Dev Anand Death Anniversary: फिल्म इंडस्ट्री के 'फॉरएवर रोमांटिक' हीरो थे देव आनंद, किस्मत से बने दिग्गज स्टार

Dev Anand
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हिंदी सिनेमा के एवरग्रीन सितारे रहे देव आनंद की मौत 3 दिसंबर को हुई थी। उन्होंने अपने पूरे फिल्मी करियर में करीब 112 से अधिक फिल्में की थीं। इंडस्ट्री में देवसाहब रोमांस किंग के नाम से फेमस थे।

देव आनंद हिंदी सिनेमा के एवरग्रीन सितारे थे। फिल्मी जगत के इस नगीने ने 3 दिसंबर को इस दुनिया हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। देव आनंद आज भी अपने फैंस के दिलों में जिंदा हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई हिट फिल्में दी हैं। उन्होंने अपने पूरे फिल्मी करियर में करीब 112 से अधिक फिल्में की थीं। इंडस्ट्री में देवसाहब रोमांस किंग के नाम से फेमस थे। वह अपने लुक्स, अदाकारी, ड्रेसिंग सेंस, हेयरकट और डायलॉग डिलीवरी को लेकर काफी फेमस थे। आपको बता दें कि देव आनंद के काले कपड़े पहनने पर बैन लग गया था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर देव आनंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।

जन्म

ब्रिटिश भारत के अधीन आने वाले पंजाब के शंकरगढ़ में 26 सितंबर 1923 को देव आनंद का जन्म हुआ था। वर्तमान समय में यह जगह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हिस्से में है। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह पहले भारतीय नौसेना में शामिल होना चाहते थे। लेकिन बाद में किसी कारण के चलते उन्होंने इस निर्णय को त्याग दिया। वहीं बाद में अशोक कुमार की फिल्म 'अछूत कन्या' और 'किस्मत' देख, उन्होंने अभिनेता बनने का फैसला किया।

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चंद पैसे लेकर आए थे मुंबई

देव आनंद अभिनेता बनने का सपना बचपन में ही पाल चुके थे। वहीं उनकी पढ़ाई छूट जाने के बाद वह सपनों की नगरी मुंबई आ गए। लेकिन जब वह फिल्मी दुनिया में अपनी किस्मत आजमाने मुंबई पहुंचे, तो उस दौरान उनके पास सिर्फ 30 रुपए थे। इसके साथ ही रात गुजारने के लिए कोई ठिकाना भी नहीं था। मुश्किल के दिनों से निपटने के लिए देवानंद ने मिलिट्री सेंसर ऑफिस में जॉब करनी शुरू कर दी। 

ऐसे मिली पहली फिल्म

साल 1945 में देव आनंद को पता चला कि बाबूराव पाई अपनी एक नई फिल्म एक नए चेहरे की तलाश में हैं। तो वह स्टूडियो के बाहर जाकर चौकीदार के पास खड़े हो गए और पूछा कि आपके साहब कहां हैं, हमें उनसे मिलना है। इसके बाद जब बाबूराव की गाड़ी आई तो उन्होंने देव आनंद को देखा और बदले में देव आनंद देखकर मुस्कुरा दिए। जिसके बाद बाबूराव और देव आनंद की मुलाकात हुई। इस दौरान उन्होंने बाबूराव के साथ काम करने की इच्छा जताई। फिर साल 1946 में फिल्म 'हम एक हैं' से उन्होंने अपने अभिनय की नींव रखी। 

बॉलीवुड के फैशन ऑइकन

बॉलीवुड में डेब्यू करने के साथ ही देवसाहब ने साबित कर दिया था कि वह रुकने वालों में से नहीं है। फिल्म 'हम एक हैं' जबरदस्त हिट हुई। इसके बाद देवसाहब ने हरे रामा हरे कृष्णा, हमसफर, मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, जिद्दी जैसी फिल्मों में काम किया। शुरूआत से ही वह इंडस्ट्री के फैशन आइकन बनकर उभरे। वह अक्सर लोगों के बीच चर्चा का विषय हुआ करते थे। उन्होंने अपने स्टाइल की फैंस के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी, जो आज भी लोगों को याद है। 

हर काम में हासिल थी महारत

बॉलीवुड इंडस्ट्री में देवसाहब को लिजेंड और कोहिनूर माना जाता था। उनको एक्टिंग, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर सब कामों में महारत हासिल थी। फिल्म इंडस्ट्री में नई-नई एक्ट्रेस लांच करने का चलन उन्होंने ही शुरू किया था। हांलाकि वह कभी भी अस्पताल जाकर शूटिंग करना पसंद नहीं करते थे। क्योंकि वह कहा करते थे कि बीमार लोगों को देखकर उन्हें तकलीफ होती है। जिस कारण सेट बनाकर फिल्म की शूटिंग पूरी की जाती थी।

काले कपड़े पहनने पर रोक

दरअसल, जब देव आनंद सफेद शर्ट पर काला कोट डालकर बाहर निकलते थे, तो लड़कियां उनको देखने के लिए एकत्र हो जाया करती थी। उनकी दीवानगी का आलम लड़कियों पर कुछ इस तरह था कि उनके इस लुक को देखने के लिए लड़कियां छत से कूदकर उनको देखने के लिए आ जाती थीं। जिस कारण काले कपड़ों में देव आनंद के सार्वजनिक रूप से बाहर आने पर कोर्ट द्वारा पाबंदी लगा दी गई थी।

मौत

आखिरी के समय में देव आनंद आराम फरमाने के लिए लंदन गए हुए थे। जहां पर कार्डियक अरेस्ट के चलते 3 दिसंबर 2011 को उनकी मौत हो गई। देव आनंद की मौत की खबर सुन पूरे भारत में सन्नाटा फैल गया था।

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