Rabindranath Tagore Birth Anniversary: रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत ही नहीं इन देशों का भी लिखा था राष्ट्रगान, कहा जाता था विश्वकवि

आज ही के दिन यानी की 07 मई को महान क्रांतिकारी, संगीत और साहित्य के सम्राट रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ था। टैगोर को कविगुरु और विश्वकवि के नाम से भी जाना जाता है। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे।
महान क्रांतिकारी, संगीत और साहित्य के सम्राट रवींद्रनाथ टैगोर का 07 मई को जन्म हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर ने बांग्ला साहित्य और कला को समृद्ध करने के साथ ही भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान भी लिखे। टैगोर को कविगुरु और विश्वकवि के नाम से भी जाना जाता है। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
कोलकाता में 07 मई 1861 को रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ था। वह एक धनी परिवार से ताल्लुक रखते थे। जहां पर उनको कला, साहित्य और संगीत के प्रति प्रोत्साहन मिला था। टैगोर ने महज 8 साल की उम्र में ही कविता लिखना शुरूकर दिया था। साल 1879 में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई थी। उन्होंने घर पर रहकर ही शिक्षा प्राप्त की थी। रवींद्रनाथ टैगोर ने बांग्ला और अंग्रेजी में कविताएं लिखीं।
इसे भी पढ़ें: Rabindranath Tagore Birth Anniversary: रोशनी जिनके साथ चलती थी
रचनाएं
रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएं में गोरखा, गीतांजली, गोरा, चंडालिका और रश्मिरथी शामिल है। साल 1913 में उनको गीतांजलि के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बता दें कि उन्होंने संगीत नामक एक विशिष्ट संगीत शैली विकसित की। टैगोर ने करीब 2,000 से अधिक गीतों की रचना की, जिसको 'रवींद्र संगीत' के नाम से जाना जाता है। उनको भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि के रूप में भी सम्मानित किया जाता है। टैगोर की रचनाओं का दुनिया में कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
साल 1901 में रवींद्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में शांति निकेतन स्थित एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की थी। टैगोर ने इस विद्यालय में भारत और पश्चिमी परंपराओं को मिलाने का प्रयास किया। वहीं टैगोर भी विद्यालय में रहने लगे। साल 1921 में यह विद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।
दो देशों का लिखा राष्ट्रगान
भारत और बांग्लादेश की आजादी के बाद रवींद्रनाथ टैगोर ने दोनों देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा। जिसको आज भी राष्ट्रीय पर्व के मौके पर गर्व से गाया जाता है। इसके अलावा टैगोर ने श्रीलंका का भी राष्ट्रगान लिखा। रवींद्रनाथ टैगोर दूसरे ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित किया। इससे पहले स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद को संबोधित किया था।
मृत्यु
वहीं 07 अगस्त 1941 में रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया था।
अन्य न्यूज़