Beant Singh Birth Anniversary: खालिस्तानी हमले में हुई थी CM बेअंत सिंह की हत्या, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर

आज ही के दिन यानी की 19 फरवरी को कांग्रेस के नेता और पंजाब के सीएम बेअंत सिंह का जन्म हुआ था। वह जब पंजाब के मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अलगाववादियों से निपटने की थी।
कांग्रेस के नेता और पंजाब के सीएम बेअंत सिंह का आज ही के दिन यानी की 19 फरवरी को जन्म हुआ था। देश की आजादी के बाद बेअंत सिंह ने राजनीति में कदम रखा था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेताओं में से एक थे, जो पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। आजादी के बाद से ही पंजाब अशांत इलाका रहा था। जब बेअंत सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अलगाववादियों से निपटने की थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर बेअंत सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
लुधियाना जिले के दोहरा प्रखंड स्थित बिलासपुर गांव में 19 फरवरी 1922 को बेअंत सिंह का जन्म हुआ था। उन्होंने लाहौर स्थित गवर्नमेंट कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहीं महज 23 साल की उम्र में वह भारतीय सेना में शामिल हो गए। लेकिन 2 साल बाद ही उन्होंने राजनीति का रुख किया।
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राजनीतिक सफर
साल 1960 में बेअंत सिंह को प्रखंड समिति का सदस्य चुना गया और वह लुधियाना स्थित 'सेन्ट्रल कोऑपरेटिव' बैंक के डायरेक्टर रहे। फिर साल 1969 में वह निर्दलीय जीतकर पंजाब विधानसभा पहुंचे। बेअंत सिंह सिखों के नामधारी पंथ के अनुयायी थे और वह सफेद रंग की पगड़ी पहनते थे। इसी वजह से बेअंत सिंह मांस व शराब का सेवन नहीं करते थे। फिर वह ब्लॉक समिति के चेयरमैन चुने गए और इसके बाद लुधियाना में सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक बने।
राजनीति की एक-एक सीढ़ियां चढ़ते हुए साल 1969 में वह पहली बार निर्दलीय विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचे। बता दें कि बेअंत सिंह 5 बार एमएलए रहे और पंजाब कांग्रेस के चीफ रहे। वह राजनीति में अहम भूमिका में थे। इसके बाद बेअंत सिंह पंजाब के सीएम बने और इस पद पर रहते हुए वह शहीद होने वाले देश के पहले व्यक्ति बनें। जिस दौरान बेअंत सिंह सीएम बनें, उस दौरान पंजाब जल रहा था। खून-खराबा देखकर बेअंत सिंह दुखी हो जाते थे, क्योंकि वह राज्य का विकास करना चाहते थे। जिसके लिए वह हर दम कोशिश करते थे।
देखते ही देखते बेअंत सिंह अलगाववादियों के निशाने पर आ गए। वहीं बेअंत सिंह जनता का विश्वास जीतने में कामयाब रहे, लेकिन सरकारी तंत्र में बैठे कुछ लोगों ने अलगाववाद को हवा दी। हालांकि यह जानकारी बेअंत सिंह को थी। इसलिए उन्होंने अलगाववाद की आग को शांत करने की बहुत कोशिश की। वह अपने जीवन के आखिरी समय तक इसी काम में लगे रहे।
मृत्यु
बता दें कि मुख्यमंत्री बेअंत सिंह 31 अगस्त 1995 के दिन सचिवालय के बाहर अपनी कार में बैठे थे। उसी दौरान एक खालिस्तानी चरमपंथी मानव बम बनकर पहुंचा और खुद को उड़ा दिया। यह धमाका इतना तेज था कि इसकी आवाज दूर तक गई। चारों तरफ धूल और धुएं का गुबार छा गया और इस विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्या हो चुकी थी। इस धमाके में 16 लोगों की मृत्यु हो गई थी।
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