इंजीनियर बनने के सपने से लेकर सुपरहिट गायक बनने तक का एसपी बालासुब्रमण्यम का सफर

SP Balasubrahmanyam

एसपी बालासुब्रमण्यम का जन्म 4 जून 1946 आंध्रप्रदेश के नेल्लौर में हुआ था। एसपी बालासुब्रमण्यम की रुचि शुरु से ही संगीत में रही। इंजीनियर बनना चाहते हैं, लेकिन तबीयत खारब हो जाने के कारण उनको बीच में ही अपनी पढ़ाई रोकनी पड़ी।

आवाज के जागूदर एसपी बालासुब्रमण्यम ने तेलुगू, तमिल, मलयालम में ही नहीं बल्कि हिंदी में भी बहुत सारे गाने गए जो सुपर डुपर हिट हुए। लोगों ने उनके गानों को खूब सराहा। एसपी बालासुब्रमण्यम 80 के दशक से लेकर नई सदी की शुरूआत तक गाते रहे। 1981 में आई फिल्म एक दूजे के लिए पहली बार हिंदी फिल्म में गाना गाया। फिल्म का गाना ‘तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन’ के लिए उनको नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। यह गाना इतना मशहूर हुआ की इसी गाने से इंस्पायर होकर ब्रिटनी स्पीयर ने 2004 में ‘टोक्सिक’ गाना गाया।

इसके बाद तो उन्होंने कई एकल और युगल गाने गाए। फिल्म सागर के गाने जैसे– ‘सच मेरे यार है’ और ‘ओ मारिया’ गानों को लोगों ने खूब पसंद किया।

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सलमान खान की सफलता के पीछे एसपी बालासुब्रमण्यम के गानों का बहुत योगदान रहा है। ‘मैंने प्यार किया’, ‘हम आप के हैं कौन’ और साजन जैसी फिल्मों में उन्होंने सलमान खान के लिए अपनी आवाज दी! ‘मेरे रंग में रगंने वाली’,’ ‘पहला पहला प्यार है’ और ‘साथिया’ जैसे गाने लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

1992 में बतौर संगीतकार के रूप में अपने कॅरियर की शुरूआत करने वाले एआर रहमान की फिल्म रोजा में उन्होंने तीन गाने गए। रोजा फिल्म का गाना ‘रोजा जानेमन’ लोग ने खूब गुनगुनाते हैं।

संगीत के इस फनकार का जन्म 4 जून 1946 आंध्रप्रदेश के नेल्लौर में हुआ था। एसपी बालासुब्रमण्यम की रुचि शुरु से ही संगीत में रही। इंजीनियर बनना चाहते हैं, लेकिन तबीयत खराब हो जाने के कारण उनको बीच में ही अपनी पढ़ाई रोकनी पड़ी। लेकिन संगीत का शौक इतना कि पढ़ाई तो छूट गई लेकिन संगीत का रिजाय जारी रहा। एसपी बालासुब्रमण्यम के दोस्त और करीबी उऩको बाला के नाम से बुलाते थे। बाला सिर्फ एक महान गायक ही नहीं थे बल्कि वो एक बेहतरीन डब अर्सिस्ट भी थे। रजनीकांत, कमल हसन, एमजी आर से लेकर अनिल कपूर जैसे कई बड़े कलाकारों के लिए उन्होने डबिंग भी की। कमल हसन की फिल्म दशाअवतारम के तेलगू वर्जन में अधिकतर किरदारों की डबिंग एसपी ने ही की थी। डबिंग के लिए दो बार उन्हें नंदी पुरस्कार भी मिला था। नंदी पुरस्कार तेलगू सिनेमा और थिएटर के लिए आंध्र प्रदेश के सरकार का सर्वोच्च सम्मान है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2001 में पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

एसपी की हस्ती और हुनर का दायरा हिंदी फिल्मों से काफी बड़ा था। एसपी बालासुब्रमण्यम 6 नेशनल अवॉर्ड जीत चुके थे। वो भी अलग अलग भाषाओं में। कहा जाता है कि उनका 40 हजार गानों का रिकॉर्ड  गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है! एक बार जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘मैंने आज तक कितने गाने गए मुझे खुद याद नहीं है'।

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अपने शुरूआती दिनों में एसपी बालासुब्रमण्यम एक छोटे से म्यूजिकल ग्रुप का हिस्सा थे जिसमें इलैया राजा भी थे। वो जगह जगह परफॉर्मेंस देते थे। उस समय तक एसपी बालासुब्रमण्यम को कोई नहीं जानता था। 1966 में तमिल फिल्म श्री श्री मार्यादारमन्ना में उन्होंने पहला गाना गाया। वहीं से तमिल और कन्नड़ में मौके मिलने लगे। 1980 में बनी तेलगू फिल्म शंकरा भरण्यम से उन्हें बहुत शोहरत भी मिली और नेशनल अवॉर्ड भी! जबकि उन्होंने शास्त्री संगीत की शिक्षा नहीं ली थी। 1960 के दशक से गाते आ रहे एसपी बालासुब्रमण्यम 74 साल की उम्र तक सक्रिय रहे। और अपनी 74 साल की उम्र में 50 साल तक गाने गाए। एसपी बालासुब्रमण्यम जैसा महान गायक आज भी अपने गीतों के जरिए हमारे दिलों में जीवित हैं और आज भी लोग उनके गानों को गुनगुनाते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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