OP Nayyar Death Anniversary: फिल्मी दुनिया के अलहदा संगीतकार थे ओपी नैय्यर, प्रेम संबंध बना बर्बादी का कारण

पाकिस्तान के लाहौर में 16 जनवरी 1926 को ओपी नैय्यर का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम ओंकार प्रसाद नैयर था। ओपी नैय्यर के बारे में ये कहा जाता है कि वह संगीत और अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीते थे।
दुनिया में तमाम ऐसे फनकार हुए, जो अपने काम से अमर हो गए। इन फनकारों ने अपने काम से वह मुकाम हासिल किया है, जिसको बरसों बाद भी भुला पाना मुश्किल है। ऐसे ही रिदम किंग और ताल के बादशाह ओपी नैय्यर थे। आज ही के दिन यानी की 28 जनवरी को ओपी नैय्यर का निधन हो गया था। ओ पी नैय्यर ने न जाने कितने गानों में अपने संगीत का जादू बिखेरा है। हालांकि ओपी नैयर विद्रोही स्वभाव के थे और वह अपनी शर्तों पर काम करना पसंद करते थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर ओपी नैय्यर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
पाकिस्तान के लाहौर में 16 जनवरी 1926 को ओपी नैय्यर का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम ओंकार प्रसाद नैयर था। ओपी नैय्यर के बारे में ये कहा जाता है कि वह संगीत और अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीते थे।
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फिल्मी करियर
फिल्म आसमान से ओ पी नैय्यर ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। लेकिन ओपी नैय्यर को पहचान अभिनेता गुरुदत्त की फिल्मों मिस्टर एंड मिसेज 55, आरपार, सीआईडी और तुम सा नहीं देखा से मिली थी। वह अपने समय के ऐसे संगीतकार थे, जिन्होंने लता मंगेशकर की आवाज का इस्तेमाल किए बिना ही सुरीला संगीत दिया।
हीरो बनना चाहते थे ओ पी नैय्यर
बता दें कि ओपी नैय्यर फिल्मी दुनिया में हीरो बनने आए थे। लेकिन उन्हें एक के बाद एक रिजेक्शन मिलने लगे। जिसके बाद किसी ने उनको सलाह दी वह और कुछ करें। और कुछ के नाम पर ओपी नैय्यर संगीत के बारे में ही थोड़ा-बहुत जानते थे। ऐसे में उन्होंने अपने हरमोनियम से दोस्ती बढ़ाई और उन्होंने संगीत का जादू चलाना शुरू किया। अभिनेता गुरुदत्त की फिल्मों के बाद उन्होंने 'ऐ लो मैं हारी पिया', 'कभी आर कभी पार लागा तीरे नजर' और 'बाबा जी धीरे चलना... बड़े धोखे हैं इस राह में' जैसे गीतों से धूम मचाई। इस तरह से बतौर संगीतकार ओपी नैय्यर का नाम फिल्म जगत में चल निकला।
प्रेम संबंध
इसके बाद नैय्यर की मुलाकात आशा भोंसले ले हुई। आशा ताई को आशा भोंसले बनाने का श्रेय ओ पी नैय्यर को जाता है। उन्होंने आशा की आवाज की रेंज का पूरा फायदा उठाया। कई फिल्मों में एक साथ काम करने के दौरान ही नैय्यर और आशा भोंसले एक-दूसरे के करीब आ गए। कहा जाता है कि यह प्रेम संबंध ही ओ पी नैय्यर की बर्बादी का कारण बना। कहा जाता है कि ओपी नैय्यर और आशा भोंसले का प्रेम संबंध करीब 14 साल तक चला।
फिर ओ पी नैय्यर की कैडलक कार में घूमने वाली आशा भोंसले ने साल 1972 में अपने इस संगीतमय अध्याय को खत्म करने का फैसला कर लिया। जिसके बाद ओ पी नैय्यर और आशा भोंसले ने एक छत के नीचे कभी कदम नहीं रखा।
मृत्यु
वहीं 28 जनवरी 2007 को ओ पी नैय्यर का 81 साल की आयु में हार्ट अटैक से निधन हो गया था।
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