Satyajit Ray Death Anniversary: सत्यजीत रे ने सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, खुद पास चलकर आया था ऑस्कर
आज ही के दिन यानी की 23 अप्रैल को महान निर्देशकों की लिस्ट में शामिल सत्यजीत रे का निधन हो गया था। सत्यजीत रे द्वारा किया गया काम फिल्म मेकर्स के लिए आज भी मिसाल है। उन्होंने अपने कॅरियर में कई हिट फिल्में दीं।
आज ही के दिन यानी की 23 अप्रैल को महान निर्देशकों की लिस्ट में शामिल सत्यजीत रे का निधन हो गया था। सत्यजीत रे द्वारा किया गया काम फिल्म मेकर्स के लिए आज भी मिसाल है। उन्होंने अपने कॅरियर में कई हिट फिल्में दीं। यह सत्यजीत रे की फिल्मों का जादू है, जिसने हिंदी सिनेमा को इतना आगे तक पहुंचाने का काम किया। उन्हें उनके बेहतरीन काम के लिए ऑस्कर से भी नवाजा गया था। इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से उनको 32 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।
जन्म-शिक्षा परिवार
कोलकाता में बंगाली अहीर परिवार में 02 मई 1921 को सत्यजीत रे का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम सुकुमार राय था। इसको शॉत्तोजित रॉय के नाम से भी जाना जाता था। सत्यजीत रे के पिता सुकुमार राय और मां सुप्रभा राय था। सत्यजीत रे जब 2 साल के थे, तो उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। जिसके बाद उनकी मां ने अपने भाई के घर में सत्यजीत का पालन-पोषण किया था। उनकी मां एक मंझी हुई गायिका थीं। वहीं सत्यजीत रे ने अपनी शुरूआती शिक्षा कलकत्ता के बल्लीगुंग गवर्नमेंट हाई स्कूल से पूरी की। जिसके बाद उन्होंने इकनोमिक में बी.ए किया।
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सत्यजीत रे का शुरूआती जीवन काफी कठिनाइयों में बीत। वहीं साल 1950 में उनको लंदन जाने का मौका मिला। यहां पर उन्होंने कई फिल्में देखीं। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का भी सपना देखा था।
कॅरियर
सत्यजीत रे ने शिक्षा पूरी करने के बाद ग्राफिक्स डिजाइनर की नौकरी शुरूकर दी। इस दौरान उनकी फ्रांसीसी निर्देशक जां रेनोआ से मुलाकात हुई। इस मुलाकात ने सब कुछ पलटकर रख दिया था। इस मुलाकात के बाद सत्यजीत रे के दिमाग में फिल्म बनाने का आइडिया आया।
फिल्मी सफर
साल 1943 में सत्यजीत रे ने बतौर जूनियर विजुलायजर अपने करियर की शुरूआत की थी। इस दौरान उनको सिर्फ 18 रुपए वेतन मिलता था। इसके बाद सत्यजीत ने डिजाइनिंग में भी हाथ आजमाया था। उनकी पहली फिल्म पाथेरी पांचाली थी। उनकी इस फिल्म को कांस फिल्म फेस्टिवल में खूब सराहा गया था।
खुद चलकर आया ऑस्कर
लंदन से भारत वापस आने के बाद सत्यजीत रे ने फिल्म बनाने पर काम करना शुरूकर दिया। साल 1952 में उन्होंने नौसिखिया टीम के साथ अपनी पहली फिल्म पाथेर पंचोली की शूटिंग शुरूकर दी। हांलाकि कोई फाइनेंसर न होने के कारण फिल्म की शूटिंग को बीच में ही रोक दिया गया। हांलाकि उनकी मदद के लिए बंगाल सरकार ने हाथ आगे बढ़ाया। बंगाल सरकार की मदद से यह फिल्म पूरी हुई और जब सिनेमाघरों यह फिल्म रिलीज हुई, तो सुपरहिट साबित हुई। फिल्म के लिए उनको कई अवॉर्ड मिले। सत्यजीत रे ने इसके बाद महापुरुष, चारुलता और कंजनजंघा जैसी कई हिट फिल्में बनाई।
आपको बता दें सत्यजीत रे को भारत सरकार की तरफ से 32 राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए थे। साल 1985 में उनको दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद साल 1992 में उन्हें भारत रत्न और ऑस्कर 'ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट' भी दिया गया। लेकिन सत्यजीत रे की तबियत ठीक नहीं थी, जिसके कारण वह ऑस्कर लेने नहीं जा सके। इस कारण खुद पदाधिकारियों की टीम उनको ऑस्कर देने के लिए कोलकाता गई थी। वहीं 23 अप्रैल 1992 को करीब एक महीने बाद सत्यजीत रे का निधन हो गया।
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