Karl Marx Death Anniversary: मार्क्सवाद के जनक और महान विचारक थे कार्ल मार्क्स, समय से चलते थे आगे

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आज ही के दिन यानी की 14 मार्च को दुनिया को एक नई दिशा दिखाने वाले कार्ल मार्क्स का निधन हो गया था। कार्ल मार्क्स जर्मनी के एक महान विचारक होने के साथ ही इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार और अर्थशास्त्री थे।

आज ही के दिन यानी की 14 मार्च को दुनिया को एक नई दिशा दिखाने वाले कार्ल मार्क्स का निधन हो गया था। कार्ल मार्क्स जर्मनी के एक महान विचारक होने के साथ ही इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, पत्रकार और क्रांतिकारी की उपाधि से जाना जाता है। उन्होंने आधुनिक इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला था। 20वीं शताब्दी में उनके माजवाद, कम्युनिज्म और विचारों ने राजनीतिक दृष्टिकोण को आकार दिया था। आज भी कार्ल मार्क्स के विचार राजनीतिक और आर्थिक विवादों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर कार्ल मार्क्स के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

जर्मनी के राइनलैंड क्षेत्र के ट्रायर नामक शहर में 05 मई 1818 को कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ था। इनके पिता वकील और माता धनवान परिवार से ताल्लुक रखती थीं। मार्क्स की शुरूआती शिक्षा घर पर दी गई। वहीं 12 साल के होने पर उन्होंने एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरूकर दी। इसके बाद उन्होंने उन्होंने बोन विश्वविद्यालय और बर्लिन विश्वविद्यालय से दर्शन, इतिहास और अर्थशास्त्र पर ध्यान केंद्रित किया। जेना विश्वविद्यालय से कार्ल मार्क्स ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। साथ ही वकालत की भी पढ़ाई की।

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आपको बता दें कि कार्ल मार्क्स के पेरेंट्स यहूदी धर्म से ताल्लुक रखते थे। वहीं उन्होंने वकालत जारी रखने के लिए साल 1816 में उन्होंने यहूदी धर्म छोड़कर लूथरानिज्म धर्म को अपना लिया था। करीब 6 साल तक वह ईसाई धर्म में शामिल रहे और बाद के दिनों में वह नास्तिक बन गए थे।

कार्ल मार्क्स के सिद्धांत

कार्ल मार्क्स समाजवाद और साम्यवाद पर अपने सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं। उनके अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण होने के साथ ही अपने ही पतन का कारण बनने वाली थी। कार्ल मार्क्स का मानना था कि शासक वर्ग ने हमेशा मजदूर वर्ग का शोषण किया और यह शोषण एक क्रांति की ओर लेकर जाएगा। मार्क्स के मुताबिक पूंजीपति वर्ग को सर्वहारा उखाड़ फेंकने के साथ ही समाजवादी समाज की स्थापना करेगा। वहीं समाजवादी समाज में लोगों के स्वामित्व में उत्पादन के साधन होंगे और समाज के सभी सदस्यों के बीच लाभ समान रूप से साझा किया जाएगा।

ऐतिहासिक भौतिकवाद के सिद्धांत के बारे में कार्ल मार्क्स ने कहा कि आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियां ऐतिहासिक परिवर्तन के प्राथमिक चालक हैं। इस पर उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि पूरे इतिहास में सामंतवाद से पूंजीवाद तक और आर्थिक प्रणालियों की एक श्रृंखला के जरिए समाज विकसित हुए हैं। उनके मुताबिक साम्यवादी समाज के उभरने से पहले पूंजीवाद का अंतिम चरण था।

मृत्यु

ब्रोंकाइटिस से पीड़ित कार्ल मार्क्स का 14 मार्च 1883 को निधन हो गया था।

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