अपने शांत स्वभाव और दृढ़ प्रशासनिक शैली के लिए जाने जाते थे विजय रूपाणी

विजय रूपाणी ने 1975 में आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भावनगर जेल में एक वर्ष के कारावास की सजा काटी थी। राजकोट नगर निगम में पार्षद चुने जाने के साथ ही 1987 में उन्होंने जन सेवा में प्रवेश किया और बाद में वह महापौर बने।
अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान दुर्घटना में जान गवाने वाले गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी अपने शांत स्वभाग और दृढ़ प्रशासनिक शैली के लिए जाने जाते थे। विजय रूपाणी अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने गुजरात को कोरोना से उभारने में राज्य का नेतृत्व करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने कॉलेज के दिनों में रूपाणी एक छात्र नेता थे जिन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में काम किया।
रूपाणी ने 1975 में आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भावनगर जेल में एक वर्ष के कारावास की सजा काटी थी। राजकोट नगर निगम में पार्षद चुने जाने के साथ ही 1987 में उन्होंने जन सेवा में प्रवेश किया और बाद में वह महापौर बने। वह 2006 से 2012 के बीच राज्यसभा के सदस्य भी रहे। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य औद्योगिक नीति 2020 की शुरूआत और आदिवासी उत्थान के लिए पहल देखी गई। रूपाणी ने सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी इस पहल से राज्य चुनावों से पहले ही भूपेंद्र पटेल के लिए मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।
इसे भी पढ़ें: Sunil Dutt Birth Anniversary: कभी बस कंटक्टर का काम करते थे सुनील दत्त, फिर ऐसे बने एक्टिंग की दुनिया के बादशाह
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के लिए 1206 जिंदगी भर लकी नंबर की तरह रहा। लेकिन 12 तारीख और छठे महीने को उनकी दर्दनाक मौत के चलते यह नंबर उनके लिए दुर्भाग्य का प्रतीक बन गया। हम आपको बता दें कि विजय रूपाणी 1206 नंबर के प्रति गहरी आस्था रखते थे। उनके सभी वाहनों– स्कूटर से लेकर कार तक की नंबर प्लेट पर 1206 अंक होता था। उनके मित्र कहते हैं कि यह हमेशा उनका लकी चार्म रहा है। लेकिन किस्मत ने उनके साथ इसी नंबर के जरिये क्रूर खेल खेल दिया। 12 जून, यानी 12/06 को उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो गई।
विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त, 1956 को म्यांमार (तब रंगून) में एक जैन परिवार में हुआ था। वह सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के चलते 1960 में राजकोट आ गया था। विजय रूपाणी राज्यसभा के सदस्य, गुजरात विधानसभा के सदस्य और राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे थे।
अन्य न्यूज़












