Guru Ramdas Jayanti: 9 अक्टूबर को मनाई जा रही गुरु रामदास जयंती, सिख समुदाय के लिए अहम है ये दिन

Guru Ramdas
Prabhasakshi

सिख धर्म को मानने वाले लोगों के लिए गुरु रामदास जयंती महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। क्योंकि सिख समुदाय गुरु रामदास जी के योगदान के लिए उनका सम्मान करते हैं। बता दें कि गुरु रामदास का जन्म 24 सितंबर को हुआ था। लेकिन उनके अनुयायी 9 अक्टूबर को गुरु रामदास की जयंती मनाते हैं।

सिख धर्म को मानने वाले लोगों के लिए गुरु रामदास जयंती महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। क्योंकि सिख समुदाय गुरु रामदास जी के योगदान के लिए उनका सम्मान करते हैं। बता दें कि गुरु रामदास का जन्म 24 सितंबर को हुआ था। लेकिन उनके अनुयायी 9 अक्टूबर को गुरु रामदास की जयंती मनाते हैं। गुरु रामदास ने अमृतसर शहर की स्थापना की थी। गुरु रामदास 10 सिख गुरुओं में से चौथे गुरु थे। आइए जानते हैं गुरु रामदास जी की जयंती के मौके पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

लाहौर की चूना मंडी में सोढ़ी खत्री परिवार में 24 सितंबर 1534 को गुरु रामदास जी का जन्म हुआ था। महज 7 साल की उम्र में उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। ऐसे में उन्हें बचपन से ही संघर्षों का सामना करना पड़ा। लेकिन गुरु रामदास जी ने कभी अपना धैर्य नहीं खोया। पिता हरि दास और माता दया कौर की मृत्यु के बाद गुरु रामदास का पालन-पोषण उनकी दादी ने किया।

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जिसके बाद 12 साल की उम्र में गुरु रामदास जी ने गुरु अमर दास को अपने गुरु के रूप में स्वीकार कर लिया। बता दें कि गुरु रामदास जी के 3 बेटे थे। जिनमें से उनके सबसे छोटे पुत्र यानी की गुरु अर्जुन देव पांचवे गुरु बने थे। गुरु रामदास जी के सिख समुदाय के चौथे गुरु बनने के बाद उन्हें शत्रुओं का सामना भी करना पड़ा। इस दौरान उनके शत्रु गुरु अमर दास के पुत्र बन गए थे। जिस कारण गुरु रामदास को अपना स्थान परिवर्तन करना पड़ा और वह जिस शहर में जाकर रहे उसे अपना आधिकारिक आधार बना लिया।

अमृतसर शहर की स्थापना

इस नए शहर को जहां, गुरु रामदास जी रहते थे, उसे रामदासपुर कहा जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर अमृतसर कर दिया गया। सिख समुदाय में अमृतसर शहर को सबसे पवित्र शहर माना जाता है। गुरु रामदास जी ने अपने पूरे जीवन काल में कई ऐसे महान कार्य किए। गुरु रामदास जी ने धार्मिक और आर्थिक रूप से सिख आंदोलन का समर्थन किया। इसके अलावा इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए उन्होंने लिपिक नियुक्तियों और दान संग्रह के लिए मांजी संगठन का विस्तार किया। 

गुरु रामदास जी की जयंती का महत्व

गुरु राम दास के योगदान को याद करने के लिए सिख समुदाय 9 अक्टूबर को उनकी जयंती मनाते हैं। उनके अनुयायियों द्वारा गुरु रामदास जी के योगदान को जाना जाता है। गुरु रामदास जी सिखों के चौथे गुरु थे। मिशनरी कमांड की स्थापना करने के साथ ही उन्होंने लगभग 688 भजन लिखे। गुरु रामदास जी के लेखन में हमेशा समाज के प्रति निष्ठा, प्रेम और प्रतिबद्धता झलकती थी।

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