीय स्वतंत्रता के बाद और भारत के तीसरे राष्ट्रपति बनने से पूर्व उन्होंने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर अपनी सेवाएं दीं, जिनमें राज्यसभा सदस्य, बिहार के राज्यपाल और उपराष्ट्रपति पद शामिल थे।

डॉ. जाकिर हुसैन का जीवन परिचय

भारत रत्न से सम्मानित भारत के महान राजनेता और शिक्षाविद डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी, 1897 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘फिदा हुसैन’ था। हुसैन की प्रारंभिक प्राथमिक शिक्षा हैदराबाद में पूरी की। इसके बाद उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई ‘इस्लामिया हाई स्कूल’ इटावा से की और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय के क्रिश्चियन डिग्री कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने जर्मनी से अपनी पीएचडी पूरी की थी।

जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना में दिया योगदान 

हुसैन साहब स्नातक की पढ़ाई के बाद वह मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज चले गए, जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध था। जहाँ वे एक प्रमुख छात्र नेता के रूप में उभरे। जब जाकिर हुसैन मात्र 23 वर्ष के थे उस दौरान उन्होंने शिक्षकों और छात्रों के एक समूह के साथ ‘राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय’ की स्थापना की, जिसे वर्तमान में ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’, केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है।  इसके साथ ही वे ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’ के वर्ष 1926 से 1948 तक कुलपति भी रहे। इसके बाद वह ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ केंद्रीय विश्वविद्यालय के भी वर्ष 1948 से 1956 तक कुलपति रहे।

हुसैन साहब का राजनीतिक सफर 

देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। साल 1947 में ब्रिटिश हुकूमत से स्वराज मिलने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर काम किया, जिनमें 1952 से 1957 तक राज्यसभा सदस्य, 1957 से 1962 तक बिहार के राज्यपाल, 1962 से 1967 तक भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के पदेन सभापति और 1967 से 1969 तक भारत के तीसरे राष्ट्रपति का पद शामिल हैं। उन्होंने जर्मनी में रहते हुए उर्दू के महान शायर मिर्ज़ा असदुल्लाह खान “ग़ालिब” के संकलन को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

भारत रत्न समेत मिले कई सम्मान

राजनीतिक और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व कार्यों के लिए डॉ. जाकिर हुसैन को वर्ष 1954 में “पद्म विभूषण” और वर्ष 1963 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। जोकि देश का सर्वोच्च सिविलियन अवॉर्ड भी है।

निधन

भारत के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में डॉ. जाकिर हुसैन को 13 मई, 1967 को चुना गया था किंतु अपने कार्यकाल के दौरान ही उनका 3 मई, 1969 को निधन हो गया।

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