Jijabai Birth Anniversary: मराठाओं की राजमाता कही जाती हैं जीजाबाई, शिवाजी को बनाया था महान योद्धा

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आज ही के दिन यानी की 12 जनवरी को जीजाबाई का जन्म हुआ था। जीजाबाई ने शिवाजी के बालमन को इस तरह से गढ़ा था कि महज 17 साल की कच्ची उम्र में ही वह जंग के मैदान में कूद पड़े थे।

भारत देश में ऐसी तमाम वीरांगनाएं हुईं, जिन्होंने शेर पुत्रों को जन्म दिया। ऐसी ही एक वीरांगना जीजाबाई उर्फ जिजाऊ माता थीं। जीजाबाई ने शिवाजी को जन्म ही नहीं दिया था, बल्कि उनके अंदर शौर्य और साहस का दीप भी प्रज्वलित किया था। जीजाबाई ने शिवाजी के बालमन को इस तरह से गढ़ा था कि महज 17 साल की कच्ची उम्र में ही वह जंग के मैदान में कूद पड़े थे। आज ही के दिन यानी की 12 जनवरी को जीजाबाई का जन्म हुआ था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जीजाबाई के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और विवाह

महाराष्ट्र में 12 जनवरी 1598 को जीजाबाई का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम लखुजी जाधव था, जोकि सिंदखेड़ गांव के राजा थे। लखुजी बचपन में उनको जिजाऊ के नाम से पुकारते थे। जब जीजाबाई महज 6 साल की थीं, तो उनकी शादी मोलाजी के पुत्र शाहजी भोसले से शादी कर दी गई। वहीं बड़े होने पर शाहजी बीजापुर दरबार में राजनायिक पद पर नियुक्त किए गए। शाहजी की मदद से बीजापुर के महाराज ने कई युद्धों में जीत हासिल की। इस खुशी में बीजापुर के महाराज ने शाहजी को कई जागीर और शिवनेरी दुर्ग उपहार में दिया। अक्सर युद्ध के सिलसिले में शाहजी बाहर रहते थे। तो वहीं शिवनेरी दुर्ग में जीजाबाई ने 6 पुत्री और 2 पुत्रों संभाजी और शिवाजी को जन्म दिया।

हिंदू साम्राज्य की स्थापना का संकल्प

जब शिवाजी का जन्म हुआ था, तब वह शाहजी मुस्तफा खां की कैद में थे। शिवाजी और शाहजी की मुलाकात 12 सालों बाद हुई थी। माना जाता है कि उस समय अफजल खां के साथ हुए युद्ध में संभाजी और शाहजी मारे गए। तब प्रथानुसार जीजाबाई ने सती होने का फैसला लिया, लेकिन शिवाजी महाराज ने उनको ऐसा करने से रोक लिया। क्योंकि शिवाजी मां जीजाबाई को अपनी प्रेरणा स्रोत, मार्ग दर्शक एवं गुरु मानते थे। वहीं जीजाबाई ने भी सती होने का निर्णय छोड़कर अपने बेटे को एक सशक्त योद्धा और चतुर राजनीतिज्ञ बनाने का फैसला किया। वहीं मां जीजाबाई के निर्देश पर ही शिवाजी ने हिंदू साम्राज्य स्थापित करने का फैसला किया।

एक प्रसंग के मुताबिक जीजाबाई अक्सर राज्य में स्थित मां भवानी के मंदिर जाया करती थीं। वह मां भवानी से प्रार्थना करती थीं कि स्त्रियों की दुर्दशा उनसे देखी नहीं जा रही। इसलिए मां भवानी उनको कोई उपाय बताएं। तब मां भवानी ने जीजाबाई को आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनके पुत्र शिवाजी अलबा महिलाओं की रक्षा करेंगे। जीजाबाई की मां भवानी के प्रति इस आस्था की वजह से शिवाजी भी अपनी मां के साथ मंदिर जाया करते थे। बताया जाता है कि शिवाजी के पास कई तलवारें थीं, जिनमें से एक तलवार मां भवानी के नाम की थी। जिसको शिवाजी महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए उठाते थे।

मृत्यु

बता दें कि दक्षिण भारत में मराठा यानी हिंदुत्व की स्थापना का श्रेय जीजाबाई को दिया जाना चाहिए। क्योंकि उनकी प्रेरणा और संस्कारों की वजह से शिवाजी महाराज ने मराठों के लिए हथियार उठाएं थे। शिवाजी के इस अभियान से मुगल बादशाह भी कांपते थे। क्योंकि मुगल जानते थे कि यदि शिवाजी अपने मकसद में कामयाब रहे, तो भारत में मुगलों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। वहीं 17 जून 1674 को जीजाबाई का निधन हो गया था।

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