UPA शासनकाल के निगरानी नियमों में नहीं किया गया कोई बदलाव: गृह मंत्रालय

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[email protected] । Jan 14 2019 8:47PM

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया और छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।

नयी दिल्ली। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि संप्रग कार्यकाल के दौरान तैयार निगरानी नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। केंद्र ने हाल ही में उस नीति को अधिसूचित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसी कंप्यूटर से सूचना प्राप्त करने की खातिर किसी नयी एजेंसी को अधिकृत नहीं किया है। अधिकारी का यह बयान गृह मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर को जारी अधिसूचना पर पैदा विवाद के बाद आया है। विपक्ष का दावा है कि सरकार निगरानी राज्य बनाने की कोशिश कर रही है।

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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया और छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। सरकार के इस कदम को चुनौती देने वाली जनहित याचिका के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इस मामले में उच्चतम न्यायालय को तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराएगा। उन्होंने कहा कि निगरानी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कंप्यूटर के आंकड़ों की निगरानी और उसे इंटरसेप्ट करने के नियम 2009 में बनाए गए थे जब कांग्रेस नीत संप्रग सत्ता में था और सरकार के नये आदेश में उन विशिष्ट एजेंसियों को अधिसूचित किया गया है जो ऐसी कार्रवाई कर सकते हैं।

अधिकारी ने कहा कि किसी भी एजेंसी को किसी भी कंप्यूटर से सूचना प्राप्त करने के लिए व्यापक अधिकार नहीं दिए गए हैं। अधिकारी के अनुसार 2014 से इंटरसेप्शन की संख्या में खासी कमी आयी है हालांकि देश में मोबाइल फोन कनेक्शनों की संख्या 100 करोड़ से अधिक हो गयी है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट और फोन सेवाओं का व्यापक प्रसार हुआ है। इसके बाद भी कानूनी रूप से अधिकृत एजेंसियों द्वारा किए गए इंटरसेप्शन की संख्या में खासी गिरावट आयी है। 2013 के एक आरटीआई जवाब के अनुसार केंद्र सरकार ने फोन इंटरसेप्शन के लिए हर महीने करीब 7,500-9,000 आदेश जारी किए जबकि ईमेल के संबंध में यह संख्या 300-500 थी।

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गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अधिसूचना में जिन दस एजेंसियों का जिक्र किया गया है, वे 2011 से ही इलेक्ट्रॉनिक संचार को इंटरसेप्ट करने के लिए अधिकार संपन्न हैं। इन एजेंसियों में खुफिया ब्यूरो, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आय कर विभाग), राजस्व आसूचना निदेशालय, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेन्सी, रॉ, सिग्नल खुफिया निदेशालय (जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम में सक्रिय) और दिल्ली पुलिस शामिल हैं।

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