Bankim Chandra Chatterjee Death Anniversary: बंकिम चंद्र चटर्जी ने 19वीं सदी में शुरू किया था सांस्कृतिक जागरुकता की शुरूआत

प्रसिद्ध लेखक, कवि और पत्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का 08 अप्रैल को निधन हो गया था। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाएं स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा देती थीं। आनंदमठ बंकिमचंद्र का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है।
आज ही के दिन यानी की 08 अप्रैल को प्रसिद्ध लेखक, कवि और पत्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का निधन हो गया था। उनको बंगाली भाषा के साहित्य का सम्राट कहा जाता है। हालांकि वह भारतीय राष्ट्रवाद के शुरुआती समर्थकों में शामिल थे और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाएं स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा देती थीं। वहीं उनकी सबसे फेमस रचना वंदे मातरम् आजादी की लड़ाई का नारा बन गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
बंगाल स्थित कंथालपाड़ा में 26 जून 1838 को बंकिमचंद्र चटर्जी का जन्म हुआ था। बंकिम ने बंगाली और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने फिर कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की और फिर ब्रिटिश शासन के दौरान नौकरी की। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाएं भारतीय संस्कृति और सोच को उजागर करती हैं।
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वंदे मातरम् गीत
बता दें कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनंदमठ का एक गीत 'वंदे मातरम' है। बाद में राष्ट्रीय गौरव के परिदृश्यों और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए यह राष्ट्रगान बन गया। साल 1870 में बंकिम ने 'वंदे मातरम' लिखा था। आनंदमठ बंकिमचंद्र का सबसे लोकप्रिय उपन्यास है। महज 27 साल की उम्र में उन्होंने दुर्गेशनंदिनी उपन्यास लिखा था। बंकिम ने भारतीय साहित्य और समाज को एक नई दिशा देने का काम किया था। उन्होंने 19वीं सदी में भारत में सांस्कृतिक जागरुकता की शुरूआत की थी।
मृत्यु
वहीं 08 अप्रैल 1894 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का निधन हो गया था।
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