Isaac Newton Death Anniversary: बेहद रहस्यमई तरीके से हुई थी महान वैज्ञानिक न्यूटन की मौत, जानिए कुछ रोचक बातें

Isaac Newton
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आज भी दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों न्यूटन को शामिल किया जाता है। उनके द्वारा दिए गए तमाम सिद्धांत आज भी विज्ञान और गणित के मूल सिद्धांतों के तौर पर पढ़ाए जाते हैं। आज ही के दिन यानी की 31 मार्च को न्यूटन का निधन हुआ था।

आज भी दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों न्यूटन को शामिल किया जाता है। न्यूटन द्वारा दिए गए तमाम सिद्धांत आज भी विज्ञान और गणित के मूल सिद्धांतों के तौर पर पढ़ाए जाते हैं। हांलाकि उनके अपने दौर के कुछ वैज्ञानिकों के साथ अनबन के भी किस्से सुनने को मिलते हैं। लेकिन न्यूटन के बारे में भी तमाम तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। आपको बता दें कि आज ही के दिन यानी की 31 मार्च को ब्रिटेन के मिडिलसेक्स के केनसिंगटन में न्यूटन का निधन हुआ था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर इसाक न्यूटन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

महान वैज्ञानिक न्यूटन

न्यूटन अपने समय के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे। वह एक गणितज्ञ, भौतिकविद, लेखक, विचारक, धर्म, खगोलविद, आध्यात्म विद्या और अल्केमिस्ट के तौर पर फेमस थे। उन्होंने गणित और भौतिकी के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया था। उनके द्वारा दिए गए कैल्कुलस के सिद्धांत ने गणित को नया आधार देने का काम किया था। वर्तमान समय में कैल्कुलस के बिना इंजीनियरिंग की कल्पना करना ही संभव नहीं है।

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न्यूटन से जुड़े विवाद

न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिक का लेबिनिट्ज के साथ विवाद रहा था। यह विवाद पहले कैल्क्यूलस का आविष्कार किसने किया पर था। लेकिन विज्ञान जगत ने यह माना कि दोनों ने स्वतंत्र रूप से यह अविष्कार किया। लेकिन अंग्रेजी की अधिक व्यापकता होने की वजह से पहली स्वीकृति न्यूटन को मिली थी। बताया तो यह भी जाता है कि लेबनिट्ज ने काफी पहले कैल्क्यूलस बना लिया था। लेकिन उसे दुनिया के सामने लाने में लेबनिट्ज को काफी देर लगी थी। 

विज्ञान में न्यूटन का योगदान

आपको बता दें कि न्यूटन का सबसे ज्यादा और बड़ा योगदान भौतिकी में था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण और गुरुत्व का सिद्धांत देते हुए भौतिकी के शास्त्रीय सिद्धांत की नींव को रखने का काम किया था। खगोलशास्त्र में प्रतिबिम्ब आधारित पहला टेलीस्कोप, ग्रहों की चाल की बेहतर व्याख्या की, पृथ्वी की सही आकार बताया गया। वहीं प्रिज्म के माध्यम से प्रकाशीय रंगों का भी अध्ययन किया गया। इसके अलावा न्यूटन ने कूलिंग का नियम, न्यूटन का द्रव्य और ध्वनि की गति की गणना जैसे कई महत्वपूर्ण योगदान दिए।

मृत्यु

बता दें कि 31 मार्च 1727 को न्यूटन की मृत्यु हुई थी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक न्यूटन की मृत्यु सोते समय हुई थी और मृत्यु के बाद उनकी बॉडी में तमाम पारा मिला था। पारे का अल्केमी से गहरा नाता बताया जाता है। जिसके कारण न्यूटन की मौत के अल्केमी से भी जोड़ने का प्रयास किया गया था। तो वहीं कुछ लोगों ने पारे को रसायन व्यवसाय से भी जोड़ा, तो कुछ लोगों ने इसे न्यूटन के सनकीपन से जोड़ा।

अपने अंतिम वर्षों में न्यूटन मानसिक स्वास्थ्य से जूझते दिखे थे, वह निराशा में डूब गए थे औऱ लोगों से मिलना-जुलना भी बंद कर दिया था। इसके अलावा अंतिम वर्षों में उनको कई शारीरिक समस्याओं ने घेर लिया था। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया था कि उन्होंने कुछ अहम खोज संबंधी सारे कागज जला दिया था। जिसका अनुमान भी अल्केमी से लगाया गया। हांलाकि तमाम संदेह की स्थितियों के बाद भी पूरे राजकीय सम्मान के साथ न्यूटन का अंतिम संस्कार किया गया था।

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