Paris 2024 Olympics: प्राचीन खेलों के जन्मस्थली यूनान में पेरिस ओलंपिक की लौ जलाई गई

 Paris 2024 Olympic Games
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पेरिस ओलंपिक गेम्स की मशाल यूनान के ओलंपिया में जलाई गई। बादलों के कारण मंगलवार को पारंपरिक तरीके से लौ जलाने के प्रयास विफल हो गये। पारंपरिक तरीके में चांदी की मशाल जलाने के लिए सूरज का इस्तेमाल किया जाता है जिसके लिए प्राचीन यूनान की पुजारिन की पोशाक पहने एक युवती हाथ में मशाल लिये रहती थी।

26 जुलाई से शुरू होने वाले पेरिस ओलंपिक गेम्स की मशाल यूनान के ओलंपिया में जलाई गई। बादलों के कारण मंगलवार को पारंपरिक तरीके से लौ जलाने के प्रयास विफल हो गये। पारंपरिक तरीके में चांदी की मशाल जलाने के लिए सूरज का इस्तेमाल किया जाता है जिसके लिए प्राचीन यूनान की पुजारिन की पोशाक पहने एक युवती हाथ में मशाल लिये रहती थी।

 

बल्कि मंगलवार को एक ‘बैकअप’ लौ का उपयोग किया गया था जिसे सोमवार को अंतिम ‘रिहर्सल’ के दौरान उसी स्थान पर जलाया गया था। इस मशाल को मशालधारियों की एक रिले द्वारा प्राचीन ओलंपिया के खंडहर मंदिरों और खेल मैदानों से ले जाया जायेगा।

 

यूनान में रिले की 11 दिवसीय यात्रा एथेंस में पेरिस 2024 के आयोजकों को सौंपने के साथ समाप्त होगी।

 

गौरतलब है कि, 1896 में पहले ओलंपिक खेलों का आयोजन यूनान के एथेंस में हुआ था। उस समय ओलंपिक मशाल जलाने का रिवाज नहीं था। लेकिन 1928 में नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम में आयोजित ओलंपिक खेलों से मशाल जलाने का विचार आया। ये फैसला लिया गया था कि इस मशाल की लौ को इसी स्थान पर जलाना चाहिए, जहां से इन खेलों की शुरुआत हुई। उसके बाद से हर ओलंपिक में मशाल की लौ यूनान के ओलंपिका में प्रज्वलित की जाती है। वहीं 1936 में बर्लिन ओलंपिक गेम्स से ओलंपिक रिले की शुरूआत हुई थी। ओलंपिक लौ प्राचीन और आधुनिक खेलों के बीच एक कड़ी है। ये लौ सकारात्मक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है। किसी भी अच्छे काम से पहले अग्नि प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है। अग्नि को शांति और दोस्ती का प्रतीक भी माना जाता है।  

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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