RK Narayan Death Anniversary: आज के दिन 13 मई को सदा के लिए थम गई थी R.K Narayan की लेखनी

R K Narayan
Prabhasakshi

भारतीय साहित्यकार आर के नारायण की लेखनी आज के दिन यानी की 13 मई को सदा के लिए थम गई थी। उन्होंने अपनी लेखन कला से दुनिया भर के पाठकों का दिल जीत लिया था। उनकी रचना मालगुडी को दूरदर्शन ने धारावाहिक में प्रसारित किया था।

दुनियाभर में मशहूर भारतीय साहित्यकार के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले आर के नारायण का आज ही के दिन यानी की 13 मई निधन हो गया था। अपनी रचनाओं से नारायण ने पूरी दुनिया के पाठकों पर अपनी लेखनी का जादू चलाया था। बता दें कि वह भारत के छोटे शहरों के जीवन की लय की जीवंत करने के कौशल में माहिर थे। इसी कड़ी में आर के नारयण ने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर रचनाएं की। उनकी डेथ एनिवर्सिरी पर जानते हैं आर के नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

10 अक्टूबर 1906 को मद्रास के ब्राह्मण परिवार में आर के नारायण का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी है। इनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया था। साल 1930 में वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लेखन में जुट गए। लेकिन इससे पहले उन्होंने कुछ समय तक शिक्षण का कार्य भी किया। वह अपनी पीढ़ी के अंग्रेज़ी में लिखने वाले उत्कृष्ट भारतीय लेखकों में से एक थे।

साल 1935 में उन्होंने अपना पहला उपन्यास 'स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स' लिखी। इस उपन्यास में नारायण ने स्कूली लड़कों के रोमांचक कारनामों के बारे में लिखा था। इसके बाद नारायण ने तमाम लेख लिखे। लेकिन इनमें से दक्षिण भारत का काल्पनिक शहर मालगुडी इनकी फेमस कृतियों में से एक है। वह आमतौर पर मानवीय सम्बन्धों की विशेषताओं तथा भारतीय दैनिक जीवन की विडंबनाओं का बहुत सुंदर चित्रण करते थे। उनकी कृतियों में आधुनिक शहरी जीवन पुरानी परंपराओं के साथ टकराता नजर आता था।

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लेखन शैली

आर के नारायण की लेखन शैली शालीन है। उनके लेखन शैली में सुसंस्कृत हास्य, लालित्य और सहजता का मिश्रण मिलता है। बता दें कि नारायण के सबसे विश्वसनीय सलाहकार और दोस्त रहे ग्रैहम ग्रीने ने उनकी पहली चार किताबों के लिए प्रकाशक ढूंढे। उनकी चयह चार किताबें स्वामी और मित्र, दी बैचलर ऑफ़ आर्ट्स और दी इंग्लिश टीचर शामिल है। आर के नारायण मालगुडी में काल्पनिक गांव के बारे में और वहां के लोगों के बारे में वर्णन किया है। नारायण की इस रचना की तुलना विलियम फॉल्कनर से की जाती थी। 

मालगुडी

नारायण ने दक्षिण भारत के प्रिय क्षेत्र मैसूर और चेन्नई की आधुनिकता और पारंपरिकता को द मैन ईटर आफ़ मालगुडी में उतारा था। हालांकि यह काल्पनिक थी। लेकिन अपनी असाधारण लेखन के जरिए साधारण चरित्रों को उकेरा था। इस कृति की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दूरदर्शन ने ‘मालगुडी के दिन’ पर धारावाहिक बनाया था। यह धारावाहिक आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। 

नोबेल पुरस्कार

नारायण का नाम कई बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए नामित हुआ। हालांकि यह पुरस्कार उन्हें कभी नहीं मिला। इसके एक कारण यह भी है कि  नोबेल पुरस्कार के पीछे भी सम्पन्न पश्चिमी देशों की राजनीति हावी रहती है। इस पुरस्कार से अक्सर उन लोगों को सम्मानित किया जाता है, जिनके लेखन से उनके हितों की पूर्ति होती है। वहीं अपनी बात को खरी भाषा में कहने वाले आर के नारायण इस कसौटी पर कभी खरे नहीं उतरे। नारायण को विश्व में अंग्रेजी का सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला लेखक माना जाता है। 

साल 1968 में आर के नारायण को 'द गाइड' के लिए साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भारत सरकार ने उनको पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया। साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान को देखते हुए साल 1989 में आर के नारायण को राज्यसभा का मानद सदस्य चुना गया। बता दें कि नारायण को दिल्ली विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी आफ लीड्स ने डॉक्टरेट की मानद उपाधियां दी गईं थीं।

फेमस कृतियां

द इंग्लिश टीचर

वेटिंग फ़ॉर द महात्मा

द गाइड 

द मैन ईटर आफ़ मालगुडी

द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स

अ टाइगर फ़ॉर मालगुडी

फेमस कहानियां

लॉली रोड

अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़

अंडर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़

निधन

आर.के.नारायण धारदार कलम और मधुर मुस्कान के धनी थे। अपने आखिरी समय में वह चेन्नई शिफ्ट हो गए थे। 13 मई 2001 को 94 साल की आयु में में उन्होंने अपनी लेखन यात्रा को सदा के लिए विराम दे दिय़ा।

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