लॉ एग्जाम में किया टॉप, फिर ऐसे बने भारत के सबसे अमीर वकील, जानें मोती लाल नेहरू से जुड़े कुछ अनसुने किस्से

Motilal Nehru
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Feb 6 2023 2:40PM

मोतीलाल नेहरू का जन्म दिल्ली में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता गंगाधर और जीवनरानी थे। मोतीलाल के पिता का उनके जन्म के समय निधन हो गया था। इसलिए मोतीलाल के बड़े भाई नंदलाल ने ही उनका पालन-पोषण किया।

मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख कार्यकर्ता होने के साथ-साथ उन्होंने एक लोकप्रिय भारतीय वकील के रूप में भी लोकप्रियता अर्जित की। इसके साथ ही वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अग्रणी भी थे। वे दो बार कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। आज ही के दिन यानी 6 फरवरी 1931 को उनका निधन हो गया था। नेहरू परिवार का जब भी जिक्र होता है तो सबसे पहले मोती लाल नेहरू का नाम सामने आता है। उनकी धनदौलत, वकालत, ठाठबाट और शिक्षा के कई किस्से बेहद ही चर्चा का विषय रहे। ऐसे में आइए मोती लाल नेहरू की 92वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कहानियों के बारे में जानते हैं। 

बचपन और शिक्षा

मोतीलाल नेहरू का जन्म दिल्ली में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता गंगाधर और जीवनरानी थे। मोतीलाल के पिता का उनके जन्म के समय निधन हो गया था। इसलिए मोतीलाल के बड़े भाई नंदलाल ने ही उनका पालन-पोषण किया। प्रारंभ में वे खेतड़ी में रहते थे, जो उस समय जयपुर रियासत का एक हिस्सा हुआ करता था। नंदलाल राज्य में दीवान थे। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और इलाहाबाद में वकालत करने लगे।

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मोतीलाल नेहरू ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने कानपुर से मैट्रिक किया और फिर मुइर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद में अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज शिक्षा की पश्चिमी शैली उन दिनों उतनी सामान्य नहीं थी। उस दौर में मोतीलाल नेहरू ऐसी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भाग्यशाली हिंदुओं की पहली पीढ़ी में से थे। हालांकि, वह वो बीए फाइनल ईयर की परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं हो पाए थे। कानून में उनकी रुचि ने उन्हें कानून की परीक्षा दी और उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से 'बार एट लॉ' अर्जित किया। 1883 में कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, उन्होंने कानपुर में कानून का प्रैक्टिस शुरू किया और फिर इलाहाबाद चले गए।

पश्चिमी जीवन शैली से काफी प्रभावित 

मोतीलाल नेहरू के पास अत्यधिक सफल कानून अभ्यास था। उन्होंने इलाहाबाद के सिविल लाइंस में एक बड़ा घर खरीदा और उसका नाम आनंद भवन रखा। 1909 में उनका करियर चरम पर पहुंचा और उन्हें ग्रेट ब्रिटेन की प्रिवी काउंसिल में शामिल होने की मंजूरी मिल गई। उन्हें कई बार यूरोप का दौरा करना पड़ा और वे पश्चिमी जीवन शैली से काफी प्रभावित हुए। वह द लीडर फ्रॉम इलाहाबाद नामक दैनिक का हिस्सा थे और इसके पहले अध्यक्ष भी थे। वह मुख्य निदेशक मंडल में भी थे। 1919 में, उन्होंने द इंडिपेंडेंट के नाम से जाना जाने वाला अपना दैनिक शुरू किया। मोती लाल नेहरू को हाईकोर्ट में पहले केस के लिए 5 रुपये मिले थे। फिर वो तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाद में उन्हें एक केस के लिए बहुत मोटी रकम मिलने लगी, जो हजारों में थी।

- अभिनय आकाश

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