जनता के राष्ट्रपति के रूप में आज भी याद किये जाते हैं डॉ. कलाम

Dr Kalam is remembered as the President of the people

डॉ. कलाम को भारत के राष्ट्रपति या शिक्षक के लिए तो जाना ही जाता है। उन्हें मिसाइल मैन भी कहा जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो से वे करीब 2 दशक तक जुड़े रहे।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे किन्तु शिक्षा में उनकी रूचि व योगदान किसी से छुपा नहीं है। वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे जिनका कार्यकाल 2002 से लेकर 2007 तक रहा। राष्ट्रपति पद से रिटायरमेंट के बाद भी डॉ. कलाम ने आराम नहीं लिया बल्कि देश के कई इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानों में वे विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सक्रिय रहे। छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए डॉ. कलाम स्कूलों-कॉलेजों में सेमिनार किया करते थे, उनका मानना था कि देश के विकास के लिए हमारी युवा पीढ़ी का सुशिक्षित और समृद्ध होना आवश्यक है। 

बतौर शिक्षक डॉ. कलाम अपने स्टूडेंट्स को सच्ची लगन से पढ़ाते थे। वे चाहते थे कि लोग उन्हें शिक्षक के रूप में अधिक जानें। आपको पता ही होगा कि अपने अंतिम समय 27 जुलाई, 2015 को भी डॉ. कलाम शिलॉन्ग के आईआईएम कॉलेज में स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे थे। लेक्चर में उन्होंने कुछ ही शब्द बोले थे कि दिल का दौरा पड़ने के कारण उन्हें चक्कर आ गया। तुरंत ही उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया गया किन्तु बचाया नहीं जा सका। वे 84 वर्ष के थे।

डॉ. कलाम को भारत के राष्ट्रपति या शिक्षक के लिए तो जाना ही जाता है। उन्हें मिसाइल मैन भी कहा जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो से वे करीब 2 दशक तक जुड़े रहे। उन्होंने देश के प्रथम स्वदेशी तकनीक से बने सैटेलाइट लांच व्हीकल एसएलवी-3 को बनाने में अहम भूमिका निभाई, जिससे 1980 में सैटेलाइट रोहिणी को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया इसके अलावा वे भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेश डीआरडीओ के मिसाइल प्रोग्राम में भी अग्रणी रहे, उनकी अगुवाई में अग्नि और पृथ्वी जैसी स्वेदेशी तकनीकी से बनी मिसाइलें तैयार हुईं। 

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिल जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम था। बच्चों से उन्हें खासा लगाव था। बच्चों की शिक्षा पर वे पूरा जोर देते थे। लाखों स्कूली बच्चों को उन्होंने ही रॉकेट साइंस की नॉलेज दी। उनका मानना था कि बच्चों को बचपन में दी गई शिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बनती है। बच्चों को डॉ. कलाम के उच्च विचारों, आदर्शों से शिक्षा लेनी चाहिए। डॉ. कलाम हमेशा अपने पास एक डायरी रखते थे जिसमें उनका हर दिन का कार्यक्रम दर्ज होता था। वे अनुशासन में जीना पसंद करते थे। उन्होंने कहा था कि हमें भविष्य के सपने देखना चाहिए, सपने वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं, यह तो एक ऐसी चीज है जो आपको नींद ही नहीं आने देती। बच्चों से वे कहते थे कि ‘‘शपथ लो, मैं जहां भी रहूंगा, यही सोचूंगा कि मैं दूसरों को क्या दे सकता हूं ? हर काम को ईमानदारी से पूरा करूंगा और सफलता हासिल करूंगा। महान लक्ष्य निर्धारित करूंगा। अच्छी किताबें, अच्छे लोग और अच्छे शिक्षक मेरे दोस्त होंगे।’’ 

डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मछुआरा परिवार में हुआ था। पढ़ाई से उन्हें इतना लगाव था कि जब वह केवल आठ या नौ वर्ष के थे, तब सुबह चार बजे उठकर स्नान कर गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। शायद आपको पता होगा घर में आर्थिक तंगी की वजह से अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम को घर-घर अखबार बांटने का भी काम करना पड़ा था।

अपने कॅरियर की शुरुआत डॉ. कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोनॉटिकल इंजीनियर के रूप में की थी। साहित्य में रुचि रखने वाले कलाम को कविताएं लिखने और वीणा बजाने का भी शौक था। रक्षा के क्षेत्र में वे भारत को आत्म निर्भर देखना चाहते थे। देश के सफल राष्ट्रपति होने के साथ-साथ डॉ. कलाम सफल वैज्ञानिक, सफल शिक्षक व सफल नागरिक भी रहे। लगभग 40 विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त डॉ. अब्दुल कलाम देश के उच्च सम्मानों- पद्मभूषण, पद्मविभूषण तथा सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किए गए। वे देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें भारत रत्न राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही मिल गया था। गौरतलब है कि राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन को भी भारत रत्न राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ था।

- अमृता गोस्वामी 

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