Guru Govind Singh Death Anniversary: गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों को कई बार चटाई थी धूल, धोखे से की गई थी हत्या

Guru Gobind Singh
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आज ही के दिन यानी की 07 अक्तूबर को सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी शहीद हो गए थे। गुरु गोबिंद सिंह एक कुशल योद्धा और लीडर थे और उन्होंने मुगलों से करीब 14 बार युद्ध लड़ा था। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु घोषित किया था।

सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी का 07 अक्तूबर को निधन हो गया था। गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और महज 9 साल की उम्र में उन्होंने गुरु की गद्दी को संभाला था। वह एक कुशल योद्धा और लीडर थे। गुरु गोबिंद सिंह ने मुगल सेना को चिड़िया और सिखों को बाज बताया था। उन्होंने मुगलों से करीब 14 बार युद्ध लड़ा था। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु घोषित किया था। वहीं कम उम्र में दर्जनों रचनाएं कर डाली थीं। वह त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गुरु गोबिंद सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

पटना में 22 दिसंबर 1666 को गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था। उनके पिता सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर जी थे। तेग बहादुर को औरंगजेब के आदेश पर मार दिया गया था। जिस पर गुरु गोबिंद सिंह ने 9 साल की उम्र में गुरु गद्दी संभाली थी। गुरु गोबिंद सिंह के पिता की हत्या मुस्लिम धर्म न अपनाने के कारण हुई थी, तो उनके दिमाग में कहीं न कहीं वह गुस्सा और आक्रोश था। 

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अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे

गुरु गोबिंद सिंह का पूरा जीवन प्रेरणा से भरा हुआ था। वह विद्वानों की काफी इज्जत करते थे और उनके आसपास लेखक और कवि होते थे। उन्होंने खालसा महिमा, बचित्र नाटक, चंडी द वार, जाप साहिब, जफरनामा जैसे अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे। गुरु गोबिंद सिंह की काव्य रचना दशम ग्रंथ के नाम से जानी जाती है। सिखों के लिए यह आज भी गुरु गोबिंद सिंह का हुक्म माना जाता है।

मुगल सेनापति की उड़ा दिया था सिर

गुरु गोबिंद सिंह की वीरता के अनेक किस्से हैं। खालसा पंथ की स्थापना से औरंगजेब काफी ज्यादा नाराज था और उसने गुरु गोविंद सिंह की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों को कई बार धूल चटाई। हालांकि संख्या बल के हिसाब से सिख सैनिकों का जत्था कम था, लेकिन उनके पास हौसला था और गुरु गोबिंद सिंह का नेतृत्व था।

जब यह खबर औरंगजेब को मिली तो वह गुस्से में आग-बबूला हो गया। औरंगजेब के आदेश पर उसका निशानेबाज सेनापति पाइंदा खान लड़ने के लिए चल दिया। दोनों सेनाएं आमने-सामने थीं। इस दौरान गुरु गोबिंद सिंह ने सीधे मुगल सेनापति की गर्दन उड़ा दी। 

मुगलों ने धोखे से कराई थी हत्या

औरंगजेब का अत्याचार लगातार बढ़ता ही जा रहा था। गुरु गोविंद सिंह ने अपने बेटों को भी शस्त्र शिक्षा दिलवाई थी। वहीं समय आने पर उन्होंने अपने बेटों को भी मुगलों से युद्ध के लिए भेज दिया था। गुरु गोविंद सिंह के दोनों पुत्र मुगलों से लड़ते हुए शहीद हो गए और दो को मुगलों ने दीवारों में जिंदा चुनवा दिया था। औरंगजेब के निधन के बाद बहादुर शाह जफर को अगला बादशाह बनाने में गुरु गोबिंद सिंह जी ने मदद की थी।

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